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फिर से एक रुपए का नोट क्‍यों जारी किया गया, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

दो दशक के बाद फिर से 1 रुपए के नोट को फिर से जारी किए जाने के पीछे की एक अहम वजह का खुलासा हो गया है।

By Sachin Yadav
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नई दिल्‍ली। दो दशक के बाद फिर से 1 रुपए के नोट को फिर से जारी किए जाने के पीछे की एक अहम वजह का खुलासा हो गया है। आरटीआई एक्टिविस्‍ट सुभाष चंद्र अग्रवाल की तरफ से सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है। आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक सिर्फ इसलिए एक रुपए के नोट को फिर जारी किया गया है जिससे वित्‍त मंत्रालय के कुछ उच्‍च स्‍तरीय अधिकारी उस पर हस्‍ताक्षर कर सकें।

फिर से एक रुपए का नोट क्‍यों जारी किया गया, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मिली जानकारी के मुताबिक वित्‍त मंत्रालय के उच्‍च स्‍तरीय अधिकारी एक रुपए के नोट पर सिर्फ हस्‍ताक्षर करने के लिए बहुत उत्‍सुक है क्‍योंकि इसके अलावा वो रुपए की किसी और करेंसी पर अपना हस्‍ताक्षर नहीं कर सकते हैं। एक रुपए के अलावा अन्‍य नोटों सिर्फ आरबीआई के गवर्नर के हस्‍ताक्षर होते हैं।

सुभाष चंद्र अग्रवाल ने बताया कि आरटीआई के जरिए मिली जानकारी से साफ पता चलता है कि जनता के पैसों को सिर्फ इसलिए बर्बाद किया जा रहा है जिससे अधिकारी एक रुपए के नोट पर अपना साइन कर सकें।

आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक वित्‍त सचिव राजीव महर्षि को वित्‍त मंत्रालय से बाहर ट्रांसफर किया जा रहा था तो तब 50 लाख एक रुपए के नोटों को ही छापने की स्थिति में सिक्‍योरिटी प्रिटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड था और इस पर राजीव महर्षि के हस्‍ताक्षर हो पाए थे। बाद में बाकी 14.5 करोड एक रुपए के नोटों पर वित्‍त मंत्रालय के सचिव रतन पी. वट्टल के हस्‍ताक्षर वाले नोट जारी किए गए।

आपको बताते चले कि 1 रुपए के नोटों को 20 साल बाद जारी किया गया है और एक रुपए के नोट के एक पीस को छापने में अभी 1.14 रुपए का खर्चा आ रहा है। आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक एक रुपए के नोट को छापने की लागत वर्ष 2014-15 के हिसाब से दी गई है।

सुभाष चंद्र अग्रवाल ने बताया कि एक रुपए के नोट को मुद्रण वर्ष 1994 में बंद हो गया था। इसी तरह बाद में दो रुपए और पांच रुपए के नोटों का मुद्रण बंद हुआ और बाद में उनकी जगह पर सिक्‍के जारी किए गए।

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English summary
One Rupee Note Issued Only to Fulfil Bureaucrats’ Desire to Put Their Signature on It, Reveals RTI
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