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सीएम शिवराज के 10 साल– व्यक्तित्व, राजनीति, प्रसाशनिक नेतृत्व

By Ajay Mohan
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सत्येन्द्र खरे

वरिष्ठ पत्रकार
सत्येंद्र खरे वरिष्ठ पत्रकार हैं एवं भोपाल, मध्य प्रदेश के निवासी हैं। आप मूल रूप से पन्ना के निवासी हैं। https://twitter.com/satyendrasachin

आज 29 नवंबर को शिवराज सिंह चौहान ने बतौर मुख्यमंत्री अपने 10 साल पूरे किये। इन 10 सालों में शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश को क्या कुछ दिया और अपनी राजनीति को तमाम विरोधों विवादों के बीच कैसे बचाए रखा, ये एक लंबी चर्चा का विषय हो सकता है, परंतु आज से 10 साल पहले प्रदेश की राजनीति वा हालात की तुलना में वर्तमान पूरी तरह बदल चुका है और इस बदलाव में श‍िवराज का बड़ा योगदान है।

Biography, Profile of Shivraj Singh Chauhan

जब श‍िवराज सिंह ने सीएम पद संभाला था तब भाजपा में उथल पुथल चल रही थी। प्रदेश की राजनीति मे इतने बड़े स्तर पर पदार्पण करना भी किसी अचंभे से कम नहीं था। बहरहाल उस समय हुए इस अप्रत्याशित परिवर्तन से प्रदेश को आज तक कभी किसी बड़े नुकसान का सामना नहीं करना पड़ा बल्कि शिवराज के मुख्यमंत्री बनने के बाद पिछले एक दशक मे प्रदेश के इतिहास में एक बड़ी सामाजिक क्रांति ही देखी गई। 10 साल में मुख्यमंत्री रहते शिवराज के अथक प्रयासों से प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में हुए सामाजिक परिवर्तन के लिए की गई तमाम घोषणाओं, योजनाओं एवं उनके सफल क्रियान्वयन के दम पर भाजपा और शिवराज लगातार तीसरी बार प्रदेश की सत्ता पाने मे सफल हुए।

सबसे कम उम्र के स्वयंसेवक के रूप में आये शिवराज?

शिवराज जब राजनीति में आए उस दौरान देश में इन्दिरा और कांग्रेस के विरुद्ध एक बड़ी लहर देखी जा रही थी। 1975 मे देश में लगे आपातकाल के दौरान जेल जाने वाले शिवराज कदाचित सबसे कम उम्र के स्वयं सेवक रहे होंगे। 1977-78 मे जब देश में जनता पार्टी कि सरकार बनी तब शिवराज ने संघ कि सेवा करने का ही मन बनाया और धीरे धीरे राजनीति मे अपनी परिपक्वता साबित करने लगे। 1977 से लेकर 1983 तक शिवराज सिंह चौहान ने छात्र राजनीति के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों को अपने नेत्रत्व क्षमता से सुशोभित किया।

उसके बाद में भारतीय जनता युवा मोर्चा में प्रदेश के सयुंक सचिव बन कर अपनी राजनेतिक यात्रा को नई दिशा दी। 1988 मे जब शिवराज पहली बार युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार के शासन और जुल्मों के विरोध में एक मशाल जुलूस का आयोजन किया। उन्होने राजमाता सिंधिया से आग्रह कर इस जुलूस के नेत्रत्व करने की बात कही, तब प्रदेश मे भाजपा के तत्कालीन नेत्रत्व के सामने दो बड़ी चुनोतियां सामने आ गईं कि क्या राजमाता सिंधिया, नाना जी देशमुख और कुशा भाऊ ठाकरे के कद और गरिमा केहिसाब से समर्थन जुट पाएगा?

ऐसे मे शिवराज ने ग्रामीण क्षेत्रो से 40000 किसानों के आने कि बात कहकर पूरे पार्टी नेत्रत्व को सहमा दिया, परंतु जब 7 अक्टूबर 1988 को भोपाल में जुलूस निकला तब भोपाल आने वाली सारी सड़के ट्रैक्टर, ट्रक, जीप और बैलगाड़ियों से अटी पड़ी थीं। संख्या 40000 से कही ज्यादा थी और दो दिन तक मशाल जुलुस में आए ग्रामीणों का भोपाल से लौटना बदस्तूर जारी रहा, 7 अक्टूबर के दिन ही राजमाता सिंधिया ने शिवराज के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया और ऐलान किया कि यह लड़का राजनीति मे बेहूत आगे जाकर देश को नई दिशा प्रदान करेगा।

कभी जमीन नहीं छोड़ी

शिवराज जब से राजनीति में आए है उन्होंने कभी अपनी ज़मीन छोड़ने की तनिक कोशिश भी नहीं की, वे हमेशा से अपने ठेठ अंदाज मे ही जनता के बीच जाते रहे और अपने भाषणों में बुन्देली जुमलों का प्रयोग कर समाज के पिछड़े वर्गों के बीच लोकप्रियता हासिल करते रहे है। आज के आधुनिक युग मे जब सब कुछ हाइटेक हो रहा है ऐसे में शिवराज ने अपने आप को कभी ऐसे प्रतीत नहीं होने दिया कि वो इस ह्रदय प्रदेश के मुखिया है, उनकी जनता के बीच शुरू मे बनी "पाव पाव वाले भैया" जैसी छवि आज भी बरकरार है जो कि उन्हे देश के अन्य मुख्यमंत्रियों से अलग करती है।

शिवराज आज ही नहीं बल्कि अपने राजनैतिक काल के प्रारम्भ से ही एक ऐसे संवेदनशील व्यक्ति के रूप में पहचाने जाने लगे थे, जिसके मन मे गरीब, किसान, बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों कि बेहतरी करने के लिए हमेशा पीड़ा रही है।

कई कन्याओं का कन्यादान किया

शिवराज सिंह चौहान जब 1991 मे बुधनी से विधायक और 1992 मे विदिशा से सांसद बने तब उन्होंने हजारों कि संख्या मे सामूहिक विवाह कराये। कई कन्याओं का कन्यादान लेकर यह संदेश दिया कि कन्या धरती पर भोज नहीं है, और बाद में जब वे मुख्यमंत्री बने तब उन्होने "कन्यादान योजना" बनाकर माताओं के भाई और बेटियों के मामा बनकर स्वयं कि छवि एक "मामा मुख्यमंत्री" के रूप मे स्थापित कर ली जो आज तक बदस्तूर जारी है।

बतौर मुख्यमंत्री रहते उनके काल मे भ्रूण हत्या को रोकने के लिए जो काम शिवराज कि महत्वाकांछी "लाड़ली लक्ष्मी योजना" और "बेटी बचाओ अभियान "ने किए वो अब तक देश का कोई बड़ा कानून भी संभव नहीं कर पाया है, आज प्रदेश मे 2001 कि में प्रति हज़ार 919 महिलाओं कि संख्या बढ़कर 2011 मे 931 महिला प्रति हज़ार हो गई है।

सामाजिक क्रांति लाये श‍िवराज

गांवों मे सामाजिक क्रांति लाने के लिए शिवराज सिंह चौहान के कुछ प्रयास और प्रसाशनिक नेत्रत्व अत्यंत सरहनीय रहे जो अनेक राज्यों एवं केंद्र के लिए अनुकरणीय बने। गांव की बेटी योजना, जननी सुरक्षा एव जननी प्रसव योजना, स्वागतम लक्ष्मी योजना, उषा किरण योजना, तेजस्विनी, वन स्टॉप क्राइसेस सेंटर, लाडो अभियान, महिला सशक्तिकरण योजना, कन्यादान एवं निकाह योजना, शोर्य दल का गठन, छात्राओं के लिए मुफ्त पाठ्य पुस्तके, साइकिल, विभिन्न छात्रव्रतियाँ और नगरीय निकाय मे 50 प्रतिशत महिला आरक्षण कर महिला सशक्तिकरण कि दिशा में काम किये।

इससे उन्होंने देश में महिलाओं के लिये सर्वाधिक कार्य करने के अद्वितीय उदाहरण पेश किये। महिलाओं कि बेहतरी कि दिशा में उठाए गए इन कदमों का श्रेय शिवराज को ही जाता है। इसी का परिणाम यह रहा कि 2013 मे हुए विधानसभा चुनाव मे महिलाओं ने शिवराज सिंह चौहान को जिताने मे कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी।

आज शिवराज प्रदेश के ऐसे मुख्यमंत्री के रूप मे पहचान बना चुके हैं, जो प्रदेश के मुखिया भले हो परंतु ज़मीन पर जाकर काम करने से कभी परहेज नहीं करते, एक सेवक के रूप मे वे गावों में, खेतों में, पंचायतों मे जाकर ये परखने का काम आज भी कर रहे हैं। अपनी ज़मीन की परख के बल पर ऐसी योजनाए बनाने मे सक्षम हुए हैं, जिसमें गांवों का विकास तो संभव हो ही साथ ही उनकी राजनीति भी गाव, जंगल, जमीन, किसान और महिला कल्याण के रूप मे जानी जाती रहे।

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English summary
Madhya Pradesh chief minister Shivraj Singh Chauhan has completing 10 years as CM on November 29th. Here we are discussing his career as CM.
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