9 साल की बच्ची ने कंपनी को किया मजबूर, बदलनी पड़ी पूरी पैकेजिंग
जूस के डिब्बे पर स्कूल की ड्रेस पहने एक बच्चे की तस्वीर लगी हुई थी। वह देखकर बच्ची ने अपने पिता मृगानिका के मजूमदार से पूछा कि क्या यह जूस सिर्फ लड़के पी सकते हैं?
नई दिल्ली। गुवाहटी में रहने वाली एक 9 साल की बच्ची ने जूस पीने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया क्योंकि उस जूस की पैकेजिंग में दिखाया गया था कि यह जूस 'लड़कों' के लिए है। दरअसल, जूस के डिब्बे पर स्कूल की ड्रेस पहने एक बच्चे की तस्वीर लगी हुई थी। वह देखकर बच्ची ने अपने पिता मृगानिका के मजूमदार से पूछा कि क्या यह जूस सिर्फ लड़के पी सकते हैं? मजूमदार ने बताया कि जब उनकी बच्ची ने उनसे यह सवाल पूछा तो वह भी समझ नहीं सके कि बच्ची को उसके सवाल का क्या जवाब दें।
जूस के डिब्बे पर बच्चे की तस्वीर के नीचे लिखा था कि 'आपके बच्चे लिए जो अच्छा है, उसे बच्चे को खुशी भी देनी चाहिए।' इसके बाद बच्ची के पिता ने महिला एंव बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी को एक पत्र लिखा और शिकायत की कि जूस के डिब्बे की पैकेजिंग भेदभावपूर्ण है। मेनका गांधी ने इस पर कार्रवाई करते हुए उस खत की तस्वीर को ट्वीट भी किया। उन्होंने यह भी कहा कि डाबर कंपनी के रीयल जूस पर सिर्फ लड़के की तस्वीर न दिखाकर कंपनी को बेटियों का भी सम्मान करते हुए उनकी भी तस्वीर दिखानी चाहिए। हालांकि, जब कंपनी को इस बात का पता चला तो कंपनी ने लिंग भेदभाव होने की बात से इनकार किया।
इसके बाद डाबर की तरफ से एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए सफाई दी और कहा कि भविष्य में इस तरह की गलतफहमियां न हों, इसके लिए वह रीयल जूस की पैकेजिंग को बदलेंगे। आपको बता दें कि कंपनी के 200 मिली. के पैक पर सिर्फ एक लड़के की तस्वीर है, जबकि 1 लीटर के पैक पर पूरे परिवार की तस्वीर है, जिसमें बच्ची को भी दिखाया गया है। मजूमदार को जब पता चला कि कंपनी ने पैकेजिंग को बदलने का फैसला किया है तो उन्होंने इस पर काफी खुशी जताई।