बरसात के दिनों में पेड़ पर लटक जाते हैं लोग...फिर यहीं बनाते हैं घोंसला...
अपनी जान बचाने के लिए लोग पेड़ पर चढ़ गए थे और यहां अपना आशियाना बना लिया लेकिन अब मजबूरी ऐसी हो चली है कि यहीं रहना पड़ रहा है।
पटना। अब तक आप लोगों ने पक्षियों के घोंसले के बारे में सुना होगा जिसमें चिड़िया अपने पूरे परिवार के साथ रहती है। दिनभर अपने भोजन की तलाश में भटकने के बाद शाम को घोंसले में लौट आती है और अपने बाल बच्चों को भी खिलाती है। ये तो थी चिड़िया की घोंसले की बात लेकिन अगर कोई कहे कि इंसान भी चिड़िया की तरह घोंसले में रह रहा है तो शायद आपको बकवास लगेगा! लेकिन ये हकीकत है, हम आपको बताने जा रहे हैं कि मजबूर गांव वालों कि वो दास्तां जिसने उन्हें एक इंसान से पक्षी बना दिया। इंसानों की वो मजबूरी जिससे पूरे परिवार के साथ वो पेड़ पर घोंसला बनाकर रह रहे हैं।
मामला बिहार के भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड का है जहां स्थित बगडेर बगीचा में लगभग 100 परिवार पेड़ पर अपना घोंसला बनाए हुए हैं और उसी घोंसले में पूरे परिवार के साथ रहता हैं। ये सिलसिला चलता ही जा रहा है। बाढ़ की मजबूरी से परेशान लोग बगीचे के पेड़ पर अपना घोंसला बनाते हैं और वहीं खाने-पीने के सामानों को सहेजकर रखते हैं। ये नजारा पिछले 1 साल से देखा जा रहा है। पिछले साल यहां आई भयानक बाढ़ में पूरा गांव तबाह हो गया था। जिसके बाद अपनी जान बचाने के लिए लोग पेड़ पर चढ़ गए थे और बाढ़ जाने तक वहीं अपना आशियाना बनाए हुए थे। बाढ़ खत्म होने के बाद ग्रामीण पेड़ से नीचे आए और अपना आशियाना बनाने में लग गए लेकिन सरकार के द्वारा घोषणा किए गए मुआवजे की राशि और प्रशासन के द्वारा लोगों के लिए अस्थाई ठिकाने की व्यवस्था नहीं की गई। जिसकी वजह से लोग पेड़ पर बने अपने घोंसले में रहने को मजबूर हैं।
गांव वालों का कहना है कि पिछले साल गांव में आई भयानक बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया था। जिसके बाद हम लोग बगल के बगीचे में पेड़ पर जाकर किसी तरह अपना दिन काट रहे हैं। लेकिन बाढ़ सुखने के बाद हम लोगों की समस्या को देखने ना तो कोई समाजसेवी पहुंचा और ना ही प्रशासन के अधिकारी। यहां तक कि हम लोगों को सरकारी योजना भी नहीं दी गई। अब हम लोगों को ऐसा लगता है कि हम अपने ही राज्य में बिना सरकार के हैं। अगर सरकार होती तो हम लोगों के लिए कुछ उचित व्यवस्था करती।
तो पेड़ पर बने घोंसले में बैठे गांव के रहने वाले पुलिस मंडल का कहना है कि हम लोग भूमिहीन होने के बाद भी प्रशासन के द्वारा जमीन मुहैया नहीं कराया गया है। हमारे हालात देखकर इंसान क्या जानवर भी शर्मा जाएगा लेकिन सरकार को हम लोगों की कुछ भी पड़ी नहीं है। सिर्फ चुनाव के वक्त ही इन लोगों को हमारी याद आती है। हम लोग अब सरकार पर भरोसा करने की बजाय खुद अपनी तैयारी करने में लगे हुए हैं।
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