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बोरोलिन सक्‍सेस स्‍टोरी: इसे बनाने वाली 87 साल पुरानी स्‍वदेशी कंपनी पर नहीं है एक भी रुपए का कर्ज !

जेडी फार्मा की एक 'मेड इन इंडिया' क्रीम उस वक्‍त अस्तित्‍व में आई, जब अंग्रेज भारत पर हुकूमत कर रहे थे और भारत स्‍वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था।

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नई दिल्‍ली। क्‍या आप एक ऐसी स्‍वदेशी कंपनी के बारे में जानते हैं जो 'मेड इन इंडिया' का जीता जागता सबसे बेहतरीन उदाहरण है?

Boroline's success story: This ‘Made in India' product doesn't have debt of a single Rupee on the government

दरअसल, हम यहां बात कर रहे हैं खुश्‍बूदार एंटीसेप्टिक क्रीम बोरोलिन को बनाने वाली कंपनी जेडी फार्मा की। ऐसा शायद ही कोई शख्‍स होगा जो कि बोरोलिन के बारे में नहीं जानता होगा। आइए जानते हैं बोरोलिन और जेडी फार्मा की शुरुआत से लेकर अब तक के सफल सफर से जुड़े कुछ रोचक तथ्‍य।

जीडी फार्माक्‍यूटिकल्‍स ने कोलकाता में 1929 में बोरोलिन की संस्थापक गौर मोहन दत्ता के नेतृत्‍व में शुरुआत की। जीडी फार्मा दवाइयों की प्रमुख कंपनियों में से एक है।

अंग्रेजी हुकूमत में सामने आई क्रीम

जिस वक्‍त बोरोलिन अस्तित्‍व में आई, तब अंग्रेज भारत पर हुकूमत कर रहे थे। भारत स्‍वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था। कंपनी ने जब बोरोलिन को बाजार में उतारा तब अंग्रेजों को यह रास नहीं आया। उन्‍होंने क्रीम का उत्‍पादन रोकने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हुए।

भारतीय मॉडल पर आधारित है कंपनी

आज इस क्रीम की शुरुआत हुए 87 वर्ष बीत चुके हैं और इसे बनाने वाली कंपनी की माली हालत वर्ष-दर-वर्ष मजबूत हो रही है। भारतीय मॉडल पर आधारित इस कंपनी पर एक भी रुपए का सरकरी कर्ज नहीं है। यहां तक कि इतने वर्षों के बाद भी यह क्रीम लोगों की फर्स्‍ट एड किट में जगह बनाए हुए है।

ये दिग्‍गज भी करते थे बोरोलिन का इस्‍तेमाल

जब भारत आजाद हुआ, तब गौर मोहन दत्‍ता के पुत्र देबशीष दत्‍ता जेडी फार्मा के मुखिया थे। ऐसा कहा जाता है कि जब देश 1947 में आजाद हुआ तब खुशी में कंपनी ने इसे लोगों को फ्री में बांटा था। इतना ही नहीं, यह क्रीम इतनी मशहूर हुई कि इसे जवाहरलाल नेहरू से लेकर एक्‍टर राजकुमार तक इस्‍तेमाल करते थे।

बोरोलिन सक्‍सेस स्‍टोरी: 87 साल पुरानी इस स्‍वदेशी कंपनी पर नहीं है एक भी रुपए का कर्ज !

जानिए पतंजलि के मुकाबले कहां है जीडी फार्मा

मौजूदा संदर्भ में अगर स्‍वदेशी कंपनियों की बात करें तो पतंजलि भी प्रमुख कंपनियों में से एक है। अगर जीडी फार्मा की तुलना पतंजलि से करें तो उस वक्‍त मार्केटिंग या प्रचार नहीं होता था।

ब्रिटिश कंपनियां महसूस करती थीं खतरा

आज स्‍वदेशी कंपनी पतंजलि ने मार्केंटिंग और अपने प्रचार के दम पर अच्‍छा खासा नाम कमाया है। यहां तक कि नेस्‍ले, कोलगेट सरीखी दिग्‍गज कंपनियां भी प‍तंजलि से खुद को खतरा महसूस करती हैं। कुछ ऐसा ही खतरा ब्रिटिश कंपनियों को जीडी फार्मा के वक्‍त होने लगा था।

ये हो सकती हैं बाेरोलिन की मजबूती की वजहें

हालांकि, 87 साल बीत जाने के दरमियां कई एंटीसेप्टिक क्रीमें आईं लेकिन बोरोलिन ने बाजार में अपनी पोजिशन मजबूती से बनाए रखी। इस निरंतरता के पीछे क्रीम की गुणवत्‍ता और पैकेजिंग को जिम्‍मेदार माना जा सकता है।

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English summary
Boroline's success story: This ‘Made in India' product doesn't have debt of a single Rupee on the government. this was used by jawaharlal nehru and actor rajkumar.
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