नोटबंदी के पहले ही RBI के पास थे 4.09 करोड़ रुपए के नोट, बैंकों को नहीं दिया पर्याप्त पैसा
RBI के पास नोटबंदी से पहले ही करीब 4.07 लाख करोड़ रुपए के 2000 के नोट थे, लेकिन 19 दिसंबर तक भी वह बैंकों तक पूरा पैसा नहीं पहुंचा सका। यही कारण है कि बैंकों और एटीएम के बाहर लाइनें लगीं।
नई दिल्ली। जहां एक ओर लोग मान रहे हैं कि नए नोटों की परेशानी इसलिए हो रही है क्योंकि प्रिंटिंग प्रेस उतने नोट नहीं छाप पा रही है, जितनी की मांग है। वहीं दूसरी ओर, भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से मिले आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं। आपको बता दें कि नोटबंदी की घोषणा होने यानी 8 नवंबर से पहले ही 2000 रुपए के 4.07 लाख करोड़ रुपए छप चुके थे। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक को इन नोटों को जनता के बीच 19 दिसंबर तक का समय बीत जाने के बाद भी नहीं पहुंचाया। 19 दिसंबर तक भारतीय रिजर्व बैंक ने लोगों को करीब 220 करोड़ नोट बांटे हैं। इनमें 90 फीसदी नोट 2000 के हैं, जबकि 10 फीसदी 500 रुपए के नोट हैं।
वहीं
आंकड़ों
के
अनुसार
19
दिसंबर
तक
भारतीय
रिजर्व
बैंक
ने
कुल
7
लाख
करोड़
रुपए
मूल्य
के
नोट
छाप
लिए
थे।
एक
आरटीआई
में
इस
बात
का
खुलासा
हुआ
था
कि
भारतीय
रिजर्व
बैंक
ने
नोटबंदी
की
घोषणा
से
पहले
ही
4.09
लाख
करोड़
रुपए
के
नोट
छाप
लिए
थे।
केवल
यह
आंकड़ा
भी
19
दिसंबर
तक
बैंकों
तक
पहुंचाई
गए
रकम
से
करीब
1
लाख
करोड़
रुपए
अधिक
है।
नोटबंदी
के
बाद
अगर
माना
जाए
कि
देश
की
कुल
4
प्रिंटिंग
प्रेस
ने
अपनी
पूरी
क्षमता
से
नोट
छापे
होंगे
तो
19
दिसंबर
तक
करीब
2
लाख
रुपए
के
नोट
छाप
लिए
होंगे।
ऐसे
में,
बैंक
ने
करीब
7
लाख
करोड़
रुपए
के
नोट
छाप
लिए,
लेकिन
बैंकों
तक
इन
पैसों
को
क्यों
नहीं
पहुंचाया
गया?
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नोटबंदी
का
फैसला
नरेंद्र
मोदी
के
भाषण
से
महज
चंद
घंटे
पहले
ही
लिया
गया
था:
RBI
जब
भारतीय
रिजर्व
बैंक
से
इस
मामले
पर
सवाल
पूछा
गया
तो
उनकी
तरफ
से
कोई
सीधा
जवाब
नहीं
मिला।
हालांकि,
कुछ
अधिकारियों
ने
अलग-अलग
तर्क
दिए।
कुछ
का
कहना
था
कि
एटीएम
को
नए
नोट
के
हिसाब
से
रीकैलिबरेट
करना
पड़ा,
तो
कुछ
के
हिसाब
से
500
के
नए
नोट
छापने
में
कुछ
गड़बड़ियां
आने
लगी
थीं,
जिसके
बाद
उनकी
छपाई
रोकनी
पड़ी।
साथ
ही
यह
भी
कहा
गया
कि
दो
प्रिंटिंग
प्रेसों
में
छपाई
का
काम
करीब
3
सप्ताह
तक
धीमा
रहा।
एक
अधिकारी
के
अनुसार
सरकार
को
लगता
है
कि
अगर
भारी
मात्रा
में
कैश
रिलीज
कर
दिया
गया
तो
अफरा-तफरी
मच
सकती
है।