बिहार न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

बिहार में शराबबंदी के बाद सामने आया डरावना सच, डॉक्टर भी हैरान

बिहार में शराब बंदी के एक साल हो चुके हैं लेकिन इस एक साल में कुछ ऐसे बदलाव सामने आए हैं जो सरकार के लिए भी डरावने हैं।

By Rahul Sankrityayan
Google Oneindia News

पटना। साल 2015 के नवंबर में सरकार बनने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब बंदी का अपना वादा पूरा किया। लोग खुश हो गए कि अब राज्य में नशे के चलते जो भी घटनाएं हो रही थीं, वो नहीं होंगी।

ये है ज्यादा नुकसानदायक

ये है ज्यादा नुकसानदायक

नीतीश कुमार को भी शायद ऐसा ही कुछ अंदाजा था लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट की मानें तो अब हालात बद से बद्तर हो गए हैं। शराब ना मिलने के कारण लोग ऐसी नशाखोरी की ओर बढ़ रहे हैं, जो कहीं ज्यादा नुकसानदायक है।

डॉक्टर कर रहे नई परेशानी का सामना

डॉक्टर कर रहे नई परेशानी का सामना

बीते साल तक डॉक्टर एमई हक ने बिहार के गया जिले में करीब 700 मामले ऐसे दर्ज किए थे जिनमें लोग शराब की लत के शिकार थे। इनमें से 85 फीसदी मामले शराब बंदी कानून लागू हो जाने के बाद दर्ज किए गए थे। लेकिन अब डॉक्टर हक को नई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नशा मुक्ति केंद्र जहां उनकी नियुक्ति हैं वहां अब पदार्थों का दुरुपयोग, भांग, इन्हेलंट्स, और सीडेटिव से लेकर ऑपिओयड तक प्रयोग करने के मामले सामने आ रहे हैं।

अब NIMHANS से ले रहे हैं ट्रेनिंग

अब NIMHANS से ले रहे हैं ट्रेनिंग

डॉक्टर हक, बिहार के उन 38 जनरल मेडिकल ऑफिसर्स में से एक हैं, जिनका प्रशिक्षण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज, (NIMHANS) बेंगलुरु में होगा। 2 बैच में बांटे गए ये डॉक्टर मादक पदार्थों के सेवन से पैदा होने वाली समस्यों से निपटने की ट्रेनिंग ले रहे हैं।

तब सरकार को हुआ महसूस

तब सरकार को हुआ महसूस

नशा मुक्ति केंद्र के स्टेस प्रोग्राम ऑफिसर डॉक्टर एके शाही ने कहा कि केंद्रों पर 25 फीसदी मामले ऐसे आ रहे हैं जिनमें मादक पदार्थों के सेवन के मामले सामने आ रहे हैं। जिनमें सबसे ज्यादा भांग, इन्हेलंट्स, सीडेटिव और ऑपिओयड शामिल है। शाही के अनुसार बिहार में शराब बैन होने के चलते संभवतः लोग इन पदार्थों की ओर रुख कर हे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को महसूस हुआ कि डॉक्टरों को ऐसे मामले पर काम करने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए। जिसके बाद NIMHANS हमें प्रशिक्षित करने के लिए सहमत हुआ।

3,000 लोगों को इलाज

3,000 लोगों को इलाज

शाही ने कहा कि हमने करीब 3,000 लोगों का जांच, इलाज और उन्हें परामर्श दिया जो शराब की लत के शिकार थे। अब ये लोग उन लोगों को पहचानने में सक्षम हैं जो मादक पदार्थों का सेवन करत हैं और उन्हें यहां ले आते हैं।

वर्चुअल नेटवर्क के जरिए हैं जुड़े

वर्चुअल नेटवर्क के जरिए हैं जुड़े

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार ये डॉक्टर NIMHANS से एक वर्चुअल नेटवर्क के जरिए जुड़े हैं, जहां ये ऐसे मामलों पर अपने फोन के जरिए सवाल कर सकते हैं, केस फाइल से जुड़ी बातें और फोटो पोस्ट कर सकते हैं, साथ ही NIMHANS के विशेषज्ञों से सलाह पा सकते हैं।

यहां बतातें हैं समस्या

यहां बतातें हैं समस्या

NIMHANS के एडिशनल प्रोफेसर और कोऑर्डिनेटर, वर्चुअल नॉलेज नेटवर्क डॉक्टर प्रभात कुमार चंद ने कहा कि बिहार सरकार ने NIMHANS से डॉक्टरों को ऐसे मामले से निपटने के लिए प्रशिक्षण की अनुमति चाही थी, जिसके बाद हमने वर्चुअल लर्निंग नेटवर्क बनाया जहां मोबाइल टेक्नॉलॉजी के जरिए हम नशा मुक्ति कार्यक्रम चलाते हैं।

ये भी पढ़ें: केजरीवाल के 'कारनामों' से नाराज हो गए अन्ना हजारे, कहा- सारे नियम धो डालेये भी पढ़ें: केजरीवाल के 'कारनामों' से नाराज हो गए अन्ना हजारे, कहा- सारे नियम धो डाले

Comments
English summary
This new problem started in Bihar after liquor ban
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X