इस साल नौकरी ढूंढ़ रहे लोगों के लिए ये खबर पढ़ना है जरूरी
कंपनियां अगले 6 महीने तक इंतजार करेंगी और देखेंगी कि क्या एच1-बी वीजा नियमों और ब्रेक्जिट में किसी प्रकार के कोई बदलाव होता हैं या नहीं।
नई दिल्ली। हाल ही में एच-1बी वीजा के नियमों को सख्त बनाने के चलते अब भारत की आईटी कंपनियों में नौकरी का सपना देख रहे लोगों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। आइए जानते हैं इसका भारत में नौकरी पर क्या असर हो सकता है। ये भी पढ़ें- जानिए, कैसे 29 रुपए वाला पेट्रोल आपको मिलता है 77 रुपए का!
6 महीने तक कम नौकरियां
एक सर्वे का दावा है कि आईटी कंपनियां आने वाले 6 महीनों में कम लोगों को नौकरी देंगी। कंपनियां अगले 6 महीने तक इंतजार करेंगी और देखेंगी कि क्या एच1-बी वीजा नियमों और ब्रेक्जिट में किसी प्रकार के कोई बदलाव होता हैं या नहीं। एक्सपेरिस आईटी एम्प्लॉयमेंट आउटलुक सर्वे के अनुसार यह कहा गया है कि अगली दो तिमाही में आईटी कंपनियां कम लोगों को नौकरी देंगी। ये भी पढ़ें- घर खरीदने के लिए भी निकाल सकेंगे पीएफ के पैसे, बनवा लें EMI
कितने लोगों को मिलेगी नौकरी
सर्वे के मुताबिक आने वाले दो क्वार्टर में सिर्फ 58 फीसदी एंप्लॉयर ही लोगों को नौकरी देंगे। यह भी माना जा रहा है कि कंपनियां इस बीच ऐसे लोगों की हायरिंग भी कर सकती हैं, जिन्हें सिर्फ अस्थायी तौर पर नौकरी पर रखा जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूटीन कामों का ऑटोमेशन होने से आईटी के लोगों के अन्य काम कराए जाएंगे और रुटीन काम के लिए मशीनों की मदद ली जाएगी। ये भी पढ़ें- जल्द ही बढ़ेगी केन्द्रीय कर्मचारियों की सैलरी और एचआरए!
एच-1बी वीजा से हुआ बड़ा नुकसान
डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आईटी कंपनियों को जोरदार झटका दिया है और 'बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन' एग्जिक्यूटिव ऑर्डर पर साइन कर दिया है। ट्रंप के नए ऑर्डर के जरिए फेडरल डिपार्टमेंट्स को एच-1बी वीजा में बदलाव का मकसद मिला है, जिसके तहत सबसे कुशल या फिर ज्यादा सैलरी वाले व्यक्ति को अमेरिका आने का मौका मिल पाता था। अमेरिका में लॉटरी सिस्टम के जरिए हर वर्ष 65,000 लोगों को एच-1बी वीजा दिए जाते हैं। इसके अलावा 20,000 छात्रों को भी यह वीजा मिलता है। आपको बता दें कि इस वर्ष एच-1बी वीजा के लिए सिर्फ 1,99,000 आवेदन ही आए हैं। जबकि वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 2,36,000 था। ये भी पढ़ें- भारतीयों के लिए गूगल ने शुरू की खास सेवा, सबको होगा फायदा