फटे कपड़े पहने थे इसलिए गरीब बच्चों को मेट्रो में चढ़ने से रोका, मेनका गांधी ने लगाई क्लास
फटे कपड़े और पसीने से तरबतर होने के कारण गरीब बच्चों को दिल्ली मेट्रो में चढ़ने से रोका।
नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो में कोई भी यात्रा कर सकता है। चाहे वो अमीर हो या गरीब, लेकिन दिल्ली मेट्रो के रैपिड मेट्रो में गरीब बच्चों को यात्रा करने से रोक दिया गया जबकि उन बच्चों ने सफर के लिए उचित टोकन ले रखे थे। गुड़गांव के रैपिड मेट्रो स्टेशन पर इन बच्चों को सिक्योरिटी गार्ड ने एंट्री नहीं दी, क्योंकि बच्चे गरीब थी और उन्होंने फटे हुए गंदे कपड़े पहन रखे थे। वो पसीने से तरबतर थे। इसलिए गार्ड ने उन्हें मेट्रो में एंट्री नहीं दी।
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इस घटना को लेकर उद्योग विहार स्थित एक एमएनसी में काम करने वाली शिवान्या ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी को टैग किया।शिवान्या ने ने केवल फेसबुक पर पोस्ट लिखी बल्कि उसने महिला और बाल कल्याण विभाग के मेल कर इस घटना के बारे में बताया।
गरीब बच्चों के साथ हुए इस भेदभाव को लेकर 24 घंटों के भीतर ही मेनका गांधी ने मामले को गंभीरता ले लिया और दिल्ली मेट्रो से इस बारे में रिपोर्ट मांगी। मेनका गांधी ने गरीब बच्चों के साथ हुए इस भेदभाव पर नाराजगी जाहिर की है और एक्शन रिपोर्ट तलब की है। हलांकि मेट्रो ने बच्चों के पहनावे को लेकर यात्रा न करने देने के आरोप को गलत बताया है। अपनी जांच रिपोर्ट में मेट्रो ने सफाई दी है कि पहनावे की वजह से किसी को भी दिल्ली मेट्रो में सफर से नहीं रोका गया है।
उनके मुताबिक बच्चों के पास मेट्रो में सफर करने के लिए टोकन या फिर स्मार्ट कार्ड नहीं थी, जिसकी वजह से गार्ड ने उन्हें जाने से रोक दिया। गार्ड से पूछताछ में उसने बताया कि बच्चों के पास टोकन नहीं थे और इसी वजह से वो खुद उन्हें बाहर तक छोड़कर आया। मेट्रो प्रवक्ता ने बच्चों के पहनावे को लेकर यात्रा न करने देने के आरोप को गलत बताया, साथ ही कहा कि रैपिड मेट्रो पब्लिक ट्रांसपोर्ट है। इसमें टोकन या कार्ड लेकर कोई भी यात्रा कर सकता है। पढ़िए क्या लिखा सइवान्या ने अपने फेसबुक पोस्ट में...