क्या होती है बेनामी संपत्ति, नोटबंदी के बाद अगला नंबर इसका
बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट 1988 को 13 मई, 2015 को लोकसभा में पेश किया गया था।
नई दिल्ली। 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमुद्रीकरण के फैसले के बाद अब अगला नंबर बेनामी संपत्ति का है। बेनामी संपत्ति कानून के जरिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब एक व्यक्ति के द्वारा कई तरह की संपत्ति अर्जित करने के तरीके पर प्रहार करने वाले हैं। बेनामी संपत्ति निषेध कानून 1 नवंबर, 2016 से ही अस्तित्व में आ चुका है। यह कानून सरकार की कालेधन से लड़ने में मदद करेगा। इस कानून के जरिए प्रॉपर्टी से संबंधित होने वाली सभी खरीद-फरोख्त को आधार और पैन कार्ड से जोड़ दिए जाने की बात कही गई थी। साथ ही इस कानून के मुताबिक जमीन की खरीद-फरोख्त करने वाले लोगों को इस बावत आयकर विभाग को भी जानकारी देनी होगी।
क्या कहता है यह कानून
बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट 1988 को 13 मई, 2015 को लोकसभा में पेश किया गया था। इस कानून में संशोधन के जरिए बेनामी ट्रांजेक्शन की परिभाषा बदलने, बेनामी ट्रांजेक्शन करने वाले लोगों पर अपीलीय ट्रिब्यूनल और संबंधित संस्था के तरफ से जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव शामिल था।
बेनामी संपत्ति कानून में संशोधन
इस कानून के मुताबिक बेनामी संपत्ति वो संपत्ति होती है जिसे किसी दूसरे के नाम पर लिया जाता है और उसकी कीमत का भुगतान कोई और करता है। बेनामी संपत्ति कानून में संशोधन के बाद उस संपत्ति को बेनामी माना जाएगा जो कि किसी फर्जी नाम से खरीदी गई हो, संपत्ति के मालिक को ही इस बात का पता नहीं होना कि संपत्ति का मालिकाना हक किसके पास है। साथ ही ऐसी संपत्ति जिसके बारे में व्यक्ति ने जानकारी दी, पर उस संपत्ति को खोजा नहीं जा पा रहा हो।
क्या होती है बेनामी संपत्ति
बेनामी संपत्ति वो संपत्ति होती है जिसे किसी दूसरे के नाम पर लिया जाता है और उसकी कीमत का भुगतान कोई और करता है। या फिर कोई व्यक्ति अपने नाम को किसी को इसलिए प्रयोग करने देता है कि वो उसके नाम से संपत्ति खरीद सके। इसके अलावा दूसरे नामों से बैंक खातों में फिक्सड डिपॉजिट करवाए जाते हैं। ऐसा वो लोग करते हैं जो जिससे वो इनकम टैक्स के दायरे में न आ सकें। बेनामी ट्रांजेक्शन को लागू किए हुए देश को 200 वर्ष से अधिक का समय हो चुका है। जमीनदारी सिस्टम को खत्म करके इस कानून को बनाया गया था। बेनामी संपत्ति का प्रयोग इसलिए ज्यादा किया जाता है कि लोग खुद जिम्मेदारी से बच सकें और टैक्स के दायरे में ना आएं।
बेनामी संपत्ति का क्या होगा अब
संशोधन के बाद बेनामी संपत्ति कानून के तहत संपत्ति को ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा इनकम डिसक्लोजर स्कीम 2016 के तहत जिन लोगों ने बेनामी संपत्ति की घोषणा की है, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। फिर भी केंद्र सरकार संपत्ति जब्त कर सकती है। बेनामी संपत्ति के तहत ट्रांजेक्शन करने वाले लोगों पर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी और दोषी पाए जाने पर 1 से 7 साल की सजा हो सकती है। मार्केट वैल्यू के हिसाब से व्यक्ति पर 25 फीसदी तक का जुर्माना लग सकता है। गलत तथ्य और साक्ष्य देने पर 6 माह से 5 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही मार्केट वैल्यू के हिसाब पर ऐसे लोगों पर 10 फीसदी तक जुर्माना हो सकता है।