टाटा संस का बयान, सायरस के आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं
टाटा संस की ओर से कहा गया है कि सायरस मिस्त्री ने जिस तरह के आरोप लगाए हैं वो तथ्यों से परे हैं। उनके आरोप वास्तविक स्थिति पर आधारित नहीं है।
मुंबई। टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए गए सायरस मिस्त्री ने एक मेल करके टाटा संस पर कई आरोप लगाए। उन्होंने सभी बोर्ड मेंबर और ट्रस्ट को ये मेल भेजा, जिसके बाद टाटा संस ने बयान जारी कर सायरस मिस्त्री के आरोपों को तथ्यों से परे बताया है।
सायरस मिस्त्री के मेल पर टाटा संस का जवाब
टाटा संस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सायरस मिस्त्री ने जिस तरह के आरोप अपने मेल के जरिए कंपनी पर लगाए हैं वो तथ्यों से परे हैं। उनके आरोप वास्तविक स्थिति पर आधारित नहीं है।
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टाटा संस की ओर से कहा गया कि हमारे पास ऐसे कई रिकॉर्ड हैं जिससे पता चलता है कि सायरस मिस्त्री के आरोपों में सत्यता नहीं है। उनके आरोप पूरी तरह से अनुचित हैं।
टाटा संस ने बयान में कहा है कि बोर्ड ने अपने चेयरमैन को जरूरी अवसर और चुनौतियों के प्रबंधन के मद्देनजर पूरी स्वायत्तता देता है।
बोर्ड ने अपने चेयरमैन को पूरी स्वायत्तता दी: टाटा संस
टाटा संस की ओर से कहा गया कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सायरस मिस्त्री ने टाटा संस पर कई आरोप लगाए, जबकि कई ऐसी वजहें रही जिसके चलते उन्होंने निदेशक मंडल के सदस्यों का विश्वास खो दिया था।
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बयान में कहा गया कि टाटा संस बोर्ड ने पूरी संतुष्टि के बाद चेयरमैन बदलने का फैसला लिया। उन्होंने इस कार्रवाई को समुचित ढंग से पूरा किया है।
बता दें कि टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए गए सायरस मिस्त्री ने सभी बोर्ड मेंबर और ट्रस्ट को ईमेल भेजकर पूरे टाटा ग्रुप की कड़े शब्दों में आलोचना की थी। साथ ही उन्हें टाटा ग्रुप से निकाले जाने को कॉरपोरेट के इतिहास में सबसे अजीब कहा है।
सायरस मिस्त्री ने सभी बोर्ड मेंबर और ट्रस्ट को भेजा था मेल
मिस्त्री ने कहा था कि टाटा ग्रुप के इस फैसले ने मुझे चौंका दिया। उन्होंने बोर्ड की प्रक्रिया को अवैध और गैर कानूनी करार दिया। इतना ही नहीं मिस्त्री ने आरोप लगाया कि उन्हें टाटा ग्रुप के बिजनेस के संभालने के लिए पूरी स्वतंत्रता नहीं दी गई थी।
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सायरस मिस्त्री का कहना था कि टाटा संस के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में कुछ बड़े बदलाव किए गए थे, जिनके चलते एक चेयरमैन की ताकत में काफी कमी आ गई।
उन्होंने बोर्ड पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें चेयरमैन के पद से हटाने से पहले न तो उनकी सलाह ली गई और ना ही उन्हें हटाने के बाद बोलने का मौका दिया गया।