केंद्रीय मंत्रालय में नौकरीपेशा मांं का बच्चा भीख मांगने पर हुआ मजबूर
पहले पति से हुए बेटे को मां ने छोड़ा। मां के खिलाफ मामला दर्ज।
दिल्ली। लोधी रोड पर बने सरकारी फ्लैट में मां रहती थी और बेटा बगल के पार्क में छह महीने से भीख मांगकर गुजारा कर रहा था। केंद्रीय मंत्रालय में नौकरीपेशा मां और भीख मांगकर जिंदगी काटने पर मजबूर हुए बेटे की यह कहानी हैरान करने वाली है।
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मां ने बेटे को घर से चले जाने को कहा
14 साल के बेटे का कहना है कि मां ने उसको घर से चले जाने को कहा। उसके बाद वह पार्क में रहा और भीख मांगकर पेट भरता रहा जबकि पास के फ्लैट में रह रही मां ने उसकी कोई खबर नहीं ली। पिछले सप्ताह चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने बच्चे को बचाया और लाजपत नगर के चिल्ड्रेंस होम में भेज दिया।
मां के खिलाफ मामला दर्ज
इस मामले की शिकायत चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अधिकारियों ने थाने में की, जिसके बाद पुलिस ने मां के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
अधिकारियों के अनुसार, बेटे का कहना है कि मां उसको पीटती थी और कमरे में बंद कर देती थी।
मां के साथ हुआ बच्चे का झगड़ा
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, इसी साल अप्रैल में मां ने नोयडा के एक बोर्डिंग स्कूल में दाखिले के लिए बच्चे को टेस्ट दिलवाया जिसमें असफल रहने के बाद मां-बेटे में झगड़ा हुआ। बहस के दौरान मां ने बच्चे को घर छोड़ देने को कहा। इसके बाद बच्चा दोस्त के यहां रात बिताने के बाद जब सुबह घर लौटा तो मां ने उसे दरवाजे से अंदर नहीं आने दिया।
बच्चे ने बताया कि इसके बाद वह घर के बगलवाले पार्क में रहने लगा और पेट भरने के लिए उसे दूसरों का मोहताज होना पड़ा। उसके परिवार ने उसकी सुधि नहीं ली। एक बार वह अपने कपड़े के लिए घर गया तो वहां ताला लगा था।
चाइल्ड हेल्पलाइन पर किया फोन
बच्चे ने एक दिन फोन करके चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को अपने बारे में बताया। उसके बाद उसे बचाया गया। अधिकारियों ने मां से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि बेटे के बारे में उनको कुछ भी मालूम नहीं है कि वह कहां है और क्या कर रहा है?
मां ने कहा, मुझे झूठे केस में फंसा रहे हैं लोग
मां ने बेटे के बारे में कहा कि वह बुरी संगत में पड़ गया था और घर से भाग जाता था। मां ने बताया, 'वह घर से जाता था तो कई दिनों तक वापस नहीं लौटता था। मैंने उसका दाखिला कई स्कूलों में करवाया लेकिन उसके व्यवहार की वजह उसे वहां से निकाल दिया जाता था। हमने इस बारे में उससे बात करते थे लेकिन वह दुर्व्यवहार करता था। एक बार बहस कर रहा था तो मैंने उसे घर छोड़ने को कह दिया। उसके बाद वह दोस्तों के पास रह रहा था। मैंने उसको उसके पिता का एड्रेस दिया था और कहा था कि जाकर उनके पास रहो।
यह मेरा पारिवारिक मामला है और इसका समाधान भी हो जाएगा। मैंने पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को इस बारे में जवाब दिया है। मेरे बेटे को इस्तेमाल कर लोग मुझे फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।'
तलाकशुदा मां-बाप के बच्चे होने का 'जुर्म'
अधिकारियों के अनुसार, जब बच्चा छोटा था तब ही उसके मां-बाप का तलाक हो गया था। मां ने दूसरी शादी कर ली और दूसरे पति से उनको दो बेटियां हैं। बच्चा मां के साथ ही रहता था। महिला के दूसरे पति की मौत हो चुकी है।
एक मनोचिकित्सक के अनुसार मां-बाप के बीच तलाक होने पर कई बच्चे गहरे अवसाद के शिकार होते हैं। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है।
मां के पास नहीं लौटना चाहता है बच्चा
अधिकारी इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि बच्चा अपने परिवार के पास लौट जाए लेकिन वह मां के साथ रहने को तैयार नहीं है। बच्चा वेलफेयर होम में ही रहना चाहता है।
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