सरकार ने दिए निर्देश, डिफॉल्टर्स का होगा फॉरेंसिक ऑडिट
सभी सरकारी बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि टॉप 50 लोन डिफॉल्ट करने वाले लोगों के खिलाफ फॉरेंसिक ऑडिट की जाए, ताकि पता चल सके कि किन लोगों ने जानबूझ कर डिफॉल्ट किया है।
नई दिल्ली। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक एनपीए से निपटने के लिए बहुत से नियमों में बदलाव करने जा रहे हैं। इसमें डिफॉल्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कर्रवाई करने की भी योजना बनाई जा रही है। उन लोगों को भी नहीं बख्शा जाएगा, जिन्होंने कारोबार के नाम पर लोन लिया था, लेकिन उसे वापस नहीं किया है। इसी क्रम में सभी सरकारी बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि टॉप 50 लोन डिफॉल्ट करने वाले लोगों के खिलाफ फॉरेंसिक ऑडिट की जाए, ताकि उन मामलों को इससे अलग किया जा सके, जहां पर बिजनेस फेल होने से लोन का नुकसान हुआ है। ये भी पढ़ें- नोटबंदी के बाद सरकार को अघोषित आय पर मिला 6000 करोड़ रुपए का टैक्स
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारतीय रिजर्व बैंक के टॉप अधिकारियों और बैंकों के अधिकारियों के साथ पिछले ही हफ्ते एक बैठक की है और एनपीए से निपटने के लिए योजना बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि, सरकार जल्द ही इन एनपीए का टेक ओवर करने के लिए बैड बैंक की शुरुआत करने वाली है, लेकिन फिर भी बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने यहां के एनपीए की समीक्षा करें और रिपोर्ट दें। ये भी पढ़ें- हार के अब कार्यकर्ताओं ने भी छोड़ा मायावती का साथ, BSP से 112 नेताओं का सामूहिक इस्तीफा
आपको बता दें कि पब्लिक सेक्टर के बैंकों का एनपीए 2016-17 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान करीब 1 लाख करोड़ रुपए बढ़ गया है। 2015-16 में जो ग्रॉस एनपीए 5.02 लाख करोड़ रुपए था, वह 31 दिसंबर 2016 तक यानी 9 महीनों में बढ़कर 6.06 लाख करोड़ रुपए हो गया है। 2014-15 के अंत में ग्रॉस एनपीए 2.67 लाख करोड़ रुपए था। उच्च अधिकारियों ने एनपीए से सख्ती से निपटने का फैसला किया है, ताकि अर्थव्यवस्था की ग्रोथ हो सके। आपको बता दें कि इस सयम एनपीए न सिर्फ बैंकों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गए हैं, बल्कि देश के लिए भी यह एक बड़ी समस्या हैं।