वर्ष 2017 से बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार मोदी सरकार, जल्द शुरु होगा अभियान
वर्ष 2017 में कालेधन पर वार करने को लेकर सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता कालेधन पर वार करना ही होगा। इसके लिए बेनामी संपत्ति को निशाना बनाया जाएगा।
नई दिल्ली। देश में कालेधन पर वार करने के लिए नोटबंदी के फैसले के बाद अब मोदी सरकार बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई करने की तैयारी में है। रॉयटर्स की खबर के मुताबिक टैक्स न देना वालों ने बहुत बड़ी संख्या में रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश के जरिए कालेधन को सफेद करने की कोशिश की है। इनकम टैक्स विभाग के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि केंद्र सरकार वर्ष 2016 में जुलाई माह में फाइल किए गए टैक्स रिटर्न और बैंक लेन-देन के आंकड़ों के जरिए यह जांच की जाएगी। आयकर विभाग के अधिकारियों ने कहा कि देश में नोटबंदी के फैसले के बाद अब सरकार संदिग्ध रियल एस्टेट संपतियों के साथ-साथ सौदों की भी जांच करेगी। एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2017 में कालेधन पर वार करने को लेकर सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता कालेधन पर वार करना ही होगा। इसके लिए बेनामी संपत्ति को निशाना बनाया जाएगा।
देश
भर
में
भूमि
संपत्तियों
के
रिकॉर्ड
में
कई
तरह
की
खामियां
पाई
जाती
हैं।
विशेषज्ञों
का
कहना
है
कि
नेता,
कारोबारी
और
विदेशों
में
रहने
वाले
एनआरआई
बिना
टैक्स
दिए
ही
प्रॉपर्टी
में
निवेश
कर
देते
हैं।
वो
लोग
खुद
के
नाम
पर
संपत्ति
खरीदने
के
बजाय
अपने
करीबी
रिश्तेदारों,
भरोसेमंद
कर्मचारी
को
चुनते
हैं।
रॉयटर्स
की
खबर
के
मुताबिक
वैसे
तो
ऐसी
संपतियों
का
देश
में
कोई
आंकड़ा
मौजूद
नही
है।
पर
माना
जाता
है
कि
10
फीसदी
तक
ऐसे
लोगों
ने
रियल
एस्टेट
सेक्टर
में
निवेश
किया
है
जिन
लोगों
ने
टैक्स
चोरी
की
है।
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भी
पढ़ें:
क्या
होती
है
बेनामी
संपत्ति,
नोटबंदी
के
बाद
अगला
नंबर
इसका
8
नवंबर
को
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
विमुद्रीकरण
के
फैसले
के
बाद
अब
अगला
नंबर
बेनामी
संपत्ति
का
है।
बेनामी
संपत्ति
कानून
के
जरिए
देश
के
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
अब
एक
व्यक्ति
के
द्वारा
कई
तरह
की
संपत्ति
अर्जित
करने
के
तरीके
पर
प्रहार
करने
वाले
हैं।
बेनामी
संपत्ति
निषेध
कानून
1
नवंबर,
2016
से
ही
अस्तित्व
में
आ
चुका
है।
यह
कानून
सरकार
की
कालेधन
से
लड़ने
में
मदद
करेगा।
इस
कानून
के
जरिए
प्रॉपर्टी
से
संबंधित
होने
वाली
सभी
खरीद-फरोख्त
को
आधार
और
पैन
कार्ड
से
जोड़
दिए
जाने
की
बात
कही
गई
थी।
साथ
ही
इस
कानून
के
मुताबिक
जमीन
की
खरीद-फरोख्त
करने
वाले
लोगों
को
इस
बावत
आयकर
विभाग
को
भी
जानकारी
देनी
होगी।
क्या कहता है यह कानून-बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट 1988 को 13 मई, 2015 को लोकसभा में पेश किया गया था। इस कानून में संशोधन के जरिए बेनामी ट्रांजेक्शन की परिभाषा बदलने, बेनामी ट्रांजेक्शन करने वाले लोगों पर अपीलीय ट्रिब्यूनल और संबंधित संस्था के तरफ से जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव शामिल था।
बेनामी संपत्ति कानून में संशोधन-इस कानून के मुताबिक बेनामी संपत्ति वो संपत्ति होती है जिसे किसी दूसरे के नाम पर लिया जाता है और उसकी कीमत का भुगतान कोई और करता है। बेनामी संपत्ति कानून में संशोधन के बाद उस संपत्ति को बेनामी माना जाएगा जो कि किसी फर्जी नाम से खरीदी गई हो, संपत्ति के मालिक को ही इस बात का पता नहीं होना कि संपत्ति का मालिकाना हक किसके पास है। साथ ही ऐसी संपत्ति जिसके बारे में व्यक्ति ने जानकारी दी, पर उस संपत्ति को खोजा नहीं जा पा रहा हो।
क्या होती है बेनामी संपत्ति-बेनामी संपत्ति वो संपत्ति होती है जिसे किसी दूसरे के नाम पर लिया जाता है और उसकी कीमत का भुगतान कोई और करता है। या फिर कोई व्यक्ति अपने नाम को किसी को इसलिए प्रयोग करने देता है कि वो उसके नाम से संपत्ति खरीद सके। इसके अलावा दूसरे नामों से बैंक खातों में फिक्सड डिपॉजिट करवाए जाते हैं। ऐसा वो लोग करते हैं जो जिससे वो इनकम टैक्स के दायरे में न आ सकें। बेनामी ट्रांजेक्शन को लागू किए हुए देश को 200 वर्ष से अधिक का समय हो चुका है। जमीनदारी सिस्टम को खत्म करके इस कानून को बनाया गया था। बेनामी संपत्ति का प्रयोग इसलिए ज्यादा किया जाता है कि लोग खुद जिम्मेदारी से बच सकें और टैक्स के दायरे में ना आएं।
बेनामी संपत्ति का क्या होगा अब-संशोधन के बाद बेनामी संपत्ति कानून के तहत संपत्ति को ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा इनकम डिसक्लोजर स्कीम 2016 के तहत जिन लोगों ने बेनामी संपत्ति की घोषणा की है, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। फिर भी केंद्र सरकार संपत्ति जब्त कर सकती है। बेनामी संपत्ति के तहत ट्रांजेक्शन करने वाले लोगों पर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी और दोषी पाए जाने पर 1 से 7 साल की सजा हो सकती है। मार्केट वैल्यू के हिसाब से व्यक्ति पर 25 फीसदी तक का जुर्माना लग सकता है। गलत तथ्य और साक्ष्य देने पर 6 माह से 5 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही मार्केट वैल्यू के हिसाब पर ऐसे लोगों पर 10 फीसदी तक जुर्माना हो सकता है।