'देखो जी, आप मेरा टेलेंट नहीं समझ रहे, मैं दिल्ली और पंजाब दोनों का सीएम बन सकता हूं'
अरविंद केजरीवाल इन दिनों पंजाब के सीएम पद का चेहरा होने को लेकर निशाने पर हैं। उन्होंने इससे इंकार भी किया है लेकिन फिर भी कई सवाल बाकी थे जो हमने उनसे पूछे।
नई दिल्ली। ''मस्त बहारों का मैं आशिक जो मैं चाहे यार करूं, चाहे तो मैं मफलर ओढूं चाहे हवा से बात करूं.. क्या दिल्ली, पंजाब क्या गोवा, सारा जहां हैं मेरे लिए मेरे लिए.'' अरे रुकिए तो सही जरा ठहरिए। आप से जरा सी बात पूछते हैं और आप हर एक बात पर गाना गाने लगते हैं या नई डायरी खोलकर रख देते हैं। आपसे हमने पूछा है कि आप क्या पंजाब के सीएम बनने जा रहे हैं और आपने गाना शुरू कर दिया।
एक मिनट जरा आपका परिचय हो जाए पाठकों से तो फिर सवाल-जवाब की शुरूआत करते हैं। दोस्तों आज हमारे साथ अरविंद केजरीवाल जी हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं लेकिन इन दिनों इनकी निगाहें पंजाब पर हैं। केजरीवाल के चुनाव पर उनसे बात कर रहा हूं मैं, मेरा नाम है रिपोर्टर।
रिपोर्टर-केजरीवाल
जी,
हमने
आपसे
ये
पूछा
कि
आप
क्या
दिल्ली
छोड़
पंजाब
चले
जाएंगे
और
आपने
गाना
सुनाना
शुरू
कर
दिया।
ये
क्या
है?
आप
हवा
के
ऐसे
झोंके
हो
गए
हैं,
जो
दिल्ली
से
वाराणसी,
वाराणसी
से
दिल्ली,
दिल्ली
से
पंजाब
घूम
रहा
है।
केजरी-
देखिए
जी,
सब
मिले
हुए
हैं।
दिल्ली
को
छोड़कर
में
पंजाब
क्यों
जाऊंगा
भला,
मैं
किसी
को
नहीं
छोडूंगा।दोनों
जगह
का
मुख्यमंत्री
बनूंगा
जी।
आप
मोदी
जी
से
मिले
हुए
हैं
या
फिर
मेरा
टेलेंट
नहीं
जानते।
मैं
दो
राज्यों
का
सीएम
आराम
से
रह
सकता
हूं.
दिल्ली
की
सरकार
को
तो
जी
मैं
ट्विटर
से
चला
दूंगा।
वो
गाना
नहीं
सुना
जी
आपने
'नदियां,
पंछी,
केजरी,
पवन
के
झोंके,
कोई
सरहद
ना
इन्हें
रोके'।
रिपोर्टर-
अरे,
इस
गानें
में
तो
केजरी
नहीं
है,
ये
आपने
खुद
से
जोड़
लिया
है।
केजरी-
ये
गाना
बहुत
पहले
लिखा
गया,
2013
के
बाद
ये
फिल्म
बनती
तो
इसमें
केजरी
जरूर
जोड़ा
जाता।
बस
अब
मैंने
जोड़
दिया
है।
रिपोर्टर-
लेकिन
केजरी
साब,
ये
तो
ठीक
नहीं
हुआ
कि
आप
दिल्ली
पांच
साल
का
वादा
करें
और
पहले
ही
निकल
लें?
केजरी-
दिल्ली
में
भी
अब
क्या
बचा
है,
डायरी
काम
नहीं
कर
रही
है।
उसमें
बड़ों-बड़ों
के
काले
चिट्ठे
हैं
लेकिन
कोई
सीरियसली
नहीं
लेता
है
जी।
ये
रही
देखो,
अंटी
में
रखी
हुई
है
मैंने
डायरी,
ना
जाने
कब
जरूरत
पड़
जाए.
दिखाऊं
आपको,
देखिए
मोदी
जी
को
पैसे
मिले..
रिपोर्टर-
सर
आप
डायरी
मत
दिखाइए,
लेकिन
एक
बात
बताइए
कि
डायरी
के
सुबूत
काम
नहीं
करेंगे
तो
आप
दिल्ली
छोड़
जाएंगे?
केजरी-
मैं
दिल्ली
छोड़कर
जाना
नहीं
चाहता
था
दिल्ली
से
मुझे
बहुत
प्यार
है
लेकिन
अब
उस
प्यार
में
मजा
नहीं
रहा।
दरअसल,
तकरार
के
बिना
प्यार
में
मजा
नहीं
और
आप
तो
जानते
ही
हैं
कि
'जंग'
के
बिना
मेरा
मन
नहीं
लगता
है,
फिर
दिल्ली
में
क्या
करूं
बताओ?
रिपोर्टर-
लेकिन
साब,
आप
तो
कहते
थे
कि
'जंग'
आपको
काम
नहीं
करने
देते
अब
आप
कह
रहे
हैं
कि
मन
नहीं
लग
रहा।
केजरी-
ये
बात
सही
है
कि
उन्होंने
काम
नहीं
करने
दिया
लेकिन
अब
वो
चले
गए
हैं
तो
लगता
है
कि
कोई
काम
बचा
ही
नहीं.
वो
गाना
है
ना,
'तेरे
बिना
जिदंगी
से
कोई
शिकवा
तो
नहीं'
रिपोर्टर-
आप
बात-बात
पर
गाना
गाने
लगते
हैं.
आपको
संजीदा
होना
चाहिए.
केजरी-
यही
तो
दुख
है
जी,
यही
दुख
है.
मैं
सीरियस
ही
हूं
लेकिन
कोई
मानने
को
तैयार
नहीं
है।
बताओं
मैं
क्या
करुं
जी
सीरियस
होने
के
लिए?
रिपोर्टर-
आप
कम
से
कम
गाने
तो
मत
गाइए.
खैर,
आप
ये
बताइए
कि
पंजाब
में
जीते
तो
आप
सबसे
पहले
क्या
करने
करेंगे?
केजरी-
मैं
सबसे
पहले
तो
पंजाब
की
अलग
डायरी
बनाऊंगा,
इसमें
अमरिंदर
सिंह
और
बादल
परिवार
का
कच्चा
चिट्ठा
होगा
और
इस
डायरी
को
लेकर
में
इन
सबका
जो
हाल
करूंगा
वो
क्या
बताऊं।
रिपोर्टर-
केजरी
जी,
हमारी
बातचीत
दरअसल
इस
बात
पर
थी
कि
क्या
आप
दिल्ली
छोड़
पंजाब
जाएंगे?
केजरी-
देखिए
वो
एक
गाना
है..
रिपोर्टर-
प्लीज
गाना
मत
गाइए।
ये
बताइए
आप
किस
तरफ
हैं
पंजाब
या
दिल्ली?
केजरी-
देखिए
अगर
गाना
नहीं
गाने
दे
रहे
तो
मैं
एक
शेर
सुना
देता
हूं
जो
कि
यूं
है
'ना
खुदा
ही
मिला
ना
विसाल-ए-सनम,
ना
इधर
के
रहे
ना
उधर
के
सनम'
रिपोर्टर-
तो
ये
मान
लिया
जाए
कि
आप
उधर
जाने
के
मूड
में
हैं।
यानि
आपकी
ख्वाहिश
है
कि
आप
पंजाब
के
सीएम
बनें?
केजरी-
ख्वाहिश...
क्या
कह
दिया
जी
ख्वाहिश
तो
कभी
रामलीला
ले
जाती
है
कभी
दिल्ली
के
इलेक्शन
में
तो
कभी
वाराणसी.
यही
ख्वाहिश
फिर
दिल्ली
लेकर
आती
है।
गालिब
को
सुना
होगा
जी,
हजारों
ख्वाहिशें
ऐसी
कि
हर
ख्वाहिश
पे..
है
है
है..
बहुत
निकले
मेरे
अरमां
लेकिन
फिर
भी
कम
निकले...
(यह
एक
व्यंग्य
लेख
है)
पढ़ें-
बहन
जी
चुप
हो
जाओ,
वरना
आपकी
भी
फाइल
खुल
जाएगी