पढ़िए बिहार में एक बडे़ घोटाले का सच, मामूली क्लर्क कैसे बना कुबेर
बिहार में प्रश्न पत्र लीक का मामला सामने आया है। इसमें भी घोटाले के मास्टरमाइंड का कनेक्शन राजनीतिक नेताओं के साथ होने की बात कही जा रही है।
पटना। घोटालेबाजों का अखाड़ा बन चुके बिहार में अब तक कई ऐसे घोटाले सामने आए हैं जिससे पूरे देश में बिहार को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है। लेकिन हर घोटाले में राजनीतिक कनेक्शन देखने को जरूर मिला है। बिहार के चर्चित टॉपर घोटाले में भी राजनेताओं के संरक्षण की बात कही जा रही थी जिसकी जांच के बाद सभी बेनकाब हुए थे। इसी तरह एक बार फिर बिहार में प्रश्न पत्र लीक का मामला सामने आया है। इसमें भी घोटाले के मास्टरमाइंड का कनेक्शन राजनीतिक नेताओं के साथ होने की बात कही जा रही है। वहीं इस मामले की जांच बारीकी से की जा रही है। इस जांच में शुक्रवार से ये अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर सही जांच हुई, तो इसमें बहुत नामवारों और रसूखदारों पर आंच आएगी जिसमें सत्ता के करीबी, जनप्रतिनिधि, ऊंचे पदों पर बैठे और शिक्षा माफिया सब शामिल है।
प्रश्नपत्र को वाट्सएप के माध्यम से किया लीक
मामले की जानकारी देते हुए पटना के एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि पटना के राजीव नगर स्थित एवीएन स्कूल के परीक्षा केंद्र से दूसरे चरण का प्रश्नपत्र लीक हुआ था। इस स्कूल के केंद्राधीक्षक रामशुमेर सिंह ने प्रश्नपत्र को वाट्सएप के माध्यम से पवन कुमार को भेजा, जो कि वायरल हो गया। एसआइटी ने रामशुमेर समेत स्कूल के संरक्षक रामाशीष सिंह, बेउर स्थित रैंडम कोचिंग क्लासेस के मालिक रामेश्वर कुमार, बिहटा स्थित वर्मा आइटीआइ कॉलेज के मालिक नितिन कुमार उर्फ सनोज, पटना जंक्शन के लोको पायलट आलोक रंजन और बीएसएससी की परीक्षा के अभ्यर्थी सह दलाल कौशल किशोर को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से कई मोबाइल मिले, जिसमें प्रश्नपत्रों के फोटो हैं। इसके अलावा परीक्षा से जुड़े अहम दस्तावेज, अभ्यर्थियों के मूल शैक्षणिक प्रमाणपत्र आदि बरामद किए गए। इस गिरफ्तारी में सबसे अहम नाम केवीएन स्कूल के संरक्षक रामाशीष राय का है। सत्ता केंद्रों का बेहद करीबी और तिकड़मबाजी का बादशाह यह शख्स हर फन में माहिर है।एक क्लर्क से करोड़पति बना यह शातिर अब पुलिस की गिरफ्त में है।
क्लर्क से करोड़पति बनने तक का सफर
'राम' का एक मामूली क्लर्क के करोड़पति बनने की कहानी कम दिलचस्प नहीं है। रामाशीष राय ने अपना कैरियर बतौर एक कॉलेज में सरकारी क्लर्क के तौर पर शुरू किया था। उस पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य राम सिंहासन सिंह हुआ करते थे। कहने वाले कहते है कि दोनों के बीच मामा-भांजे की रिश्तेदारी भी थी। कॉलेज के ज़माने में दोनों के बीच जबरदस्त ट्यूनिंग बन गई। ये दौर राबड़ी देवी के आखिरी मुख्यमंत्रित्व काल यानी 2004 का था। इसी दौरान दौरान 30 जुलाई 2004 को राम सिंहासन सिंह को बिहार लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। अध्यक्ष पद मिलते ही राम सिंहासन सिंह ने अपने सबसे भरोसेमंद रामाशीष राय को भी जुगाड़ कर आयोग कार्यालय में बतौर क्लर्क पदस्थापित करवा लिया।
शुरू किया गया करोड़पति बनने का खेल
फिर क्या था तथाकथित मामा-भांजे की जोड़ी ने धमाल मचाना शुरू कर दिया। रामाशीष आयोग में रामसिंहासन सिंह का सबसे बड़ा लाइजनर और विश्वस्त दलाल बनकर उभरा। बीपीएस के अध्यक्ष के तौर पर रामसिंहासन सिंह के कार्यकाल में ही बीपीएससी के ‘लिमिटेड कम्पटीटिव एग्जाम-2003' की परीक्षा और उसके परिणाम में जबरदस्त और भारी पैमाने पर धांधली और अनियमितता हुई। पैसे के बल पर सेटिंग और पहुच की वजह से अनियमितताओं का जबरदस्त खेल हुआ और गैरकानूनी ढंग से 184 युवकों को बिहार प्रशासनिक सेवा में नौकरी दे दी गई।
ज्यादा दिन नहीं चला खेल, हो गया भंडाफोड
लोग कहते है पाप का घड़ा बहुत जल्द भरता है। हुआ भी यही 23 मई 2005 को इस मामले की गूंज विधानमंडल में भी उठी और जबरदस्त हंगामा हुआ। फिर वर्त्तमान सीएम नीतीश कुमाकर ने बतौर मुख्यमंत्री बिहार की बागडोर संभाली औऱ उन्होंने तत्काल इसकी जांच निगरानी को सौंप दी। निगरानी ने इस मामले की जांच करते हुए 29 दिसम्बर 2005 को तत्कालीन अध्यक्ष यानी राम सिंहासन सिंह सहित आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। इनकी गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद रामाशीष राय निगरानी के तत्कालीन एडीजी नीलमणि के पास रामसिंहासन सिंह की पैरवी और एडीजी को घूस देने की हिमाकत करने पहुंचा गया था। तब एडीजी की शिकायत पर उसे भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
सूद के पैसे से स्कूल पर किया कब्जा
लोगों का कहना है कि रामाशीष अपनी नाज़ायज़ कमाई का अधिकांश हिस्सा सूद ब्याज पर लगाया करता था। उससे भारी रकम कर्ज सूद लेने वाले में तब राजीव नगर में आदर्श विद्या निकेतन के नाम से स्कूल चलाने वाले एक शिक्षक भी थे। बाद में जब लाखों रुपये सूद के तौर पर उस स्कूल संचालक पर कर्ज हो गया जिसे वह देने में असमर्थ हो गए तो रामाशीष ने उनके स्कूल पर कब्जा कर लिया और उस स्कूल का नया नाम एवीएन स्कूल रखते हुए अपनी पत्नी मालती सिन्हा को उसका प्रिंसिपल बना दिया और अपने साले रामसुमेर को प्रबंधक। इस पूरे खेल का सच आज भी एवीन स्कूल के बोर्ड पर दिखता है यानी स्कूल तो वही है, आदर्श विद्या निकेतन नाम शॉर्ट कर दिया गया है।
लालू
के
खास
तो
माझी
के
करीबी
है
रामाशीष
गिरफ्तार
रामाशीष
की
सियासी
पहुच
का
अंदाज़ा
आप
इस
बात
से
भी
लगा
सकते
है
कि
उसके
स्कूल
एवीएन
के
कार्यक्रम
में
तत्कालीन
मुख्यमंत्री
जीतन
राम
मांझी
सहित
कई
बड़े
राजनेता
शिरकत
कर
चुके
हैं।
बिहार
के
सभी
सियासी
दलों
में
इसका
जबरदस्त
रसूख
है।
यहाँ
तक
कि
राजद
सुप्रीमो
लालू
यादव
को
जब
चारा
घोटाले
के
एक
मामले
में
पटना
हाई
कोर्ट
ने
जमानत
खातिर
एक
सरकारी
नौकरी
वाले
को
जमानतदार
बनाने
का
हुक्म
दिया
तो
रामाशीष
राय
ही
उनका
वो
जमानतदार
बना।वही
जब
इस
तिकडमी
पर
आय
से
अधिक
संपत्ति
के
मामले
मुकदमा
दर्ज
हुआ
तो
यह
निगरानी
की
जाँच
के
घेरे
में
आ
गया।
पर
यहाँ
भी
इसने
अपने
तिकडमी
चालो
से
उस
वक्त
बच
निकला
था।
विदित
हो
कि
उस
दौर
में
निगरानी
की
कमना
वर्त्तमान
डीजीपी
पी
के
ठाकुर
के
हाथों
में
थी।
यही
नहीं
यह
शातिर
जाँच
को
प्रभावित
न
कर
सके
जाँच
के
दौरान
इसे
बीपीएससी
से
हटाकर
कर
साइंस
एंड
टेक्नोलॉजी
विभाग
में
भेज
दिया
गया
था।
वही दूसरी तरफ बीएसएससी परीक्षा के लिए बनाए गए कथित केन्द्राधीक्षक राम सुमेर सिंह रामाशीष राय का साला है। सीएसएससी की परीक्षा के लिए एवीएन स्कूल में बनाया गया सेंटर और परीक्षा के लिए बनाए केन्द्राधीक्षक रामसुमेर सिंह की प्रितिनियुक्ति ही गलत है। राजीव नगर स्थित एवीएन स्कूल की सीबीएससी से मिली मान्यता बीते दो वर्ष पूर्व ही खत्म कर दी गई थी। इसका मुख्य कारण था, सीबीएससी की दशवीं और बारहवीं की परीक्षा में इस विद्यालय द्वारा की गई घोर धांधली। इसके बावजूद पिछले कई वर्षों से राज्य कर्मचारी चयन आयोग प्रश्नपत्र लीक करने के षडयंत्र के तहत लगातार इस विद्यालय में सेंटर बना रहा था।परीक्षा के दौरान इस विद्यालय में केन्द्राधीक्षक बनाए गए रामसुमेर सिंह भी न तो इस विद्यालय के प्राचार्य थे और न ही शिक्षक। वह इस विद्यालय की देख रेख के लिए प्रबंधक के पद पर तैनात किए गए थे। इसका प्रमाण इस विद्यालय के मामले में हाईकोर्ट का वर्ष 2015 में आया एक फैसला है जिसमें सुमेर सिंह को इस विद्यालय का प्रबंधक करार दिया गया है। अब मामला इस विद्यालय के संरक्षक रामाशीष राय उर्फ रामाशीष सिंह की है ।
सही
से
हुई
जांच
को
बेनकाब
होंगे
कई
सफेद
पोश
चेहरे
पैसो
की
भूख
रामाशीष
को
इतनी
है
कि
इसने
शिवम्
कान्वेंट
स्कूल
के
मालिक
अशोक
सिंह
के
साथ
मिलकर
राजीव
नगर
स्थित
अपने
भवन
में
शिवम्
टीचर
ट्रेनिग
कॉलेज
खोला
था।
तब
इस
इस
कॉलेज
की
प्रिंसिपल
के
तौर
पर
भाजपा
नेत्री
सुषमा
साहू
ने
ज्वाइन
किया
था।
जो
वर्त्तमान
में
राष्ट्रीय
महिला
आयोग
का
सदस्य
है
साथ
ही
भाजपा
महिला
प्रकोष्ठ
की
अध्यक्ष
सह
और
पटना
नगर
निगम
की
पार्षद
भी
हैं।
रामाशीष
राय
की
अब
हुई
गिरफ्तारी
और
मामले
की
गहराई
से
छानबीन
होगी
तो
इस
शातिर
के
कई
सफेदपोश
राजनेताओं
से
सम्बन्ध
का
न
केवल
खुलासा
होगा
बल्कि
इस
तिकडमी
का
सारा
कच्चा
चिट्ठा
भी
खुलेगा
जो
इस
के
सोने
की
लंका
को
जला
कर
राख
कर
देगा।