ऑनलाइन बैंकिंग को लेकर RBI ने जारी की नई गाइडलाइन, क्या आपने पढ़ी
नई दिल्ली। ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए और इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट को और ज्यादा सैफ बनाने के लिए आरबीआई ने ' जीरो लाइबिलिटी' और 'लिमिटेड लाइबिलिटी' का नया कंसेप्ट जारी किया है। रिजर्व बैंक ने देश के सभी बैंकों को अनऑथोराइज्ड ट्रांजेक्शन के बारे में अपने-अपने ग्राहकों को सचेत करने के लिए उनके मोबाइल पर मैसेज के द्वारा अलर्ट जारी करने को कहा है।
कड़े नियम लागू करे बैंक
वैसे आरबीआई ने फ्रॉड लेनदेन के संदर्भ में लिमिटेड लाइबिलिटी को सीमित करने का प्रस्ताव अगस्त 2016 में एक मसौदा परिपत्र तैयार कर लिया था। अब आरबीआई अपने अंतिम गाइडलाइन के साथ सभी बैंकों के कड़े नियम बनाने की मांग की है।
प्रत्येक सूचना मैसेज द्वारा कस्टमर्स तक पहुंचायी जाएं
बैंक
की
इस
नई
व्यवस्था
के
अंतर्गत
बैंक
अकाउंट्स
के
साथ-साथ
कस्टमर्स
के
मोबाइल
नंबर
भी
जोड़ने
को
कहा
है।
आरबीआई
ने
कहा
है
कि
'वित्तीय
समावेश
के
साथ-साथ
कस्टमर
प्रोटेक्शन
और
ऑनलाइन
लेनदेन
धोखाधड़ी
जैसी
स्थितियों
के
बारे
में
हर
जानकारी
को
ग्राहक
तक
पहुंचाना
जरूरी
है'।
वहीं
दूसरी
ओर
आरबीआई
ने
सभी
बैंकों
को
ट्रांजेक्शन
अलर्ट
के
लिए
अपने-अपने
कस्टमर्स
को
टेक्ष्ट
मैसेज
भेजने
और
अनऑथोराइज्ड
ट्रांजेक्शन
के
बारे
ग्राहक
के
होम
पेज
पर
जानकारी
उपलब्ध
करवाने
को
कहा
हैं।
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RBI ने बैंक कस्टमर्स को चेताया
आरबीआई के अनुसार अगर कोई ग्राहक अपनी लापरवाही से नुकसान उठता है (जैसे किसी और को अपने ऑनलाइन बैंकिंग के पासवार्ड्स शेयर करना) और उस अनाधिकृत लेन देन के बारे में जब-तक ग्राहक रिपोर्ट न करे तो उस नुकसान का जिम्मेदार खुद ग्राहक होगा। वैसे ही अगर किसी ग्राहक को किसी थर्ड पार्टी के द्वारा नुकसान हुआ है और ग्राहक एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट न करे तो उस धोखाधड़ी का नुकसान भी ग्राहक कोई ही भुगतना पड़ेगा।