बिहार की राजनीति में दही-चूड़ा की राजनीति, नीतीश ने भाजपा के नेताओं को भोज पर बुलाया
बिहार की महागठबंधन सरकार में या तो इन दिनों अंदर सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा या फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पुराने संबंध वापस हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
पटना। इन दिनों बिहार की राजनीति में ऐसा कुछ जरूर हो रहा है जिससे अटकले लगना शुरू हो ही जाती हैं। इन सबमें सबसे ज्यादा खास है राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से मधुर हो रहे संबंध। ताजा मामले में जनता दल यूनाइटेड ने 15 जनवरी को मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में आयोजित कराए गए भोज में भाजपा के नेताओं को आमंत्रित करने की घोषणा की है। इस बात की जानकारी बिहार के जनता दल यूनाइटेड इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने पटना में दी। सिंह ने अपनी घोषणा में कहा कि इस साल भाजपा के नेताओं को भी भोज में आमंत्रित किया जा रहा है।
संभावना
जताई
जा
रही
है
कि
सिंह
ने
यह
घोषणा
नीतीश
कुमार
से
सहमति
मिलने
के
बाद
ही
की
है।
बता
दें
कि
हर
वर्ष
सिंह
की
ओर
से
आयोजित
किए
जाने
वाले
इस
भोज
में
चूड़ा,
दही,
तिलकुट,
मिठाई
के
और
सब्जी
है।
प्राप्त
जानकारी
के
अनुसार
भाजपा
की
बिहार
इकाई
के
अध्यक्ष
ने
कहा
कि
फिलहाल
ऐसा
कोई
आमंत्रण
मिला
नहीं
है
और
उन्हें
भी
यह
जानकारी
सिर्फ
मीडिया
के
जरिए
मिल
रही
है।
कहा
कि
जब
निमंत्रण
मिलेगा
तो
यह
फैसला
लिया
जाएगा
कि
भोज
में
सम्मिलित
हुआ
जाए
अथवा
नहीं।
वहीं
बात
अगर
राज्य
सरकार
में
साझीदार
राष्ट्रीय
जनता
दल
के
सुप्रीमो
लालू
प्रसाद
यादव
की
करें
तो
उनके
आवास
पर
भोज
आयोजित
किया
जाता
है।
इस
साल
भी
लालू
ने
सभी
को
मीडिया
के
जरिए
आमंत्रित
किया
है।
सूत्रों
के
अनुसार
यह
भी
तय
है
कि
नीतीश
अपने
यहां
भोज
के
पहले
लालू
के
घर
जाएंगे।
गौरतलब
है
कि
नोटबंदी
के
बाद
ही
नीतीश
कुमार
के
बदले
सुर
से
बिहार
के
राजनीति
की
तान
अलग
है।
हालांकि
कोई
बड़ा
विवाद
सतह
से
ऊपरी
स्तर
तक
नहीं
आया
है
लेकिन
उस
वक्त
राजद
के
लोगों
ने
विरोध
किया
था
जब
350
वें
प्रकाश
पर्व
के
दौरान
लालू
को
नीचे
बिठाया
गया
था।
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