हिंसा और तनाव के बीच तमिलनाडु विधानसभा में पारित हुआ जल्लीकट्टू विधेयक
सोमवार सुबह चेन्नई और राज्य के दूसरे हिस्सों में हुई हिंसा के बीच तमिलनाडु विधानसभा ने जलीकट्टू विधेयक को पारित कर दिया है। विधेयक को मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने विधानसभा में पेश किया।
चेन्नई। जलीकट्टू को लेकर तमिलनाडु में हिंसा के के बीच आज तमिलनाडु विधानसभा में जल्लीकट्टू विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।इसके बाद जल्लीकट्टू का आयोजन राज्य में स्थाई रूप से संभव हो सकेगा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने विधानसभा में बिल पेश किया जिसके बाद इस पर सर्वसम्मति से मुहर लग गई। इससे पहले केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के जलीकट्टू पर बैन को खत्म कर दिया था लेकिन राज्य में प्रदर्शन लगातार जारी रहे।
सोमवार
सुबह
भड़क
उठी
हिंसा
जल्लीकट्टू
के
समर्थन
में
चेन्नई
के
मरीना
बीच
पर
चल
रहा
प्रदर्शन
आज
हिंसक
हो
गया।
भीड़
ने
पुलिस
और
थाने
पर
हमला
किया
तो
पुलिस
के
लाठीचार्ज
में
बड़ी
संख्या
में
लोग
घायल
हुए
हैं।
जल्लीकट्टू
के
आयोजन
से
हर
तरह
की
रोक
को
हटाने
की
मांग
को
लेकर
पिछले
एक
सप्ताह
से
राजधानी
चेन्नई
के
मरीना
बीच
पर
प्रदर्शन
कर
रहे
सैकड़ों
प्रदर्शनकारियों
को
सोमवार
तड़के
पुलिस
ने
हटाना
शुरू
कर
दिया।
पुलिस
के
प्रदर्शनकारियों
को
हटाने
पर
भीड़
और
प्रशासन
आमने-सामने
आ
गए,
जिसके
बाद
हिंसा
भड़क
उठी।
भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो भीड़ बेकाबू हो गई। प्रदर्शनकारी ने आगजनी करते हुए पुलिस थाने में खड़े वाहनों को जला दिया और पुलिस पर भी हमला किया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके तो वहीं पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए आंसू गैस के गोले दागे। पुलिस की कार्रवाई में बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं घायल हो गईं। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों और बाइकों में आग लगा दी, जिसके बाद मरीना बीच के आस-पास हर तरफ धुंए के गुबार दिखने लगे। राज्य के दूसरे कई हिस्सों में भी हिंसा हुई है। हिंसा में दो दर्जन के ज्यादा वाहन जला दिए गए तो वहीं 22 से 24 पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों के पत्थर लगने से घायल हो गए। पुलिस ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया है। राज्य में कई जगहों पर पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी है। राज्य में दोपहर तक कुछ जगह हालात पर काबू कर लिया गया है तो कुछ जगह प्रदर्शन जारी है।
कैसे
हुई
स्थिति
बद
से
बदतर
आपको
बता
दें
कि
सांडों
को
काबू
करने
के
खेल
जल्लीकट्टू
पर
सुप्रीम
कोर्ट
ने
रोक
लगा
दी
थी,
जिसको
लेकर
बीते
सप्ताह
से
चेन्नई
और
तमिलनाडु
के
दूसरे
भागों
में
विरोध-प्रदर्शन
हो
रहे
थे।
हालांकि
केंद्र
सरकार
ने
एक
अध्यादेश
जारी
कर
जल्लीकट्टू
से
बैन
हटा
दिया
था
और
दो
दिन
से
राज्य
में
जल्लीकट्टू
खेला
भी
जा
रहा
है
लेकिन
प्रदर्शनकारी
खेल
पर
से
प्रतिबंध
स्थाई
रूप
से
हटाने
की
मांग
पर
मरीना
बीच
पर
लगातार
डटे
हुए
थे।
जिनको
आज
तड़के
पुलिस
ने
हटाना
शुरू
कर
दिया
और
लोगों
के
विरोध
के
बाद
पुलिस
ने
बल-प्रयोग
किया।
इसके
बाद
राज्य
में
कई
जगहों
पर
स्थिति
काबू
से
बाहर
हो
गई।
कैसे
लगा
था
प्रतिबंध?
सांड़ों
को
काबू
कर
खेलने
जाने
वाला
खेल
जल्लीकट्टू
तमिलनाडु
और
दक्षिण
भारत
के
कई
हिस्सों
में
काफी
लोकप्रिय
है।
इसमें
युवकों
को
सांडों
को
काबू
करना
होता
है।
खेल
के
दौरान
अक्सर
मौतें
हो
जाती
हैं
और
बढ़ी
संख्या
में
लोग
घायल
भी
हो
जाते
हैं
वहीं
सांड़ों
को
भी
नुकसान
पहुंचता
है।
इसको
लेकर
पेटा
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
दायर
कर
कहा
था
कि
इस
दौरान
बेकसूर
जानवरों
के
साथ
अधिक
हिंसा
बरती
जाती
है
और
इस
कारण
कई
बार
इनकी
मौत
भी
हो
जाती
है।
इसके
बाद
सुप्रीम
कोर्ट
ने
वर्ष
2014
में
इस
खेल
के
आयोजन
पर
प्रतिबंध
लगा
दिया
था।
हालिया
प्रदर्शनों
के
बाद
तमिलनाडु
सरकार
के
आग्रह
पर
केन्द्र
सरकार
ने
एक
अध्यादेश
को
अनुमति
दी
थी।
जिससे
राज्य
में
जल्लीकट्टू
खेला
जा
सके।
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