जीएसटी के आते ही मकान खरीदना होगा महंगा, जानिए कितना
नई दिल्ली। जब जीएसटी बिल लागू हो जाएगा तो अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी की कीमतें 5-10 प्रतिशत बढ़ जाएंगी। हालांकि, बन कर पूरी हो चुकी या रेडी टू मूव प्रॉपर्टी की कीमतों पर जीएसटी लागू होने का कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर आपने पहले से ही एक प्लैट खरीद लिया है लेकिन उसकी पूरी कीमत अभी तक नहीं दी है, तो आपको उस प्लैट की बची हुई धनराशि पर जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटी की दर से हिसाब से टैक्स देना होगा, जो 12 से 18 फीसदी के बीच हो सकता है।
ग्रांट थॉर्टन सलाहकार फर्म में पार्टनर अमित कुमार सरकार ने कहा कि कीमतों बढ़ने का कारण यह है कि कुल टैक्स (नेट टैक्स) में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके चलते अडर कंस्ट्रक्शन अपार्टमेंट्स की कीमतें बढ़ गई हैं। जीएसटी लागू होने के बाद अगर कोई व्यक्ति एक अंडर कंस्ट्रक्शन अपार्टमेंट बुक करता है तो उस अपार्टमेंट की लागत डेवलपर की तरफ से दी गई सेवाओं की तरह माना जाएगा और जीएसटी रेट के हिसाब से ही उस पर भी टैक्स लगाया जाएगा।
अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी को अभी तक एक वर्क कॉन्ट्रैक्ट की तरह माना जाता है, जिसमें जमीन, सीमेंट-स्टील जैसी वस्तुएं और सेवाएं आती हैं। इसके तहत सर्विस टैक्स कुल लागत के 60 फीसदी हिस्से पर नहीं लगता है, जिसका मतलब हुआ कि कुल लागत के सिर्फ 40 फीसदी हिस्से पर ही सर्विस टैक्स लगता है। इस तरह से कुल लागत के 40 फीसदी हिस्से पर 15 फीसदी की दर से सर्विस टैक्स लगता था, जो कुल लागत पर 6 फीसदी बनता है। इसके अलावा खरीदार को 1 फीसदी का वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) देना होता था।
पीडब्ल्यूसी कंसल्टेंसी फर्म के अप्रत्यक्ष करों के जानकार प्रतीक जैन ने जीएसटी आने के बाद की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि जीएसटी आने के बाद वर्क कॉन्ट्रैक्ट और साथ ही अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी की बिक्री को सेवाओं की तरह ही माना जाएगा। ऐसे में जीएसटी लागू होने के बाद कुल टैक्स 6 प्रतिशत के बजाए 12 फीसदी से 18 फीसदी के बीच हो जाएगा।
एक और परेशानी यह भी है कि प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी को जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है। इसका भुगतान खरीदार को स्थानीय राज्य सरकार के पास करना होता है। इस तरह से सर्विस टैक्स देने के अलावा 5-8 फीसदी सर्विस टैक्स भी देना होगा, जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकता है।