आज की अक्षय तृतीया हर लिहाज से है मंगलकारी, जानिए खास बातें..
आज अक्षय तृतीया है कहते हैं आज के दिन जो चीज खरीदी जाती है उसका कभी अक्षय नहीं होता है। आज की अक्षय तृतीया काफी पावन और शुभ है क्योंकि ये सोमवार के दिन पड़ी है।
अक्षय तृतीया से शादियां शुरू होती हैं और यूपी है जहां कुंवारों का हाल यह है
आईये जानते हैं इस पावन पर्व के बारे में खास बातें..
- अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं।
- पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहते हैं।
- भविष्य पुराण में लिखा है कि इस दिन से ही सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था।
- भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।
इस महान पर्व के बारे में और बातें जानते हैं नीचे की स्लाइडों के जरिये...
ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार
माना जाता है कि ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव आज ही के दिन हुआ था।
श्री बद्रीनाथ के कपाट
इसी दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं इसी कारण आज के ही दिन श्री बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं।
श्री बांके बिहारी जी
वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं।
महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था
पद्म पुराण के मुताबिक इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था।
हर काम में सफलता
इसलिए कहा जाता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता।
किसी भी चीज का क्षय नहीं
मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं।
बहुत ज्यादा शुभ
यह तिथि यदि सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दान, जप-तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता हैं।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए खरीदें सोना
भगवान विष्णु की प्राणप्रिय हैं मां लक्ष्मी और मां लक्ष्मी को सोना काफी पसंद हैं इसी कारण कहा जाता है कि आज के दिन सोने की खरीदारी जरूर करनी चाहिए।
मांगलिक कार्य प्रारंभ
इस दिन से शादी-ब्याह करने की शुरुआत हो जाती है। बड़े-बुजुर्ग अपने पुत्र-पुत्रियों के लगन का मांगलिक कार्य आरंभ कर देते हैं लेकिन इस बार सूरज डूबने के कारण मांगलिक कार्य प्रारंंभ नहीं होंगे।
परशुराम जंयति
जैनियों और सनातन धर्म के लोगों के लिए आज का दिन काफी पावन है तो वहीं कुछ लोग आज के दिन परशुराम जयंति के रूप में मनाते हैं क्योंकि स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया था।