बाबरी विध्वंस बरसी: 24 साल बाद भी सिसक रही अयोध्या...
आखिर कब होगा अयोध्या में विकास का सवेरा, इन सारी बातों का जवाब कब और कौन देगा?
बैंगलोर। आज बाबरी विध्वंस की 24वीं बरसी है। आज ही के दिन अयोध्या में कुछ ऐसा हुआ था जिसने पूरे भारत में एक सनसनी फैला दी थी। मामला कोर्ट में पहुंचा और बहुत सारा खून बहा, जिसके बाद अयोध्या में भगवान राम भी कटघरे में बंद हो गए।
अगले साल राम मंदिर जरूर बनेगा- सुब्रमण्यम स्वामी
आज भी मंदिर-मस्जिद विवाद पर चुनावी बिसातें बिछायी जाती है। जब भी चुनाव आते हैं तो राम लला के मंदिर मुददे को बड़ी ही शिद्दत से उठाया जाता है लेकिन चुनावी रंगत खत्म होते ही ये मुद्दा और मंदिर दोनों गायब हो जाते हैं।
अयोध्या की बात केवल मंदिर के लिए ही क्यों?
जब-जब अयोध्या की बात हमारे राजनेता करते हैं तब-तब राममंदिर की बातें होती है लेकिन कभी किसी ने इस शहर की माली हालत की बारे में सुध नहीं ली। उन युवाओं के बारे में नहीं सोचा जो देश के भविष्य हैं।
आज बच्चे जवान हो चुके हैं लेकिन उनका भविष्य अंधेरे में है
साल1992 में जिन बच्चों के समय विध्वंस हुआ था वो आज जवान हो चुके हैं लेकिन उन्होंने अपने लड़कपन से जवानी की दहलीज तक में कभी अयोध्या को फलते-फूलते नहीं देखा। ना तो यहां मौली चीजें मसलन बिजली, पानी औऱ सड़क है और ना ही यहां कोई रोजगार के पर्याप्त साधन।
कहां जाएं और कैसे जाएं पढ़ने
वैसे अपनी भौतिक चीजों के लिए तो पूरा यूपी संघर्ष कर रहा है लेकिन अयोध्या ने तो अपने संघर्ष की हद ही पार कर दी है। इससे सटे फैजाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हुए मैंने इस शहर को बहुत करीब से जाना है। यहां के लड़के-लड़कियों के लिए इंटरनेट किसी जादूई औऱ मायावी चीजों से कम नहीं हैं। अयोध्या की लड़कियां इसलिए आगे नहीं पढ़ पाती है क्योंकि उच्च शिक्षा के लिए फैजाबाद आना पड़ेगा जो उनके घर वाले कर नहीं सकते हैं और अयोध्या में पर्याप्त साधन नहीं है।
मंदिर बन जाने से समस्याएं खत्म हो जाएंगी
अजीब बात हैं कि यूपी से लेकर दिल्ली तक हमेशा अयोध्या के मंदिर की बात होती है लेकिन कभी यह नहीं सोचा जाता कि क्या केवल मंदिर बन जाने से ही यह शहर अग्रणी हो जायेगा। मंदिर पर मत्था टेकने से ही शहर की हालत सुधर जायेगी। अखिलेश से लेकर राहुल तक, मायावती से लेकर भाजपा तक राम मंदिर पर बहस करते हैं लेकिन अयोध्या पर कभी कोई बहस नहीं होती।
आखिर कब होगा वहां विकास का सवेरा
आखिर क्यों रामलला के बाशिंदे आज भी अपनी बेबसी और लाचारी पर आंसू बहा रहे हैं? आखिर कब तक अयोध्या को केवल 6 दिसंबर के लिए ही याद किया जाएगा और आखिर कब होगा वहां विकास का सवेरा..इसका जवाब हमें कौन देगा?
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