डिजिटल मीडिया इफेक्ट: अब ऑनलाइन करिए पितरों का पिंडदान
नई दिल्ली। 17 अगस्त से पित्रपक्ष शुरू होने वाला है। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उनका पिंडदान किया जाता है। ऐसे में संगम तट, वाराणसी, गया , हरिद्वार जैसे धार्मिक जगहों पर भारी भीड़ होती है। पंडितों का शिड्यूल बिजी हो जाता है। ऐसे में जो लोग अपने व्यस्त जीवन से अपने लिए समय नहीं निकाल पाते उन्हें अब घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि लिए अब ऑनलाइन पिंडदान की व्यवस्था हो गई है। पितृ पक्ष: पितरों का ऋण उतारने के दिन..जानिए क्या करें
धर्म पर डिजिटल मीडिया इफेक्ट
जी हां डिजिटल इंडिया ने अब हमारे धार्मिक कर्मकांडों में भी दस्तक दे दी है। गंगाजल के ऑनलाइन बिक्री के बाद देश के मुख्य धार्मिक स्थल भी अब वर्चुअल वर्ल्ड से जुड़ते जा रहे है। ऐसे में अब इलाहाबाद के संगम तट के साथ-साथ कई धार्मिक जगहों पर पिंडदान की ऑनलाइन व्यवस्था की गई है।
ऑनलाइन पिंडदान की प्रक्रिया
इलाहाबाद के कई पंडित इस वक्त सोशल मीडिया के जरिए अपने श्रद्धालुओं की लिस्ट तैयार कर रहे हैं जो बिना गंगा तट पर पहुंचे पिंडदान करना चाहते हैं। ऐसे लोगों की तादात काफी है जो अपने पंडितों से फोन पर संपर्क कर रहे हैं ताकि ऑनलाइन पिंडदान की प्रक्रिया पूरी की जा सके।
सोशल मीडिया पर एक्टिव हो रहे हैं पंडित
पंडितों को वॉट्सअप, ई-मेल और दूसरी सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए देशभर से करीब 300 से ज्यादा लोगों ने अपने पूर्वजों की डिटेल भेजी है। अब पंडित इन लोगों के बदले में उनके पितरों का पिंडदान करेंगे और बदले में लोग उनकी फीस चुकाएंगे। इस ऑनलाइन बहार को देखते हुए अब पंडितों ने भी सोशल मीडिया पर अपनी एक्टिविटी तेज कर दी है। पंडित भी खुद को इस नए प्लेटफॉर्म में ढालने की कोशिश कर रहे है।