डिप्रेशन है धीमा-जहर, बचना है तो अपनाइए 'मस्तानी' के टिप्स
मुंबई। सिल्वर स्क्रीन का इस समय सबसे चमकता चेहरा है दीपिका पादुकोण। बेहद ही कम वक्त में हिंदी सिनेमा की टॉप अभिनेत्रियों में शामिल होने वाली खूबसरत मस्तानी भी कभी डिप्रेशन की शिकार थीं। ये बात किसी और के मुंह से हम सुनते तो शायद हमें यकीन नहीं होता लेकिन ये दर्द खुद दीपिका ने ही बयां किया है इसलिए इस पर भरोसा करना बनता है।
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दीपिका ने कहा कि आज से दो साल पहले वो भी अवसाद ग्रसित थीं, अगर उनकी मां का सपोर्ट नहीं होता तो शायद वो भी आज किसी मानसिक अस्पताल में अपना इलाज करवा रही होतीं। दीपिका के दर्द ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि रूपहले पर्दे पर दौलत और शौहरत भी लोगों को मानसिक अवसाद से बचा नहीं सकती है।
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‘लिव लब लाफ फाउंडेशन'
फिलहाल दीपिका पादुकोण ने ना केवल अपने दर्द पर विजय पायी बल्कि लोगों को भी इससे निजात दिलाने की कोशिश की और इसलिए उन्होंने एनजीओ ‘लिव लब लाफ फाउंडेशन' को शुरू किया था जिसने सोमवार को एक साल पूरा कर लिया था। इस मौके पर दीपिका ने लोगों को डिप्रेशन से निजात पाने के टिप्स भी बताए जिसे जानना बेहद जरूरी है।
दीपिका पादुकोण
दीपिका ने कहा कि अक्सर लोग इस बीमारी को सीरयसली नहीं लेते और जब ये बीमारी भयावह स्थिति में पहुंच जाती है, तब इसके लिए परेशान होते हैं। आजकल इस रोग की चपेट में सबसे ज्यादा हमारे युवागण हैं, जिसके पीछे कारण हद से ज्यादा लोगों का प्रतिस्पर्धी होना है।
संवेदनाओं का कत्ल
आज लोग एक-दूसरे से आगे निकलने के चक्कर में संवेदनाओं और भावनाओं का कत्ल बड़ी आसानी से कर देते हैं, बस जहां ये कत्ल होता है वहीं से अवसाद के अंकुर फूटते हैं, ऐसे में मैं लोगों से कहना चाहती हूं वो घर में ऐसा माहौल अपने बच्चों के लिए पैदा करें जहां उन्हें किसी बात की असुरक्षा ना हो और बच्चा खुशी महसूस करे, वो अपनी भावनाओं से जुड़ी हर बात चाहे वो बीमारी हो या फिर डर, आराम से शेयर कर पाए।
सामाजिक कलंक
दीपिका ने कहा कि मानसिक बीमारी से जुड़ा सामाजिक कलंक इस बीमारी पर समाज के ध्यान ना देने का मुख्य कारण है और जिस दिन हम साथ मिलकर इससे पार पा लेंगे और जागरूकता फैलाएंगे, उस दिन हमें इस पर जीत मिल जाएगी। इस विषय पर सबको एक जुट होकर काम करना होगा।
17 करोड़ लोग मानसिक रोग के शिकार
मालूम हो कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (निमहांस) के रिसर्च स्टडी में पाया गया है कि भारत में कुल आबादी के 13.7 प्रतिशत यानि लगभग 17 करोड़ लोग कई प्रकार के मानसिक रोग के शिकार हैं। पढ़ें पूरी खबर...