कबाड़ी दुकान में चल रही थी करोड़ों रुपए की नकली दवाई फैक्ट्री
बिहार में एक कबाड़ी दुकान में नकली दवाइयों की बड़ी फैक्ट्री चल रही थी। यहां नकली दवाओं के साथ-साथ एक्सपायरी दवाओं का भी कारोबार होता था।
पटना। बिहार की राजधानी पटना में पिछले 25 वर्षों से चोरी-छुपे चल रहे नकली दवाओं के कारोबार का पर्दाफाश पुलिस और ड्रग विभाग के अधिकारियों ने छापेमारी में किया है। राजधानी पुलिस और ड्रग विभाग की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी करते हुए एक कबाड़ी दुकान से करोड़ों रुपए की नकली दवाइयां जब्त की हैं। साथ ही इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी राजधानी पटना के जक्कनपुर थाना क्षेत्र के कबाड़ी दुकान से की गई है। छापेमारी में बरामद दवाओं की कीमत लगभग 10 करोड़ रुपए बताई जा रही है। बड़े पैमाने पर नकली दवाओं की बरामदगी भले ही 13 वर्ष बाद हुई है लेकिन पटना में अवैध और नकली दवाओं का कारोबार पिछले 25 वर्षों से चल रहा है। पूर्व में करोड़ों रुपए की नकली दवाइयां पकड़ी जा चुकी हैं।
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गुप्त सूचना के आधार पर की छापेमारी
मिली जानकारी के अनुसार ड्रग विभाग के अधिकारियों को गुप्त सूचना मिली थी कि नकली दवाओं का कारोबार राजधानी में बड़े जोर-शोर से चल रहा है। सूचना मिलते ही ड्रग विभाग के अधिकारियों ने एक टीम का निर्माण किया और नजदीकी पुलिस की मदद से जक्कनपुर थाना क्षेत्र के कबाड़ी दुकान में छापेमारी की। छापेमारी करने पहुंची टीम ने जब वहां का नजारा देखा तो वे हैरान रह गए क्योंकि बड़े पैमाने पर नकली दवाओं की खाली और भरी बोतलें वहां मौजूद थीं। नकली दवाओं को असली बना रहे 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं कबाड़ी दुकान के संचालक और नकली दवाई का कारोबार करने वाला सरगना रमेश पाठक वहां से फरार होने में कामयाब हो गया।
नकली दवाओं के बड़े कारोबार का पर्दाफाश
मामले की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि कबाड़ी दुकान में आए एक्सपायरी दवाओं की बोतल में केमिकल मिलाकर उसे बाजार में बेच दिया जाता था। धंधे का सरगना रमेश पाठक इस धंधे का मास्टरमाइंड था जो केमिकल के साथ साथ एक्सपायरी दवाओं का रैपर बदलकर नकली दवा डालते हुए बाजार में बेचता था।
मामले में तीन की हुई गिरफ्तारी
वहीं इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए पटना के एसएसपी मनु महाराज ने कहा कि नकली और एक्सपायर्ड दवा को नया लेवल लगाते हुए बाजार में बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश पुलिस और ड्रग विभाग के अधिकारियों ने किया है। वहीं इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिससे पूछताछ की जा रही है और उसकी निशानदेही पर छापेमारी की जा रही है।
सरगना रमेश पाठक चला रहा था धंधा
छापेमारी
के
दौरान
काफी
मात्रा
में
विभिन्न
कंपनियों
की
नकली
दवाएं
मिली
हैं
जिसे
नया
लेवल
लगाते
हुए
मार्केट
में
सप्लाई
किया
जाता
था।
पटना
के
साथ-साथ
बिहार
के
कई
जिलों
में
इस
गिरोहा
का
जाल
फैला
हुआ
है।
नकली
दवा
के
कारोबार
का
मास्टरमाइंड
रमेश
पाठक
की
गिरफ्तारी
के
लिए
राजधानी
पुलिस
रात
भर
निशानदेही
के
आधार
पर
छापेमारी
करती
रही
पर
वह
पुलिस
की
हाथ
नहीं
लगा
है।
रमेश पाठक के बारे में मिली जानकारी भी चौंकाने वाली है। नकली दवा का सरगना रमेश पाठक अपने नाम पर दो -तीन दवा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है। रजिस्ट्रेशन मे जिस जगह का पता दिया गया है, उस जगह एक कमरे के बाहर केवल बोर्ड लगा हुआ है। रमेश हॉकर के माध्यम से नकली दवा मार्केट में सप्लाई करता था। पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने बताया कि नया लेबल लगाते हुए इसे गांवों के इलाके में और झोलाछाप डॉक्टरों को सप्लाई की जाती थी। वह कम कीमत पर दवाइयां खरीदते थे और मरीजों को बेचकर मोटा मुनाफा कमा लाते थे।
गरीब होते हैं इन नकली दवाओं के शिकार
अनुमान है कि प्रतिदिन राज्य में 15 करोड़ की दवा की खरीद-बिक्री होती है उसमें से चार करोड़ का कारोबार नकली दवाओं का होता है। नकली दवाओं का कारोबार राजधानी के गोविंद मित्रा रोड से लेकर प्रखंड कार्यालय तक फैला हुआ है। अनजाने में लोग नकली दवाओं के शिकार हो रहे हैं।
नकली दवाओं की आपूर्ति बिहार में कानपुर, दिल्ली और हरियाणा से बड़े पैमाने पर की जाती है। नकली दवा की आपूर्ति करने वाले व्यापारी सबसे पहले गोविंद मित्रा रोड को टारगेट करते हैं। यहां से दवा जिले एवं प्रखंड भिजवाई जाती हैं। नकली दवाओं का सर्वाधिक शिकार गरीब मरीज होते हैं।
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