JNU: एबीवीपी को फासिस्ट और दलितविरोधी बताकर उपाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा
दिल्ली। भाजपा के यूथ विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को बड़ा झटका लगा है। इसके जेएनयू यूनिट के उपाध्यक्ष जतिन गोराया ने पद से इस्तीफा दे दिया है। गोराया ने एबीवीपी पर यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया है कि यह संगठन जातिवादी और फासिस्ट है। उनका कहना है कि दलितों के मुद्दों पर एबीवीपी ने जो स्टैंड लिया उससे भी वह सहमत नहीं है।
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'एबीवीपी से मेरे काफी मतभेद हैं'
जतिन गोराया का कहना है कि कई मुद्दों पर एबीवीपी से उनके मतभेद रहे हैं। रोहित वेमुला के मसले पर एबीवीपी ने कोई स्टैंड नहीं लिया और यहां तक कि हाल में हुए दलित हमलों पर भी इस संगठन ने एक भी टिप्पणी करने तक की जरूरत नहीं समझी। इसलिए आने वाले जेएनयू छात्रसंघ चुनाव से पहले मैंने इस्तीफा देने का स्टैंड लिया है।
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जेएनयू में मनुस्मृति के पन्नों को जलाने में शामिल
एबीवीपी के छात्र नेता होते हुए भी जतिन गोराया जेएनयू में मनुस्मृति के पन्नों को जलाने वाले छात्रों में शामिल रहे थे। एक महीने पहले मनुस्मृति को दलित विरोधी और महिला विरोधी बताते हुए छात्रों ने इसके पन्ने जलाए थे।
फरवरी में भी हो चुके हैं कुछ छात्र नेताओं के इस्तीफे
एबीवीपी के जेएनयू यूनिट के ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रदीप नारवाल और दो अन्य ने फरवरी में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। जतिन गोराया का कहना है कि उनका इस्तीफा रोहित वेमुला के सिद्धांतों को श्रद्धांजलि है और वह फिलहाल किसी और राजनीतिक संगठन में शामिल नहीं हो रहे हैं।