बिहार में शराब ''बैन'', मौत जारी ....
नई दिल्ली। बीएस-4 रैली में शिरकत करने आए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा था कि आप नहीं चाहते तो मैं नहीं आऊंगा, बस शराब पर पाबंदी लगवा दीजिए। याद आया न आपको ये बयान।
दरअसल कई मौकों पर नीतीश कुमार बिहार में पूर्ण रूप से लागू शराबबंदी पर खुद-ब-खुद पीठ थपथपाते रहे हैं। लेकिन क्या वाकई बिहार में शराब पूर्णतया प्रतिबंधित है या फिर नियम, कानून में दर्ज महज एक इबारत।
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जी हां ये हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि बीते मंगलवार को बिहार के गोपालगंज जिले में कथित रूप से जहरीली शराब पीने की वजह से मरने वालों की संख्या 16 पहुंच गई।
सख्त कानून की दुहाई पर सब हवा-हवाई
पीड़ित परिवारों का कहना है कि शराबबंदी के बाद भी शराब की बिक्री कैसे हो रही थी ? इसके इतर पीड़ित परिवार का यह भी कहना है कि घटना घटित हो जाने के बाद इलाज में भी लापरवाही बरती गई।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि मृतकों में ज्यादातर नोनिया टोली के हैं। और जिन लोगों की मौत हुई उनके मुंह से शराब की गंध आ रही थी। जानकारी के मुताबिक कई लोगों को उचित इलाज न मिल पाने की वजह से वे काल के गाल में समा गए।
अस्पताल ने किया मामले को दबाने का प्रयास
पीड़ित परिवारों में से कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जब हम गंभीर हालत में पीड़ित लोगों को लेकर अस्पताल पहुंचे तो वहां पर इलाज बतौर शराब पीकर हुई हालत के तौर पर नहीं किया गया।
वहीं स्थानीय मीडिया के मुताबिक भी अस्पताल ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया।
मामले को दबाने में जुटा जिला प्रशासन
जिला प्रशासन इन तमाम बातों से साफ तौर पर इंकार कर रहा है।
दरअसल इसकी वजह है कि यदि शराबबंदी के बावजूद शराब की बिक्री का एक अदना सा सुराग शासन के हाथ लगा तो वे अपने सियासी नुकसान के चलते पूरा पल्ला प्रशासन पर झाड़ेंगे। जिसके बाद कई आलाअधिकारियों का नपना तय है।
खोखली शराबबंदी है CM नीतीश कुमार
सवाल ये है कि कहीं न कहीं इस मामले से ये तो खुलासा हो ही चुका है कि मृतकों की मौत की वजह शराब थी।
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और शराब आई कहां से, और प्रशासन कहां गुम था। कुलमिलाकर बिहार सरकार के तमाम खोखले दावों की पोल खुलती नजर आ रही है।