बिहार: मैट्रिक की परीक्षा के रिजल्ट में भी गड़बड़ी, कैसे मिले 100 में से 100 नंबर?
झंझारपुर का रहने वाला एक छात्र जो पिछले साल मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गया था, फेल होने के बाद दूसरी बार इस बार परीक्षा दी, लेकिन इस बार भी उसे उतने ही नंबर मिले, जितने पिछले साल की परीक्षा में मिल
पटना। शिक्षा विभाग और सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद बिहार में शिक्षा की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। पूरे देश में बदनाम हो चुकी बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर एक के बाद एक ऐसे कारनामे सामने आए हैं, जिन्होंने बिहार के छात्रों का भविष्य संकट में रख दिया है। चाहे बात रूबी राय की हो या आर्ट्स टॉपर गणेश ठाकुर की। जो भी हो सभी में प्रशासन की लापरवाही दलालों की मिलीभगत सामने आई। अगर कॉपी का मूल्यांकन सही से किया जाता तो आज यह नोबत नहीं आती।
इंटर रिजल्ट में हुए घोटाले के बाद शिक्षा विभाग ने मैट्रिक की परीक्षा के रिजल्ट को दुबारा चेक करते हुए गुरुवार को जारी कर दिया, लेकिन इस रिजल्ट में भी धांधली की बात सामने आ रही है। जिस तरह इस बार का रिजल्ट सामने आया है उसमें कई विषयों में 100 में से 100 नंबर आना घोटाले और लापरवाही का संकेत दे रहा है। आइए अब हम आपको बताते हैं घोटाले और लापरवाही की सच्चाई...
कैसे मिले 100 में से 100 नंबर...
जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार के खुटौना के प्लस टू उच्च विद्यालय की, जहां के छात्र जूरीदेव कुमार को मैट्रिक की परीक्षा में 429 अंक मिले हैं। जूरीदेव जिले की टॉप टेन स्टूडेंट्स की लिस्ट में शामिल हो गया तो स्कूल का टॉपर भी बना। अब जरा उसके अंक पत्र में शामिल नंबर पर गौर करें तो आपके शक की सुई घूमने लगेगी, क्योंकि उसे साइंस में 100 में 100 नंबर मिले हैं तो गणित में भी 100 में 94, एसएससी में 100 में 80, संस्कृत में 100 में 77 और हिंदी में 78 नंबर। वही साइंस के प्रैक्टिकल में भी 100 में 100 नंबर दिए गए हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल, जब स्कूल में प्रेक्टिकल की उचित व्यवस्था है ही नहीं तो उसे कैसे 100 में 100 नंबर मिले। यह हम नहीं कह रहे बल्कि स्कूल के प्रधानाध्यापक फिरोज अहमद बता रहे हैं कि हमारे स्कूल में प्रयोगशाला का इंतजाम नहीं है। सिर्फ कागज पर ही प्रैक्टिकल चलाया जा रहा है, इसीलिए स्कूल की दीवार से प्रयोगशाला का नाम हटा दिया गया है, फिर कैसे उसे फुल नंबर मिले। यह सिर्फ एक खुटौना के जूरीदेव की बात नहीं बल्कि सैकड़ों ऐसे छात्र हैं, जिन्हें प्रैक्टिकल की परीक्षा में 100 में 100 नंबर मिले हैं। इसमें लदिनयां स्कूल में पढ़ने वाले सुरेंद्र कुमार भी शामिल हैं, जिन्हें प्रैक्टिकल की परीक्षा में 20 में से 20 अंक दिए गए हैं।
गणित में भी 100 में से 100 नंबर...
इस बार की मैट्रिक परीक्षा में कई डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद सामने आए हैं। ऐसा कहा जाता है कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को गणित की परीक्षा में 100 में से 100 अंक मिले थे। अब अगर बात करें इस बार हुई दसवीं की परीक्षा के बारे में तो कई ऐसे छात्र नजर आए हैं जिन्हें गणित जैसे कठिन विषय में फुल नंबर मिले हैं। इनमें अंधराठाढ़ी के बच्चादाय उच्च विद्यालय की छात्र कोमल, बेनीपट्टी के लीलाधर उच्च विद्यालय के मो. परवेज आलम के साथ-साथ जिले के कई छात्र शामिल है।
इस बार एक ऐसा भी मामला सामने आया है जिसे सुनने के बाद छात्र के साथ साथ पूरे गांव वाले आश्चर्यचकित हो गए हैं। झंझारपुर का रहने वाला एक छात्र जो पिछले साल मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गया था, फेल होने के बाद दूसरी बार इस बार परीक्षा दी, लेकिन इस बार भी उसे उतने ही नंबर मिले, जितने पिछले साल की परीक्षा में मिले थे। इसे देखने के बाद निरंजन मिश्रा नामक छात्र आश्चर्यचकित रह गया।
पिछले साल उसका रोल नंबर 1620235, रॉल कोड 62048 था और उसे हिंदी में 53, संस्कृत में 41, गणित में 13, सामाजिक विज्ञान में 12, विज्ञान में 20 एवं अंग्रेजी में 38 अंक मिले थे। इस साल की परीक्षा में भी उसका रोल नंबर रोल कोड और रिजल्ट वही है। जिससे इस साल भी रिजल्ट में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है।
वहीं, जब इस विषय पर शिक्षा के जाने-माने लोगों से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि हर विषय में 100 में 100 नंबर लाना कठिन है। उसमें भी खासकर गणित और साइंस में। इस साल जिस तरह गणित और विज्ञान में 100 में 100 अंक मिले हैं, वह फिर गड़बड़ी के संकेत दे रहे हैं।