लालू-नीतीश के गढ़ में घुसपैठ की तैयारी में 'मोदी-योगी फैक्टर'
इस बात को भाजपा भी भली भांति जानती है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में अगर नरेंद्र मोदी को कोई टक्कर दे सकता है तो वह नीतीश कुमार ही हैं।
पटना। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी के दो बड़े नेता अब लालू-नीतीश के गढ़ में घुसपैठ की तैयारी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस है तो उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का क्षेत्र गोरखपुर। दोनों जिले बिहार के बॉर्डर से सटे हुए हैं।
मिशन 2019 और मोदी-योगी फैक्टर
यूपी में अपनी जीत दर्ज करवाने के बाद भाजपा के पास एक ही लक्ष्य बचा है मिशन 2019 को सफल बनाना और मोदी-योगी फैक्टर के जरिए अगले लोकसभा चुनाव में इसका असर काफी देखने को मिलेगा। वहीं, बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में मोदी फैक्टर की धज्जियां उड़ाने वाले महागठबंधन को आने वाले लोकसभा चुनाव में इससे निपटने के लिए नई रणनीति बनानी होगी। राजनीति के जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली और राजनीतिक तौर तरीके के बारे में बिहार की जनता अनजान नहीं है, वह सब कुछ जानती है। ये भी पढ़ें- राजनाथ के बेटे पंकज को मंत्री ना बनाए जाने की ये है असल वजह?
बिहार की 40 सीटें भाजपा के लिए अहम
बिहार में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं है। दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ का फायरब्रांड स्टाइल बिहार में महागठबंधन की सरकार में शामिल नेताओं और गैर भाजपा दलों को मुश्किल में डाल सकता है। अब अगर बात करें लालू नीतीश की, तो पूर्वांचल से सटे क्षेत्र भोजपुरी व मगही पट्टी जो बिहार के इन दोनों नेताओं के गढ़ माने जाते हैं। यह दोनों इलाके यूपी के बॉर्डर से सटे हुए हैं। अब यहां महागठबंधन की एकता और सुशासन की छवि के साथ-साथ सामाजिक न्याय की ताकत की परीक्षा होना तय है। बिहार की 40 लोकसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत अहम है। पिछली बार हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ गठबंधन करते हुए 31 सीटें अपने खाते में डाली थी।
भाजपा ने शुरू की 2019 की तैयारी
हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस जगह से कुछ खास सफलता नहीं मिली। लालू-नीतीश की लहर के सामने मोदी लहर धराशाई हो गई। अब उत्तर प्रदेश का कमान एक ऐसे आक्रामक हिंदूवादी नेता के हाथों में दी गई है, जिसे जनता अपने तरीके से जानती है। योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के साथ-साथ बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की रणनीति को आगे बढ़ाने की पहल की है। उत्तर प्रदेश के बनारस और फिर गोरखपुर को गौरवान्वित करने के पीछे भाजपा की एक ही मनसा है कि भी किसी तरह से यूपी के सटे बॉर्डर और पश्चिमी क्षेत्र में लालू-नीतीश की ताकत को कमजोर किया जाए। ये भी पढ़ें- 7 महीने पहले ही शुरू हो गई थी योगी को CM बनाने की तैयारी?
मोदी को केवल नीतीश टक्कर दे सकते हैं!
इसके पीछे सबसे खास वजह यह है कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की करारी हार होने के बाद गैर भाजपाई दल नरेंद्र मोदी को परास्त करने के लिए एक ऐसी चेहरे की तलाश कर रहे हैं, जो भाजपा को करारी टक्कर दे सके। इस तरह के चेहरे की तलाश करने के बाद सभी की नजर एक ही जगह जाकर टिकती हैं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर। इस बात को भाजपा भी भली भांति जानती है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में अगर नरेंद्र मोदी को कोई टक्कर दे सकता है तो वह नीतीश कुमार ही हैं। इसी को देखते हुए भाजपा ने अभी से ही नीतीश के गढ़ में घुसपैठ करने और चौतरफा घेरा डालने की रणनीति शुरू कर दी है।
शुरू हुआ गैर भाजपाई दलो का मंथन...
उत्तर प्रदेश में हुए सियासी उलटफेर के साथ ही बिहार के गैर भाजपा दलों के नेता मंथन के दौर से गुजर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में प्रशांत किशोर की लाख कोशिश के बाद भी कांग्रेस की हुई करारी हार को देखते हुए चुनाव प्रबंधन के नए फार्मूले पर विचार किया जा रहा है। वहीं यूपी चुनाव में ओवैसी और सवर्णों के ध्रुवीकरण का भी खासा असर देखने को मिला है। इससे महागठबंधन के नेताओं को अब यह चिंता सता रही है कि बिहार में जब भाजपा योगी फैक्टर के जरिए काम करना शुरू कर देगी तो उससे कैसे निपटा जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ की बिहार में एंट्री नहीं हुई थी पर अब वह बिहार में तैयारी से आएंगे। इसी को देखते हुए बिहार में चल रहीं महागठबंधन की सरकार अपनी रणनीति बदल सकती है।