कोई सर्जरी तो कोई मेटरनिटी लीव छोड़कर कर रहा है बैंक की ड्यूटी, फिर भी गुस्से के शिकार
नोटबंदी के बाद कई जगहों पर 14 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं बैंक कर्मचारी इसके बावजूद उन्हें ही सबसे ज्यादा लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है।
नई दिल्ली। जब से मोदी सरकार ने नोटबंदी का आदेश दिया है उसके बाद से बैंककर्मियों की ओर किसी का ध्यान नहीं गया है। हर कोई एटीम और बैंकों के सामने लगे कतार की बात कर रहा है, विपक्ष सरकार को और सरकार विरोधी दलों को कोस रहे हैं।
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लेकिन 12 से 14 घंटे ड्यूटी कर रहे बैंककर्मी के बारे में किसी ने बात नहीं की है। मीडिया चैनलों की कुछ टीमों ने जब इस बारे में पता किया तो पाया की देश के कुछ बैंकों के कुछ कर्मी तो ऐसे हैं जो कि कई दिनों से घर ही नहीं गए हैं।
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तो वहीं कुछ इम्प्लॉइज ऐसे हैं जो या तो बीमारी के कारण छुट्टी पर या फिर मेटरनिटी लीव के कारण अवकाश लेने वाले थे,वो भी इस समय काम में जुटे हुए हैं। ग्वालियर के एक बैंक की मैनेजर वर्षा तोमर 8 महीने की गर्भवती है और उनकी मेटरनिटी लीव पास भी हो चुकी है, बावजूद इसके वो इस समय बैंक आ रही हैं और 10 से 11 घंटे काम कर रही हैं।
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ऐसी ही हालत यूपी के प्रतापगढ़ के एक बैंक की महिला कर्मी निधि सिंह की भी है, जिन्हें मेटरनिटी लीव मिल चुकी थी, लेकिन वो भी इस समय बैंक आ रही हैं और काम कर रही हैं तो वहीं सेंट्रल बैंक के एक पुरूषकर्मी के पथरी का ऑप्रेशन होना था लेकिन उन्होंने भी नोटबंदी के कारण बढ़े काम के कारण अपना आप्रेशन टाल दिया है।
नोट गिनने के लिए 11 बजे तक रूकना पड़ता है
वैसे तो पब्लिक डीलिंग शाम छह बजे तक होती है लेकिन हालात ऐसे बने हुए हैं कि सभी बैंककर्मियों को रात करीब 11 बजे तक रूकना पड़ता है क्योंकि पब्लिक डीलिंग के बाद नोटों की गिनती करनी होती है।
फिर भी हो रहे हैं लोगों के गुस्से के शिकार
ऐसे ही हालत देश के लगभग हर बैंक की है लेकिन इसके बावजूद इन कर्मियों को दुख इस बात का है कि जब बैंक से पैसा लोगों को नहीं मिलता है तो वो बैंककर्मियों पर ही भड़क रहे हैं और उन पर गुस्सा निकालते हैं जबकि गौर से देखा जाए तो इन सबके बीच में बैंक मैनेजर और इम्प्लॉइज की क्या गलती है?