रिलायंस जियो के लिए वरदान है सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला, अन्य कंपनियों के लिए बन सकता है गले की फांस
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सभी मोबाइल कंपनियां इस बात से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर, रिलायंस जियो के लिए सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला वरदान साबित होने वाला है।
नई दिल्ली। जहां एक ओर टेलिकॉम कंपनियां पहले से ही रिलायंस जियो के चलते दबाव में थीं, वहीं दूसरी ओर अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोबाइल नंबर के साथ आधार कार्ड अनिवार्य करने के आदेश ने उनके लिए एक और मुसीबत खड़ी कर दी है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि इस पूरे काम में कंपनियों के करीब 1000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह 1000 करोड़ रुपए इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने, अपने एग्जिक्युटिव्स को ट्रेनिंग देने और आधार वेरिफिकेशन में आने वाले अन्य खर्चों को पूरा करने में लगेंगे।
6
फरवरी
2018
है
आखिरी
तारीख
केंद्र
सरकार
की
तरफ
से
मोबाइल
नंबर
के
लिए
भी
आधार
कार्ड
को
अनिवार्य
कर
दिया
गया
है।
यह
फैसला
6
फरवरी
2017
को
सुप्रीम
कोर्ट
द्वारा
सुनाए
गए
फैसले
के
आधार
पर
किया
गया
है।
अपने
फैसले
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
था
कि
एक
साल
के
अंदर
सभी
मोबाइल
नंबरों
को
आधार
कार्ड
से
जोड़ा
जाए।
अब
इस
मामले
में
शुक्रवार
को
टेलिकॉम
विभाग
ने
भी
सभी
मोबाइल
ऑपरेटर्स
को
निर्देश
जारी
कर
दिए
हैं।
टेलिकॉम
विभाग
ने
मोबाइल
ऑपरेटर्स
को
वैरिफिकेशन
की
प्रक्रिया
पूरी
करने
के
लिए
एक
साल
का
वक्त
दिया
है,
जिसकी
अन्तिम
तिथि
6
फरवरी
2018
है।
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सुप्रीम
कोर्ट
के
इस
आदेश
के
बाद
सभी
मोबाइल
कंपनियां
इस
बात
से
परेशान
हैं
कि
इसमें
न
सिर्फ
उनका
वक्त
जाएगा,
बल्कि
पैसा
भी
काफी
लगेगा।
वहीं
दूसरी
ओर,
रिलायंस
जियो
के
लिए
सुप्रीम
कोर्ट
का
ये
फैसला
वरदान
साबित
होने
वाला
है।
दरअसल,
रिलायंस
जियो
ने
शुरुआत
से
ही
अपने
सिम
कार्ड
सिर्फ
आधार
कार्ड
पर
दिए
हैं,
इसके
चलते
उसके
सभी
मोबाइल
कनेक्शन
आधार
कार्ड
से
लिंक
हैं
और
अब
उसे
कोई
वेरिफिकेशन
प्रक्रिया
नहीं
करनी
होगी,
जबकि
अन्य
मोबाइल
कंपनियां
सभी
तरह
के
दस्तावेज
स्वीकार
कर
रही
थीं,
जिसके
चलते
उन्हें
इस
वेरिफिकेशन
प्रक्रिया
से
गुजरना
होगा।