अब भारतीय ब्रैंडस के पीछे पड़ा स्वदेशी जागरण मंच
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। कहते हैं कि सात घर तो डायन भी छोड़ देती है। काश, इस कहावत को स्वदेशी जागरण मंच वालों ने सुना होता। हैरानी इस बात से हो रही है कि अब संघ परिवार के सहयोगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने उन ब्रैंड्स का भी बहिष्कार करने का फैसला किया है, जो भारतीय हैं। हां, उनके नाम विदेशी लगते हैं।
हालत यह है कि स्वदेशी जागरण मंच लोगों से भारतीय जनमानस के मन में जगह बनाने वाली कंपनियों जैसे गोदरेज के साबुन, निरमा डिटर्जेंट, सलोरा टीवी या एचएमटी की घड़ियों जैसे प्रॉडक्ट्स के इस्तेमाल और कोक, कोलगेट, हिंदुस्तान यूनीलीवर, सैमसंग, एडीडस के उत्पादों के बहिष्कार की अपील करता रहा है।
विरोध ही विरोध
अब उसने आदित्य बिड़ला ग्रुप के पीटर इंग्लैंड, वैन ह्यूजेन, एलन सोली और लुई फिलिप के साथ रेमंड का कलरप्लस शामिल हैं। हालांकि जानकारों को मालूम है कि कलरप्लस भारतीय ब्रैंड है। इसे 1993 में लॉन्च किया गया था, जिसके बाद 2002 में रेमंड ने खरीदा था।
इसके साथ ही स्वदेशी जागरण मंच का विरोध विदेशी निवेशकों को लुभाने की नरेंद्र मोदी सरकार की कोशिश को नाकामयाब बना सकता है। इसने अमेजॉन जैसी कंपनियों के अपनाए मार्केट प्लेस मॉडल में विदेशी फंडिंग का पुरजोर तरीके से विरोध करने प्लान बनाया है।
हालांकि अब स्वदेशी जागरण मंच अपनी गलतियों को भी मानने लगा है। उसके एक पदाधिकारी ने माना कि उनके संगठन ने गलती से नेगेटिव लिस्ट में कुछ भारतीय ब्रैंड्स को शामिल कर लिया होगा। उन्होंने कहा कि यह गलती जल्द दूर कर ली जाएगी। इस बीच, स्वदेशी जागरण मंच लोगों से ऐमजॉन, ईबे जैसी ई-कॉमर्स फर्मों के अलावा विदेशी फंडिंग हासिल कर आगे बढ़ रही फ्लिपकार्ट, मिंट्रा, स्नैपडील और जबॉन्ग जैसी भारतीय ऑनलाइन रिटेलर्स से सामान नहीं खरीदने को कहा जाएगा।