वायरल हुई इस मार्मिक तस्वीर के पीछे की कहानी
[अजब-गजब] एक गरीब बच्चे को मिनरल वॉटर पिलाते हुए इस महिला की तस्वीर आपने जरूर देखी होगी। उस पर कैपशन लिखा होगा, मंदिर-मस्जिद के लिये दान करने से अच्छा है, किसी गरीब को भोजन करायें... तस्वीर देखते ही आपने भी झट से शेयर की होगी। जिस तस्वीर को देख कर आपकी आंखें भर आयीं हैं, उसी तस्वीर के पीछे की मार्मिक कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। जिसे पढ़ने के बाद आप सन्न रह जायेंगे, क्योंकि लोगों की नज़रों में यह मासूम बच्चा "राक्षस" है।
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जी हां नाईजीरिया के इस बच्चे की कहानी दुनिया के सामने तब आयी जब डेनमार्क की समाजसेविका अंजा रिंगरेन लोवेन नाईजीरिया घूमने गईं। वहां उन्होंने एक नंगे अफ्रीकी बच्चे को देखा, जो सड़क किनारे खड़ा रो रहा था। वो बच्चा भूखा था पर कोई उसे खाने को एक निवाला तक नहीं दे रहा था। अंजा ने उसे देखते ही सबसे पहले अपने पर्स से वेफर्स का एक पैकेट निकाला और उसे खाने को दिया।
मात्र ढाई साल का बच्चा बना "राक्षस"!
बच्चे का रोना तो बंद हो गया, लेकिन आंसू नहीं रुके। रुकते भी कैसे, दो दिन बाद कुछ पेट में जो गया था। अंजा ने उसे अपनी ही बोतल से पानी पिलाया और फिर आस-पास के लोगों से उसके बारे में पूछना शुरू किया। लोगों ने कहा, ये बच्चा राक्षस है, इसीलिये इसे गांव से निकाल दिया गया है। जरा सोचिये मात्र ढाई साल के बच्चे को राक्षस कहकर निकाल दिया गया।
असल में नाईजीरिया का एक आदिवासी क्षेत्र है, जो तमाम बच्चों को राक्षस, डायर, राक्षसी, आदि कहकर निकाल चुके हैं। वहां की प्रथा के अनुसार समाज से अलग किये जाने के बाद अगर बच्चे को उनके माता-पिता वापस ले आये तो उन माता-पिता को मार दिया जाता है। लिहाजा नाईजीरिया के इस इलाके में आपको ऐसे तमाम बच्चे मिल जायेंगे, जो केवल राक्षस/डायन कहकर बेघर कर दिये गये।
कौन हैं अंजा? पढ़ने के बाद जरूर शेयर करें उनका यह गुडवर्क
समाजसेविका अंजा अफ्रीकन चिल्ड्रेन एड एजूकेशन एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन की संस्थापक हैं, जो केवल इसी प्रकार के बच्चों को बचाने का काम करती हैं। वो ऐसे बच्चों को पढ़ाने व पालन पोषण का कार्य करती हैं। अंजा ने इस तस्वीर को फेसबुक पर पोस्ट करते वक्त लिखा, "हजारों बच्चों को डायन/राक्षस कहकर मार दिया जाता है, या उन्हें टॉर्चर किया जाता है, या फिर गांव से बाहर जंगल में भटकने के लिये छोड़ दिया जाता है। मैंने इन बच्चों के लिये अपना सबकुछ बेच दिया है। जिंदगी भर इन बच्चों की मदद के लिये आगे रहूंगी।"