तो स्पोर्टस स्टेडियम में शादी आयोजित कर सरकार उतार रही 82 हजार करोड़ का कर्ज
चंडीगढ़। सरकार कर्ज में इस कदर डूबी है कि स्टेडियम ही किराए पर दे दिया था। खिलाडि़यों को प्रेक्टिस के लिए स्टेडियम भले ही न मिलता हो, मगर शादियों के लिए स्टेडियम लोकल लेवल पर कभी भी बुक हो जाते थे। हालात यह थे कि बिना नीति और गाइडलाइंस के ही स्पोर्टस स्टेडियम में शादी का आयोजन किया जा रहा था। इतना ही नहीं शादियों या दूसरी पार्टियों से होने वाली बुकिंग का पैसा स्पोर्ट्स काउंसिल को जाता था। इससे स्टेडियमों की छोटीमोटी मेंटीनेंस का काम भी चलता था। हालांकि खेल मंत्री अनिल विज ने मिली शिकायतों के बाद स्टेडियम में पार्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया।
हरियाणा में बरसों से बिना नीति और गाइडलाइंस के स्पोर्ट्स स्टेडियमों में शादियां हो रही थीं। खेल विभाग के अधिकारी ने स्टेडियमों में शादी की मंजूरी के सवाल पर स्वीकार किया कि इस बारे में सरकार में कोई ठोस नीति नहीं थी और बिना गाइडलाइंस के ही जिला लेवल पर स्टेडियमों की बुकिंग होती थी। बुकिंग से मिलने वाला पैसा स्पोर्ट्स काउंसिल को जाता था और इनकी बुकिंग जिला उपायुक्त ऑफिस से होती थी। इसलिए निदेशालय का इससे कुछ लेना देना नहीं था।
खेल मंत्री अनिल विज के अनुसार स्टेडियमों यह बात सामने आई कि पार्टियों के बाद स्टेडियम में गंदगी के ढेर लग जाते हैं जबकि टेंट आदि के कारण मैदानों में किए गए गड्ढ़े भी भरे नहीं जाते। इसका सीधा नुकसान खिलाडिय़ों की प्रैक्टिस पर हो रहा था और स्टेडियमों बनाने का मकसद भी पिछड़ रहा था।
इस तरह स्टेडियमों में शादी या दूसरी पाटिर्यों पर प्रतिबंध लगाने वाली बीजेपी सरकार को अब इसकी भरपाई की तरफ सोचना पड़ेगा। यह स्थिति तब है जब सरकार अपने खजाने की हालत को खस्ता बता रही है और उस पर करीब 82 हजार करोड़ रुपए का भारीभरकम कर्ज भी लदा हुआ है।