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बेटे के शव को लेकर 8 किमी. पैदल चला पिता, ठेला आया काम नहीं आई एंबुलेंस

जैसे ही अधिकारी को मामले की जानकारी हुई अस्पताल में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में एक एंबुलेंस को भेजा गया। तब वो किसी काम की नहीं थी।

By Gaurav Dwivedi
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पटना। बिहार में स्वास्थ्य विभाग के कारनामे आजकल चर्चा के विषय बने हुए हैं। जिले के सरकारी अस्पताल में पैसों के लिए गरीब लाचार को विवश किया जाता है तो पैसे के अभाव में परिजन लाश को कंधे पर उठाकर ले जाते हैं। ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें पैसे के अभाव में डॉक्टरों द्वारा भेदभाव किया गया है। मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक सभी दोषियों पर कार्रवाई की बात करते हैं लेकिन किसी भी दोषी पर कार्रवाई नहीं की गई है।

बेटे के शव को लेकर 8 किमी. पैदल चला पिता, ठेला आया काम नहीं आई एंबुलेंस

इसी का नमूना है कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग का हाल दिन पे दिन बेहाल होता जा रहा है। अगर विभाग के द्वारा सख्ती से कार्रवाई की जाती तो ये नजारा देखने को नहीं मिलता। अगर बात करें बिहार के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया तेज प्रताप यादव की तो विभाग से ज्यादा उनका ध्यान पूजा-पाठ में लगा रहता है। अगर मंत्री के द्वारा इस पर खुद कार्रवाई की जाती तो शायद गरीबों के लिए खोले गए सरकारी अस्पताल में उन्हें बेहतर इलाज मिलता।

बेटे के शव को लेकर 8 किमी. पैदल चला पिता, ठेला आया काम नहीं आई एंबुलेंस

जानकारी के मुताबिक बाप के द्वारा बेटे की लाश को कंधे पर उठाकर ले जाने का मामला बिहार के जहानाबाद जिले में सामने आया है वो तो भला हो कि एक ठेला वहां मिल गया। बता दें कि भारी सामान गिरने से 15 साल के एक लड़के की मौत हो गई थी। मौत के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने लाश को अंतिम संस्कार करने से पहले पोस्टमॉर्टम कराने की बात कही। फिर गरीबी से लाचार परिवार वाले किसी तरह उसे लेकर सरकारी सदर अस्पताल पहुंचे। जहां अस्पताल के डॉक्टरों का नखरा उठाने और लगभग 5 घंटे तक मिन्नत करने के बाद भी पिता को अपने बेटे की शव को कंधे पर ढोना पड़ा। पोस्टमार्टम के बाद श्मशान घाट ले जाने के लिए एंबुलेंस की गुहार लगा रहे उसके पिता से जब पैसे की मांग की गई तो पैसे देने में असमर्थ पिता ने कहा हमारी मदद कीजिए मेरे पास पैसे नहीं हैं। जिसे सुनने के बाद सभी उससे कन्नी काटने लगे।

काफी देर तक अस्पताल के चक्कर काटने और नर्स, डॉक्टरों की मिन्नत करने के बाद जब किसी से कोई मदद नहीं मिली तो मजबूर बाप अपने बेटे की लाश को कंधे पर उठाकर श्मशान घाट की ओर चल पड़ा। जब एक गरीब बाप अपने बेटे की लाश को कंधे पर लेकर जा रहा था तो इस तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी गई और मामले की जानकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी को दी। जैसे ही अधिकारी को मामले की जानकारी हुई अस्पताल में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में एक एंबुलेंस को भेजा गया। जब तक एंबुलेंस उस गरीब बाप के पास पहुंचती तब तक वो अपने सफर की आधी दूरी तय कर चुका था। मामला कुछ भी हो पर बिहार के जहानाबाद जिले की इस घटना ने मानवता को झकझोरते हुए बिहार के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की सच्चाई सामने लाई है।

हाल फिलहाल पिछले कुछ महीनों में बिहार के स्वास्थ्य विभाग से ऐसी कुछ तस्वीर सामने आई हैं जिसने ये साबित कर दिया है कि अब बिहार का सरकारी अस्पताल गरीबों के इलाज के लिए नहीं है। हलांकि हर तस्वीर के सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक सभी दोषियों पर कार्रवाई की बात करते हैं। लेकिन मामला ठंडा पड़ते ही उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। अगर इस पर कार्रवाई की गई होती तो इस तरह का नजारा देखने को नहीं मिलता।

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English summary
father carry his son's dead body on his shoulder
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