दिल्ली-पुलिस हेडक्वार्टर के पास तिरंगे का अपमान करती औरतें
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) राजधानी में दिल्ली पुलिस का हेड क्वार्टर बेहद करीब है प्रगति मैदान से । एक किलोमीटर से भी कम का फांसला होगा दोनों के बीच। प्रगति मैदान में आजकल विश्व पुस्तक मेला चल रहा है। प्रगति मैदान के मेन गेट पर रोज तीन-चार औरतें खड़ी होती हैं।
फंसते लोग
ये इधर पुस्तकों को देखने-खरीदने के लिए आने वालों की कमीज,कोर्ट या जैकेट पर एक छोटा तिरंगा लगाती हैं या इसकी कोशिश करती हैं। ये सब बिना पूछे किए जाता है। जो तिरंगा लगवा लेते हैं, उनसे बीस से पचास रुपये मांगे जाते हैं। कुछ बेचारे शरीफ लोग उनकी मांगों के आगे झुक जाते हैं, कुछ बहस करते हैं तो उन्हें ये औरतें धमकाने लगती हैं। कहती हैं कि तुमने ही पहले कहा था तिरंगा लगाने के लिए।
तिरंगे का अपमान
कुछ लोग इन्हें तिरंगा लगाने से मना करते हैं तो ये इनका काफी दूर तक पीछा करती हैं। इस सारी कवायद में कई बार तिरंगा जमीन में गिर जाता है। तिरंगे का अपमान होता है। आज इस लेखक ने कुछ देखा इन औरतों का खेल। ये हरेक आने वाले को तिरंगा लगा रही थीं। बहुत से लोग तिरंगा लगवाने के लिए तैयार हो रहे थे ये सोचकर कि ये मुफ्त में लगाया जा रहा है। पर लगाने के बाद जब ये औरतें उनसे पैसे मांगती हैं तो सारा खेल समझ आ जाता है।
बैंकर आर.वेंकेटेश आज सपत्नीक इधऱपुस्तक मेले में आए थे। उन्हें और उनकी पत्नी को इन औरतों ने घेरा। तिरंगा लगाया दोनों को। जब पैसे मांगे गए तो विवाद शुरू हुआ।
खेल बिगड़ा
ये दोनों बहुत ही छोटे से तिरंगे के लिए 100 रुपये देने के लिए राजी नहीं थे। इस पर ये औरतें भड़क गई। हालांकि इधर मेन गेट के पास दिल्ली पुलिस के कुछ जवान बैठे थे, पर कोई भी इन औरतों की हरकतों को रोकने के लिए तैयार नहीं है। ये जगह सप्रीम कोर्ट के तो ठीक सामने है।
बता दें कि कुछ औरतें दिल्ली से सटे गाजियाबाद में भी बसे अड्डे पर आने वाले लोगों को तिरंगा लगाती है। फिर पैसे मांगे जाते हैं। पैसे के सवाल पर पंगा होता है। तब इन औरतों का असली चेहरा सबके सामने आता है। ये गाली-गलौच पर उतर आती हैं।
अब सवाल उठता है कि इन औरतों को इधर तिरंगा लगाने के लिए किसने कहा है? किसी मर्जी से ये तिरंगा लगा रही हैं ? इस सवाल का जवाब दिल्ली पुलिस और प्रगति मैदान के मैनेजमेंट को देना होगा।