पन्नीरसेल्वम: नगरपालिका अध्यक्ष से CM तक की कुर्सी का सफर, ये हैं उनकी खास बातें
नई दिल्ली। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की रहस्यमयी बीमारी के बाद उनके सभी विभाग सरकार में वित्त मंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम को दे दिए गए हैं।
अब तक प्रशासनिक सुधार और वित्त मंत्रालय का कार्यभार देख रहे पन्नीरसेल्वम अब कैबिनेट की बैठकों में भी अगुवाई करेंगे। आईए आपको बताते हैं कि पन्नीरसेल्वम की खास बातें क्या-क्या है?
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ये था पन्नीरसेल्वम का सपना...
राज्य के थेनी जिला स्थित पेरियाकुलम के मध्यवर्गीय परिवार से उठ कर राजनीति के इस स्तर पर पहुंचे हैं।
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एमजीआर और उनकी पार्टी का मजबूत समर्थक रहे पन्नीरसेल्वम का सपना था कि वो पेरियाकुलम नगरपालिका के अध्यक्ष बन जाएं। 1996 में अध्यक्ष बनने के बाद वो धीरे-धीरे सब कुछ हासिल करते गए।
यह उनके लिए भगवान या अम्मा का तोहफा था।
पन्नीरसेल्वम की यह बात जयललिता को है पसंद
जयललिता ने पन्नीरसेल्वम में जो अब तक खास बात ध्यान दी है वो है उनका धैर्य है। इतना ही नहीं पार्टी में वरिष्ठ नेता भी इस बात को मानते हैं कि पन्नीरसेल्वम कभी किसी पद के लिए उग्र नहीं हुए।
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जब एआईडीएमके के नेताओं ने 1996 में जयललिता की पहली सरकार के बाद डीएमके ज्वाइन किया तो पन्नीरसेल्वम उन कुछ लोगों में से थे जो जयललिता के पीछे खड़े थे।
कई बार उनके रिश्तेदारों पर भ्रष्टाचार की रिपोर्ट सामने आई जिसके बाद पन्नीरसेल्वम ने कहा था कि वो सब कुछ लौटाने के लिए तैयार हैं जो उनके परिवार ने अम्मा के न रहने पर कमाया है।
जब स्टालिन ने कहा बेनामी सीएम
सन् 2014 में जब पन्नीरसेल्वम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने तो डीएमके नेता एम.के स्टालिन ने उन्हें बेनामी सीएम कहा था।
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उन्हें जयललिता का बेनामी बताते हुए स्टालिन ने कहा था कि सीएम पद पर रहते हुए पन्नीरसेल्वम की बेबसी कभी माफ नहीं की जाएगी।
स्टालिन ने कहा था कि आपकी ड्यूटी है कि आप तमिलनाडु की जनता की सेवा करें न कि दोषी ठहराए गए अपराधियों (जयललिता और शशिकला) की।
पन्नीरसेल्वम उन मंत्रियों में से एक हैं जिनकी आंखो में जयललिता की गैरमौजूदगी में हो रहे शपथ ग्रहण के दौरान आंसू थे।
इस बार हो सकती है कठिनाई
दो बार सीएम पद के पद पर रहने के बावजूद इस बार पन्नीरसेल्वम के लिए सीएम का पोर्टफोलियो संभालना थोड़ा कठिन हो सकता है। क्योंकि जयललिता के अस्पताल से आने में कितना वक्त लगेगा यह कोई नहीं जानता।
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उनके मातहत कम करने वाले एक अफसर ने कहा कि वो न तो बेहतर है बॉस हैं, न कमाण्डर। लेकिन उन्हें व्यवस्था संभालने में कोई दिक्कत नहीं होगी।