दिल्ली: सरकारी स्कूल में छठी क्लास के आधे बच्चे एक शब्द नहीं जानते
दिल्ली। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की खराब स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पढ़ने वाले छठी क्लास के आधे विद्यार्थी बिल्कुल नहीं पढ़ पाते। इनमें से सिर्फ एक चौथाई छात्र ही अपनी कक्षा की हिंदी या दूसरी क्लास की अंग्रेजी किताब पढ़ पाए।
सरकारी सर्वे से पता चली चौंकाने वाली बातें
एक सरकारी सर्वे में यह चौंकाने वाले आंकड़े मिले हैं। 1,011 स्कूलों के 201,997 विद्यार्थियों पर यह सर्वे किया गया। इसमें सभी विद्यार्थियों के पढ़ने की योग्यता का टेस्ट लिया गया। सबको बोलकर पढ़ने को कहा गया जिसमें 13 प्रतिशत विद्यार्थी तो वर्णमाला ही नहीं पहचान पाए और सिर्फ 33 प्रतिशत बच्चे तीन अंकों के भाग को हल कर पाए।
इस सर्वे में सातवीं, आठवीं और नौंवी क्लास के विद्यार्थियों का भी टेस्ट लिया गया है जिसका रिजल्ट इस महीने के अंत तक आएगा।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार करा रही सर्वे
सरकारी स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आम आदमी पार्टी सरकार अपनी इनिशिएटिव 'चुनौती 2018' के तहत यह सर्वे करा रही है। इस रिजल्ट के बाद क्लास के विद्यार्थियों को समूहों में बांटकर फिर उनको अपने क्लास के स्तर तक लाने के लिए स्पेशल क्लास लगाई जाएगी।
दिल्ली की नगर निगम स्कूल में पांचवीं क्लास तक पढ़ाई जाती है। पांचवीं पास करने के बाद सरकारी स्कूलों में छठी क्लास में छात्र दाखिला लेते हैं। नगर निगम 1860 स्कूल चलाती हैं जिसमें लाखों बच्चे पढ़ने आते हैं।
इस सर्वे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया है। उन्होंने इस सच्चाई को स्वीकार करते हुए इसे खतरनाक बताया है और कहा है कि वे इसी को बदलने के लिए राजनीति में आए हैं।
सर्वे रिजल्ट
46% - एक शब्द नहीं पढ़ पाए।
74%
-
हिंदी
की
किताब
का
एक
पैराग्राफ
नहीं
पढ़
सके।
75%
-
दूसरी
क्लास
की
अंग्रेजी
की
किताब
नहीं
पढ़
पाए।
67%
-
तीन
अंकों
में
एक
अंक
की
संख्या
से
भाग
नहीं
दे
पाए।
13%
-
अंग्रेजी
की
वर्णमाला
नहीं
पहचान
पाए।
44%
-
दो
अंको
का
घटाव
नहीं
बना
पाए।