जानिए क्या है रेलवे में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर?
नई दिल्ली। नाम सुनकर चौंक गये ना आप इसलिए आज हम आपको बताते हैं कि रेलवे के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के बारे में जिसे जानना बेहद जरूरी भी है। दरअसल भारतीय रेल के माल ढुलाई परिचालनों में आमूल-चूल बदलाव के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को लाया गया है। ये दो तरह से लागू किया जा रहा है पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) और पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर(ईडीएफसी)।
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पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) और पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर(ईडीएफसी) के वर्ष 2017-18 से प्रारम्भ होकर अगले चार वर्षों में चरण-वार पूरा होने के साथ ही भारतीय रेल के माल ढुलाई परिचालन में आमूल-चूल बदलाव आएगा।
पर्यावरणीय स्वीकृतियां
आपको बता दें कि कुल 10548 हैक्टेयर जमीन में 86 प्रतिशत का अधिग्रहण किया जा चुका है और 9 राज्यों तथा 61 जिलों से होकर गुजरने वाली इन परियोजनाओं के लिए ज्यादातर पर्यावरणीय स्वीकृतियां प्राप्त की जा चुकी हैं।
रेलवे के परिचालनों में मूलभूत बदलाव
दोनों परिेयोजनाओं के चालू होने से, न सिर्फ रेलवे को माल ढुलाई याफ्रेट परिवहन में अपनी बाजार हिस्सेदारी को पुन: प्राप्त करने में मदद मिलेगी, बल्कि साथ ही यह माल ढुलाई की कारगर, विश्वसनीय, सुरक्षित एवं किफायती व्यवस्था की भी गारंटी होगी। माल ढुलाई से संबंधित इन दो कोरिडोर्स के चालू होने से, परिवहन की इकाई लागत में कटौती होने, छोटे संगठन और प्रबंधन की कम लागत होने और ऊर्जा की कम खपत से रेलवे के परिचालनों में मूलभूत बदलाव आएगा।
औद्योगिक कार्यकलापों में मदद करेंगे
रेल मंत्रालय द्वारा वर्ष 2006 में विशेष प्रयोजन संस्था के रूप में गठित किए गए डेडिकेटेड फ्रेट कोरीडोर कॉपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे दोनों डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स - पश्चिमी और पूर्वी रेल मार्गों के साथ बने रेलवे के बेहद भीड़भाड़ वाले स्वर्णिम चतुर्भुज को राहत पहुंचाएंगे और कोरिडोर्स के साथ नये औद्योगिक कार्यकलापों तथा मल्टी मॉडल मूर्ल्य वर्धित सेवा केंद्रों को सहायता प्रदान करेंगे।
राजस्व का 58 प्रतिशत का वहन
भारतीय रेल के स्वर्णिम चतुर्भुज में दो विकर्णों (दिल्ली-चेन्नई और मुम्बई-हावड़ा) सहित चारों महानगरों दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और हावड़ा (कोलकाता) को जोड़ने वाला रेलवे नेटवर्क शामिल है। इसके कुल मार्ग की लम्बाई 10, 122 किलोमीटर है और यह मालढुलाई से रेलवे को प्राप्त होने वाले राजस्व का 58 प्रतिशत से अधिक हिस्सो का वहन करता है।
दीर्घकालिक अल्पनिवेश
रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने वर्ष 2015-16 के अपने बजट भाषण में कहा था कि इसका मूलभूत कारण रेलवे में दीर्घकालिक अल्पनिवेश है। इसकी वजह से उपनुकूलित फ्रेट और यात्री यातायात तथा अल्प वित्तीय संसाधनों के साथ भीड़-भाड़ और अतिशय उपयोग में वृद्धि हुई है।
रेल की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा
यह ध्यान देने योग्य है कि दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से रेलगाड़ी की अधिकतम गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के कार्यान्वयन में निम्न कार्बन मार्ग, विभिन्न तकनीकी विकल्पों को अपनाने पर ध्यान दे रहा है, जिससे अधिक ऊर्जा दक्षता के साथ इन्हें परिचालित किया जा सकेगा।
चार और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) बनाने की योजना
रेल मंत्रालय की चार और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) बनाने की योजना है और इनके लिए डीएफसीसीआईएल को प्रारंभिक इंजीनियरिंग और यातायात सर्वेक्षण (पीईटीएस) का काम सौंपा गया है। ये अतिरिक्त कॉरिडोर करीब 2,330 किलोमीटर का पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर (कोलकाता-मुम्बई), करीब 2,343 किलोमीटर का उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर (दिल्ली-चेन्नर्इ), 1100 किलोमीटर का पूर्व तटीय कॉरिडोर (खड़गपुर-विजयवाड़ा) और लगभग 899 किलोमीटर का दक्षिणी कॉरिडोर (चेन्नई-गोवा) हैं।