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'खेल रत्न' देवेंद्र झाझरिया: सिर्फ एक हाथ से जीत ली दुनिया, बने लोगों के लिए मिसाल

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नई दिल्ली। कहते हैं, अपने हाथों की लकीरों को क्या देखते हो, किस्मत तो उनकी भी होती है, जिनके हाथ नहीं होते...और ये बात पूरी तरह से चरितार्थ होती है भारत के आन-बान और शान देवेंद्र झाझरिया पर, जिन्होंने पैरालिंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था।

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खेल रत्‍न अवार्ड

खेल रत्‍न अवार्ड

देवेंद्र जेवलिन थ्रो में इस वक्‍त विश्‍व रैंकिंग में तीसरे नंबर के खिलाड़ी हैं। भारत सरकार ने उन्हें खेल रत्‍न अवार्ड के लिए चुना है, उन्हें ये अवार्ड हॉकी के मशहूर खिलाड़ी सरदार सिंह के साथ संयुक्त रूप से दिया जाएगा। देश के लोगों के लिए मिसाल बने देवेंद्र ने साबित कर दिया है कि अगर इंसान चाह ले तो कोई भी चीज असंभव नहीं है।

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उनका हाथ बिजली के तार से जा टकराया

उनका हाथ बिजली के तार से जा टकराया

आपको बता दें कि देवेंद्र झाझरिया का जन्म 10 जून 1981 को राजस्थान के चूरू जिले में हुआ था। मात्र आठ साल की उम्र में देवेंद्र के साथ ऐसा भयानक हादसा हुआ जिसने उनकी जिंदगी ही बदल दी। वो एक पेड़ पर चढ़ रहे थे कि तभी उनका हाथ बिजली के तार से जा टकराया। 11000 वोल्ट के करंट के कारण उनका पूरा हाथ झुलस गया। तमाम कोशिशों के बावजूद देवेंद्र का बायां हाथ काटना पड़ा और ये उनके और उनके परिवार के लिए किसी वज्रपात से काम नहीं था।

रियो पैरालिंपिक में गोल्ड

रियो पैरालिंपिक में गोल्ड

देवेंद्र का हाथ कटा लेकिन इसके बाद भी उनके अंदर जीने का जज्बा बना रहा, उनके मनोबल ने उनके घरवालों को हिम्मत दी और देवेंद्र ने एथलीट की दुनिया में करियर बनाने का फैसला किया और आज परिणाम आपके सामने है। देवेंद्र ने देश के लिए साउथ कोरिया में हुए 2002 के फेसपिक खेल, एथेंस 2004 पैरालिंपिक, 2013 की वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप और रियो पैरालिंपिक में गोल्ड जीता।

पद्मश्री से भी सम्मानित

पद्मश्री से भी सम्मानित

रियो पैरालिंपिक में देवेंद्र ने दूसरा स्वर्ण जीता था, इससे पहले वो 2014 के एशियन गेम्स में वे सिल्वर जीत चुके हैं। इसलिए उन्हें मार्च 2012 में उन्हें राष्ट्रपति ने पद्मश्री से भी सम्मानित किया था, ऐसा सम्मान पाने वाले वो इंडिया के पहले पैरालिंपिक एथलिट हैं।

रीयल हीरो को दिल से सलाम

रीयल हीरो को दिल से सलाम

भारतीय एथलीट देवेंद्र झाजरिया ने अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोड़कर रियो पैरालम्पिक में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने इससे पहले 2004 एथेंस पैरालम्पिक में 62.15 मीटर का रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता था। देवेंद्र ने साबित कर दिया कि हिम्मत और हौसलों से ही हर चीज पायी जाती है। भारत मां के इस सच्चे सपूत को दिल से बधाई और सलाम।

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English summary
Devendra Jhajharia today became the first paralympian to be recommended for India's highest sporting honour the Rajiv Gandhi Khel Ratna Award. He is the real hero of nation.
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