मोबाइल व इंटरनेट की लत छुड़ाएगा एम्स, शुरू किया स्पेशल ओपीडी
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि इंटरनेट व स्मार्ट फोन के बढ़ते इस्तेमाल का असर लोगों के व्यवहार पर दिखने लगा है। बच्चे और कॉलेजों में पढ़ने वाले युवा ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
नई दिल्ली। भारत के सबसे प्रीमियर मेडिकल इंस्टीट्यूट(एम्स) में अब साइबर दुनिया के आदी होकर मानसिक तौर पर बीमार होने वाले मरीजों का भी इलाज होगा।
सोशल मीडिया, आॅनलाइन गेम्स आदि की लत लगने की वजह से मानसिक बीमारियों से जूझने वालों के लिए यहां एक स्पेशल साइकिएट्रिक ओपीडी(आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) शुरू किया गया है।
एम्स के बिहेवोरियल एडिक्शन क्लीनिक के प्रमुख मनोचिकित्सक डॉ. यतन पाल सिंह बल्हारा ने अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इंटरनेट का अधिक इस्तेमाल करने की वजह से कई मरीजों में तनाव, चिंता आदि बीमारियां देखी गई हैं।
फिलहाल, इस क्लीनिक को मरीजों के लिए शनिवार को सवेरे 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक खोला जाएगा। इस समय को मरीजों की तादाद के हिसाब से भविष्य में बढ़ाया भी जा सकता है। अभी फिलहाल हर रोज 6 से 7 मरीज आते हैं।
दिल्ली के छात्र रोहित नागपाल(बदला हुआ नाम) ऑनलाइन गेम्स का लती बनने से पहले कक्षा 11 तक टॉपर स्टूडेंट था। एक डॉक्टर ने बताया कि इसकी वजह से रोहित की पढ़ाई इस कदर प्रभावित हुई कि कक्षा 12 में वह फेल हो गया। उसका उपचार चल रहा है।
19 फरवरी को भी एक ऐसा मामला सामने आया था जिसमें कि दाे भाई गेम के आदी होने की वजह से एक महीने तक आरएमल अस्पताल के मानसिक उपचार विभाग में पुनर्वास के लिए भर्ती रहे।
इसमें सामने आया था कि दिनभर गेम्स खेलने की वजह से उनकी पढ़ाई, खानपान और दैनिक दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो गई। इसकी वजह से वेे खेलते वक्त कई बार कपड़ों में ही पेशाब तक कर देते थे।
सेलफोन एडिक्शन बहुत खतरनाक साबित हो रहा है और इसके दुष्परिणाम देखे जा रहे हैं। एक ऐसा ही केस और भी सामने आया था जिसमें कि 14 वर्षीय लड़की ने अपने पिता को ही इसलिए थप्पड़ जड़ दिया क्योंकि वह उससे उसका फोन ले रहे थे।
जब उससे पूछा गया कि उसने ऐसा क्यों किया, तो उसका कहना था कि माता-पिता हमेशा बिजी रहते थे जबकि उसके दोस्त बात करने के लिए ऑनलाइन मौजूद रहते थे। उसने कहा था कि फोन के बिना मेरी जिंदगी संभव ही नहीं है।