Chhagan Bhujbal's Biography: 'सब्जीवाले' से 800 करोड़ के घाटाले तक
माफ कीजिएगा, यहां हम किसी को नीचा नहीं दिखा रहे बल्कि हकीकत को जनता के सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं। आरोप है 800 करोड़ के घोटाले का। घोटाले का आरोप ऐसे व्यक्ति पर लगा है, जिसकी पहचान सब्जीवाले के तौर पर भी कभी हुआ करती थी। पर, उस सब्जीवाले को सियासत पसंद आई। फिर सियासत ने उसे अकूत संपत्ति का मालिक बना दिया। लेकिन अचानक इस तरह से तरक्की निश्चित तौर पर लोगों की आंखों में लट्ठा बनकर जरूर उभरेगी। कुछ ऐसा ही हुआ। बहरहाल हम बात कर रहे हैं एनसीपी नेता छगन भुजबल की। आईये जानते हैं भुजबल का वो सफर जो सवालिया घेरे में है।
मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में भुजबल ने बताया कि भुजबल और उनके भाई-बहन नासिक के बगवनपुरा की सकरी गलियों में बड़े हुए हैं। भुजबल के माता-पिता की मौत उस वक्त हो गई थी, जब वे दो साल के थे। साथ ही भुजबल ने ये भी बताया है कि मुझे और मेरे भाई-बहनों को मेरी मां की चाची जानकीबाई ने पाला था, जिसे हम लोग दादी कहते थे।
जानकीबाई के पति पुलिस विभाग में थे। ये दिन बहुत ही मुश्किल भरे थे। भुजबल ने बाद में अपने बचपन में नासिक में एक फैमिली समारोह को याद करते हुए बताते थे कि उन्होंने करी में पानी मिला दिया था, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि कहीं ये कम न पड़ जाए।
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मंडी में सब्जी बेचने के लिए मिली 35 वर्गफीट जगह
हर सुबह छगन और उनके बड़े भाई मगन अंजिरवाड़ी से भायखला सब्जी मंडी पैदल जाते थे। वहां माली जाति के लोग पैसे इकट्ठे करते थे और दोनों भाईयों की सब्जी खरीदने के लिए मदद करते थे। दोनों भाई और उनकी चाची मिलकर मझगांव के घर के बाहर सब्जी बेचा करते थे। उसके बाद भुजबल बायकुल्ला सब्जी मंडी में सब्जी बेचने के लिए 35 वर्गफीट की जगह पाने में कामयाब रहे।
भुजबल के बड़े भाई मगन की मौत
उनके बड़े भाई मगन की मौत 80 के दशक में हो गई और उसके बाद मगन के बेटे समीर उनके साथ आ गए। समीर अभी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने भुजबल और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। भुजबल पर नई दिल्ली में महाराष्ट्र सदन और मुंबई में कलिना सेंट्रल लाइब्रेरी बनाने के लिए ठेका अपने ही परिवार के सदस्यों को देने का आरोप है।
राजनीति में भुजबल की ''एंट्री''
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद बाल ठाकरे के विचारों से प्रभावित होकर भुजबल शिवसेना से जुड़े। वे पहली बार 1973 में शिवसेना से पार्षद का चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। 1973 से 1984 के बीच छगन मुंबई के पार्षदों में सबसे तेज तर्रार नेता माने जाते थे। जिसकी बदौलत वे दो बार मुंबई महानगरपालिका के मेयर भी रहे। मेयर रहते हुए छगन ने 'सुन्दर मुंबई, मराठी मुंबई' के नाम से अभियान भी चलाया था। इस अभियान के तहत छगन ने मुंबई को सुन्दर बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाए।
भुजबल ने शिवसेना से तोड़ा नाता
1985 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी बाला साहब ने उन्हें मुंबई महानगरपालिका के मेयर की ज़िम्मेदारी दी। 1991 में बाला साहब संग मतभेद के बाद भुजबल ने शिवसेना छोड़ दी और कांग्रेस के साथ जुड़े। बाद में वे 1999 में कांग्रेस से अलग होकर शरद पवार के नेतृत्व में बनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) से जुड़ गए।
दावा, दौलत और भुजबल
-
भारतीय
जनता
पार्टी
के
नेता
किरीट
सोमैया
के
मुताबिक
भुजबल
के
पास
करीबन
ढाई
हजार
करोड़
रुपए
से
ज्यादा
की
संपत्ति
है।
-
कुछ
दिनों
पहले
एंटी
करप्शन
ब्यूरो
ने
मुंबई,
ठाणे,
नासिक
और
पुणे
में
छापे
मारे
थे
जहां
छगन
और
उनके
परिवार
के
नाम
अरबों
की
संपत्ति
मिली
थी।
-
छापे
के
दौरान
उनके
बेटे
पंकज
के
नाम
पर
नासिक
में
100
करोड़
रुपए
का
बंगला
मिला
था।
-
46,500
वर्गफुट
में
फैले
इस
बंगले
में
25
कमरे,
स्विमिंग
पूल
और
जिम
भी
है।
-
भुजबल
के
28
ठिकानों
पर
छापा
मारा
गया
था।
इसमें
पुणे
में
भी
उनकी
करोड़ों
रुपए
की
संपत्ति
मिली
थी।
- लोनावला में 2.82 हेक्टेयर में फैले छह बेडरूम वाले बंगले में हेलिपैड, स्विमिंग पूल के साथ विदेशी फर्नीचर और प्राचीन मूर्ति मिली थी।
भुजबल का वक्त के मुताबिक कद बढ़ता गया और हद भी बढ़ती गई। जिसके साथ ही दौलत और शोहरत लोगों की नजरों से भला कब तक बचाए जा सकते थे। एक दौर ऐसा आया कि सवालिया निशान में भुजबल फंसकर रह गए। बहरहाल अभी तमाम खुलासे होने हैं। जो जांच के बाद ही सामने आएंगे। हालांकि जनता के जहन में बस इस बात की उथल पुथल मची हुई है कि उनकी किन किन उम्मीदों को जिंदा दफन कर आशियाने सजाए गए हैं।