बिहार: शहाबुद्दीन के बाद जेल में चाय पीते अपराधियों की सेल्फी हुई वायरल
कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि कोर्ट जाने के दौरान अपराधी शॉपिंग मॉल, होटल या सिनेमा हॉल में हथकड़ियां लगाकर घूमते रहते हैं। जब भी इस तरह का मामला सामने आता है तो आला अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं।
पटना। गुनाहों की सजा अपराधी अब जेल में एंड्रॉयड फोन के साथ काट रहा है। Facebook, Twitter और Whatsapp तो है ही चाय की चुस्कियों के साथ सेल्फि भी ली जा रही है। इस बात की पुष्टि बिहार के छपरा जेल में बंद दो अपराधी की सेल्फी से हो जाता है। इससे पहले भी कई बार बिहार की जेलों से अपराधियों की सेल्फी वायरल हुई है। सेल्फी वायरल होने के बाद जेल प्रशासन और जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए जेल से मोबाइल बरामद कर मामले की जांच की बात कह रही है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिरकार जेल में अपराधियों के पास मोबाइल कैसे पहुंचा?
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इस बात का जवाब देने में जेल प्रशासन और जिला प्रशासन को पसीने छूटने लगते हैं। क्योंकि जेल के भीतर आपत्तिजनक सामान पहुंचाने में प्रशासन की अहम भूमिका रही है। कई बार तो ऐसा देखा गया है जिनमें कोर्ट जाने के दौरान अपराधी शॉपिंग मॉल, होटल या सिनेमा हॉल में हथकड़ियां लगाकर घूमते रहते हैं। जब भी इस तरह का मामला सामने आता है तो आला अधिकारी दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई करने की बात कहते हैं लेकिन फिर वैसा ही होता है। बिहार के सीवान जेल से मोहम्मद शाहबुद्दीन की सेल्फी का मामला अभी खत्म नहीं हुआ कि छपरा के जेल से दो अपराधियों की सेल्फी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। छपरा से अपराधियों की सेल्फी वायरल होने के बाद जेल सुरक्षा के सारे दावे फेल हो गए हैं तो सेल्फी मामले में जिला प्रशासन ने जांच का आदेश दिया है।
जानकारी के मुताबिक छपरा जेल से 2 कैदी विवेक सिंह और राजू सिंह की चाय की चुस्कियों के साथ सोशल मीडिया पर एक सेल्फी वायरल हुइ है। सेल्फी के साथ दिखने वाले पहले अपराधी विवेक सिंह जिसे रसूलपुर थाना क्षेत्र से अवैध शराब के कारोबार में लिप्त होने के आरोप में पुलिस ने जेल भेजा था। विवेक के खिलाफ उत्पाद अधिनियम धारा 30, 38, 41 के तहत 11/17 कांड संख्या दर्ज की गई है। वहीं दूसरा बगल में बैठा अपराधी राजू सिंह है जिसको अवैध शराब तस्करी में चैनवा स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। ये दोनों अपराधी शराब तस्करी के आरोप में जेल में अपनी गुनाहों की सजा काट रहे हैं।
इनकी सेल्फी वायरल होने के बाद जेल प्रशासन सवालों के घेरे में है। आखिरकार इन अपराधियों के पास एंड्रॉयड फोन कैसे पहुंचा? जहां प्रशासन की कड़ी मुस्तैदी होती है वहां अपराधी कैसे खुलेआम सेल्फी ले सकते हैं? भारतीय संविधान के मुताबिक अपने गुनाहों की सजा काटने के लिए लोगों को जेल भेजा जाता है। जिससे संभव हो तो ये लोग सुधरकर निकलें लेकिन प्रशासन की लापरवाही की वजह से जेल में उन्हें सभी ऐशों-आराम मिलता है और इनकी जिंदगी से सुधार कोसों दूर हो जाता है।
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