...वो दिन भर खाती रहती है
21 साल की एब्बी को ऐसी रेयर बीमारी है कि उन्हें भूख नहीं लगती है.
एब्बी सोलोमन को एक अजीबोगरीब बीमारी है. उन्हें कभी भूख नहीं लगती. और फिर भी वे पूरा दिन खाती रहती हैं.
अमरीका के टेक्सास यूनिवर्सिटी की छात्रा सोलोमन को न्यूनटल प्रोगरॉयड सिंड्रोम हैं.
ये दुनिया भर में गिने चुने लोगों को ही होता है. और एब्बी उनमें से एक हैं.
सबसे मुश्किल बात ये है कि इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चा कुछ ही महीनों का मेहमान होता है. जबकि एब्बी 21 साल की हो चुकी हैं.
न्यूनटल प्रोगरॉयड सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में लगातार हाइपोग्लिसेमिया की स्थिति बनी रहती है. इसे वंशानुगत बीमारी बताया जा रहा है.
आपको 'क्रोनिक फ़टीग सिंड्रोम' तो नहीं?
इस सिंड्रोम में बहुत ज्यादा इंसुलिन या खराब खान-पान के कारण शरीर में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से काफी कम हो जाता है. ऐसे में व्यक्ति के कभी भी बेहोश होने का खतरा रहता है. ऐसे में आपको लगातार कुछ न कुछ खाते रहने की जरूरत होती है.
खाने के लिए कुछ पकाती हुई एब्बी ने बताया, "मेरी जीवन में बस खाना और खाना ही रह गया है."
वे हर 15 मिनट पर कोई स्नैक, या चिप्स या बिस्किट खाती हैं. लेकिन उनकी देह पर कभी चर्बी नहीं चढ़ी.
एब्बी मानती है कि उनकी बीमारी बहुत अजीब है.
आखिर किसी व्यक्ति में ऐसे सिंड्रोम कैसे पैदा हो जाते हैं.
शोध विज्ञानियों के मुताबिक़ यह सिंड्रोम एफबीएन1 जीन में आनुवंशिक रूप से बदलाव आने के कारण शुरू होता है. इसके कारण त्वचा के नीचे चर्बी की जो परत मौजूद होती है उसको नुकसान पहुंचता है. फिर व्यक्ति समय से पहले अधिक उम्र की दिखाई देने लगता है.
यही नहीं इस सिंड्रोम के कारण एस्प्रोसिन हारमोन बनाने की शरीर की क्षमता पर भी असर पड़ता है. यह हारमोन भूख बढ़ाता है और इसके कारण ही लीवर रक्त में लगातार ग्लूकोज भेजता रहता है.
सोलोमन कहती हैं कि, "यही वजह है कि मैं ऐसी हूं."
उपवास के बाद खाना डायबिटीज में फ़ायदेमंद
आनुवंशिकी विज्ञानी अतुल चोपड़ा 2013 में एक मरीज को देखने के दौरान संयोग से एब्बी से मिले.
इसके बाद उन्होंने एब्बी पर एक शोध शुरू की. उनके साथ इस शोध में टेक्सस के कई दूसरे डॉक्टर भी शामिल हैं.
अतुल बताते हैं कि एब्बी के शऱीर में ग्लूकोज की कमी लगातार बनी रहती है. इसलिए उन्हें जिंदा रहने के लिए दिन भर कुछ न कुछ खाते रहना पड़ता है.
मोटापा और डायबिटीज
अतुल चोपड़ा का मानना है कि एब्बी पर शोध से मोटापे और डायबिटीज से परेशान लोगों के इलाज में मदद मिलेगी.
उनके मुताबिक़ ऐसे लोगों के इलाज में एस्प्रोसिन हारमोन बड़ी भूमिका निभा सकता है.
इस वैज्ञानिक शोध का हिस्सा बनकर एब्बी खुश हैं.
चूहों पर प्रयोग
शोध विज्ञानी इस बात का पता लगा रहे हैं कि इस हारमोन की कमी से शरीर पर क्या क्या असर होता है.
चोपड़ा खासतौर पर प्रयोगशाला में एब्बी के सिंड्रोम की नकल करते हुए चूहों पर प्रयोग कर रहे हैं. इस प्रयोग की मदद से वो ऐसी एंटीबॉडी तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं जो एस्प्रोसिन हारमोन के बुरे असर को खत्म कर दे.
अगर मेन्यू कार्ड बताए, कम कैलोरी खाएँ
उम्मीद है कि यदि ऐसी एंटीबॉडी तैयार हो जाती है तो इसे अधिक वजन और डायबिटीज से पीड़ित लोगों में डालकर उनका वजन कम किया जा सकेगा।