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मुंबई Vs दिल्ली: कौन सा शहर ज्यादा बेहतर?

By Akhilesh Shukla
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[अखिलेश शुक्ल] मैं दिल्ली और मुंबई दोनों शहरों में रहा हूं। दोनों मे करीब तीन साल। लोग मुझसे अक्सर पूछते हैं की बेहतर कौन सा है। सोशल मीडिया पर भी यह मुदा अक्सर गरम रहता है। दोनों ही अगल हैं । दोनों में कुछ अच्छाइयाँ हैं तो कुछ बुराइयां भी। मैं अपना तजुर्बा साझा कर रहा हूं।

उद्घोषणा: इस लेख में प्रकाश‍ित बातें वनइंडिया के पाठक अख‍िलेश शुक्ला की हैं, वनइंडिया सिर्फ एक प्लेटफॉर्म है उनकी बात रखने का।

अगर आप दिल्ली या मुंबई में से किसी एक शहर में सेटेल होने की योजना बना रहे हैं, तो यह लेख आपके लिये तब जरूर लाभकारी साबित हो सकता है। इस टेबल को पढ़कर आप मुंबई और दिल्ली में अंतर देख सकते हैं। ये वो शहर हैं, जहां भारत के विभिन्न राज्यों के लोग बसे हैं। और हां पढ़ने के बाद इस लेख को सोशल मीडिया पर शेयर करना मत भूलियेगा।

फैक्टर मुंबई दिल्ली
शहर के लोग मुंबई में आपको खाने से लेकर अख़बार के स्टॉल पर इसका असर दिखेगा। मुंबई में हिंदी और अंग्रेजी के अलावा राजकीय भाषाओं का अखबार मिलना आम है। दिल्ली में तो मुझे कभी हिंदी और अंग्रेजी के अलवा किसी भाषा का अख़बार दिखा ही नहीं। कहते हैं कि यहां ढेर सारे पंजाबी और साउथ इंडियन बसते हैं, लेकिन पंजाबी या दक्ष‍िण भारतीय भाषाओं के अखबार उूंहूं...।
व्यंजन मुंबई में सबसे फेमस वड़ा पॉव और भेलपूड़ी हैं। वाकई में बहुत लज़ीज़। साथ ही गुजरती ढोकला बहुत प्रसिद्ध है। यहां दक्षिण भारतीय व्यंजन जैसे इडली, डोसा और काफी अलग स्टाइल में पका हुआ मिलता है। यहां पानी-पूरी में आलू भरा जाता है, इसलिये टेस्ट थोड़ा अलग रहता है। दिल्ली में मिलने वाले साउथ इंडियन और महाराष्ट्र के व्यंजनों में वो बात नहीं। दिल्ली के छोले बटुरे, समोसे, आलू पराठे, नान, आदि लाजवाब होते हैं। हालांकि पिछले कई सालों में मोमोज़ के स्टाल ने चाट के ठेलो को पीछे छोड़ दिया है। दिल्ली में तंदूरी मोमो भी मिलना शुरू हो गए हैं। और हां यहां पानी-पूरी में उबली मटर भरी जाती है।
शहर की रातें मुंबई एक बहुत तेज़ चलने वाला शहर है। दिन भर में जल्दी-जल्दी काम समेटा और फिर रात को मस्ती। इसीलिये कहा जाता है कि मुंबई की सुबह तो शाम छह बजे ही होती है। दिल्ली में ऐसा नहीं है। अगर आप रात को निकलने की सोच रहे हैं, तो आपको हर वक्त चौकन्ने रहना होगा, क्योंकि यहां की रातें बेहद काली होती हैं।
लोग कैसे हैं मुंबई के लोग स्वभाव से मददगार होते हैं। मुंबई में लोग कानून का पालन करना फक्र की बात समझते हैं। जबकि दिल्ली में अक्खड़ लोग ज्यादा बस्ते हैं। दिल्ली के लोग कानून को ठेंगा दिखाने में पीछे नहीं रहते।
मौसम मुंबई का मौसम अच्छा नहीं। यहां बारह मासी उमस भरी गर्मी रहती है। आप कोट और ब्लेज़र तो भूल ही जाइये। बारिश की किचकिच उफ...। दिल्ली में गर्मी और सर्दी दोनों ही चरमसीमा तक पहुंच जाती हैं। बारिश के दिन में दिल्ली और भी खूबसूरत हो जाती है।
बाहर के लोगों के प्रति रवैया मुंबई के लोगों का रवैया बाहर के लोगों के प्रति अच्छा नहीं है। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के लिये। यहां लोग न किसी से बैर न किसी से दोस्ती वाला रवैया रखते हैं। हां नार्थ ईस्ट के लोगों को अपना नहीं समझते।
दिखावटीपन दिखावा मुंबई में लोग दिखावा नहीं करते। खास कर दक्ष‍िणी महाराष्ट्र के लोग। उनमें कर्नाटक का असर साफ झलकता है। स्पष्ट शब्दों में कहें तो सादा जीवन उच्च विचार। दिल्ली मे दिखावा ज्यादा है। लोगों के कपड़ो से लेकर कार और लड़कियों के मेकअप पर इसका असर साफ़ झलकता है। यह असर आया है यूपी और बिहार से।
ऑटो और टैक्सी मुंबई के ऑटो और टैक्सी वाले ईमानदार हैं। मीटर से चलते हैं। बिना मतलब के रास्ता पर घूमते नहीं। हलांकि ऑफिस टाइम में उनके नखरे देखते बनते हैं। मजाल है ही कोई आसानी से चलने को तैयार हो जाएं। दिल्ली में ऑटो वाले बखूबी जानते हैं कि कब किसे बेवकूफ बनाना है। हां पश्च‍िमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के लोगों के आगे उनकी ज्यादा नहीं चल पाती है। मीटर से चलने में नखरे हर रोज दिखाते हैं।
महिला सुरक्षा महिलाओ के लिए मुंबई सुरक्षित है। हलाकि संगठित अपराध मे मुंबई की कोई सामी नहीं। दावूद इब्राहिम, छोटा राजन, छोटा शकील, अरुण गवली इत्यादि मुंबई के ही हैं। पर मुंबई का आम आदमी सुरक्ष‍ित महसूस करता है। हां शक्त‍ि मिल कांड मुंबई पर बड़ा धब्बा जरूर है। खैर अच्छी बात यह है कि उस कांड के बाद मुंबई पुलिस और ज्यादा सक्रिय हो गई है। मुनीरका का निर्भया रेप केस तो महज एक उदाहरण है। महिलाओं की असुरक्षा की बात करें तो दिल्ली की गाथा कभी न खत्म होने वाली कहानी है। उस जघन्य कांड के बाद भी यहां रेप और छेड़छाड़ की वारदातें रुकी नहीं। दिन ढलने के बाद महिलाएं सड़क पर निकलने से डरती हैं।
दंगा फसाद मुंबई साम्प्रदायिक दंगो के लिए सबसे ज्यादा खबरों में तब आया था जब अयोध्या कांड हुआ था। उसके बाद से मुंबई में कोई भी बड़ा दंगा नहीं हुआ। छिटपुट हिंसाएं ही दर्ज हुई हैं। दिल्ली में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगे राजनीति थे। ऐसा मेरा मानना है। उसके बाद से दंगे तो हुए, लेकिन बहुत बड़े नहीं। त्रिलोकपुरी दंगे सबसे ताज़ा उदाहरण हैं।
हिंदू मुस्ल‍िम एकता मुंबई में हिंदू-मुसलमान के बीच मुझे ज्यादा प्रेम नहीं दिखा। मुस्ल‍िम बहुल्य इलाकों में हिंदुओं की संख्या बहुत कम दिखी और वे कुछ डरे-डरे भी। दिल्ली में गंगा-जमुनी तहजीब आराम से देख सकते हैं। चांदनी चौक हो या फिर पुरानी दिल्ली का कोई और इलाका दोनों के बीच प्रेम कूट-कूट कर भरा हुआ है।
रहने के मामले में मुंबई में रहना बहुत महंगा है। अगर एक कमरा, किचन, बाथरूम का सेट खोजने जायेंगे तो कम से कम 10 हजार रुपए देने पड़ सकते हैं। प्रॉपर्टी के रेट हमेशा से मुंबई में ज्यादा रहे हैं।
रहने के मामले में दिल्ली भी सस्ता तो नहीं लेकिन हां एक कमरा, बाथरूम, किचन का सेट 8 हजार रुपए तक मिल सकता है, वो भी दिल्ली के आउटर में। प्रॉपर्टी के रेट मुंबई से थोड़े ही कम हैं।
पुलिस मुंबई के पुलिस वाले नेताजी के भाई-भतीजों, लम्बी कारों, गांधीजी की फोटो वाले नोट और मराठी भाषीय लोगों का सम्मान करते हैं। दिल्ली के पुलिस वाले नेताजी के भांजे भतीजों, लम्बी कार वालों और गांधीजी की फोटो वाले नोट का सम्मान तो करते हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में मुंबई थोड़ा पीछे रह जाता है। जिन इलाकों में धनाड्य लोग बसते हैं या फिर बड़ी-बड़ी कंपनियों के ऑफ‍िस हैं, वहां तो इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा है, लेकिन बाकी इलाकों में व्यवस्था थोड़ी चरमरायी सी नजर आती है। इसमें कोई दो राय नहीं है की दिल्ली का इन्फ्रास्ट्रक्चर मुंबई के मुकाबले काफी बेहतर है। दिल्ली काफी हरा-भरा भी है। सड़कें मुंबई से कहीं ज्यादा बेहतर हैं और नई दिल्ली के लगभग सभी इलाकों को पॉश मान सकते हैं।
राह चलते झगड़ा हो जाये तो अगर आप मुंबई से बाहर के हैं और राह चलते किसी से उलझ गये, तो दो बातें हो सकती हैं। अगर सामने वाला यूपी, बिहार या अन्य किसी राज्य का है, तो शायद आपकी बात को समझने की कोश‍िश करेगा, लेकिन अगर सामने वाला मराठी है तो आपको दबाव में लेने की पूरी कोश‍िश करेगा। हां यह अच्छा है कि गाली-गलौज जल्दी नहीं होती। अगर आप दिल्ली के बाहर से आये हैं और राह चलते आप हरियाणा, बिहार या यूपी वाले से उलझ गये, तो समझ लो आपका दिन खराब हो जायेगा। आपको बाहरी समझ कर तुरंत लपेटे में ले लेंगे। गाली गलौज तो मुंह पर रहती है। हो सकता है मार-पीट तक की नौबत आ जाये।
ठगी मुंबई इस मामले में अच्छा है कि आपको यहां ठगने वाले लोग ज्यादा नहीं मिलेंगे। दिल्ली में तो हर राह पर ठग खड़े हैं। लिहाजा आपको संभलकर चलना होगा।
मेरी निजी राय मुझे मुंबई नहीं पसंद मुझे तो दिल्ली ही पसंद है
Comments
English summary
When ever we talk about top cities of India, Delhi and Mumbai always come on top. Here is the comparison between Delhi and Mumbai. Read and think which is better?
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