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10 बातें जो बढ़ा रही हैं नीतीश कुमार का टेंशन

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पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह लोकसभा चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। नीतीश इन दिनों चिंता और चुनौती दोनों ही स्थितियों से गुजर रहे हैं। इस बार को लोकसभा चुनाव ये साबित करेगा कि एनडीए से 17 साल पुरानी दोस्ती तोड़ना नीतीश के लिए फायदेमंद रहा या जनता उनके इस फैसले से खफा है। इतनी ही नहीं ये चुनाव इस बात का फैसला भी करेगा कि नीतीश का बिहार को विशेष राज्य दिलवाने के मुद्दे को जनता का कितना समर्थन मिला है।

अगर ये कहें कि यह चुनाव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए राजनैतिक के साथ-साथ नौतिक कसौटी भी साबित करेगा तो ये गलत नहीं है। इस बार के लोकसभा चुनाव में नीतीश सबसे कठिन परीक्षा के दौर से गुजर रहे हैं। उनके लिए फैसलों को जनता किसना समर्थन देगी ये देकना होगा, लेकिन फिलहाल नीतीश अपने मतदाताओं को ये समझाने में व्यस्त है कि अगर हम दिल्ली में मजबूत नहीं होंगे तो फिर बिहार की आवाज वहां कोई नहीं सुनेगा।

नीतीश की चुनौती

नीतीश की चुनौती

नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि एनडीए से उनके रिश्ते तोड़ने का फैसला उनके लिए कितना फायदेमंद होगा।

क्या जनता का मिलेगा साथ

क्या जनता का मिलेगा साथ

नीतीश के सामने दूसरी चुनौती ये है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के उनके आंदोलन का जनता कितना साथ देगी। कहने का तात्पर्य ये कि जनता उनके इस आंदोलन का कितना समर्थन करेगी ये तो चुनाव के बाद ही पता चल सकेगा।

क्या बचेगी इज्जत

क्या बचेगी इज्जत

इस बार नीतीश कुमार के सामने 40 सीटों की चुनौती है। 38 सीटों पर जेडीयू तो दो पर उनके गठबंधन के तहत भाकपा के उम्मीदवार हैं।

नीतीश के खिलाफ कई मोर्चे

नीतीश के खिलाफ कई मोर्चे

इस चुनाव में नीतीश के लिए खिलाफ कई मोर्चे खुल गए हैं। सबसे कड़ा मुकाबला भाजपा के साथ है। नीतीश को भाजपा के बड़े प्रचार तंत्र से लोहा लेना है।

नीतीश की बड़ी टेंशन

नीतीश की बड़ी टेंशन

पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, मधुबनी, अररिया, कटिहार, दरभंगा, सीवान, भागलपुर, पटना साहिब, बक्सर, गया और नवादा लोकसभा सीटें नीतीश के लिए इस बार नई सीटें हैं, क्योंकि इससे पहले इन सीटों पर उन्होंने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था।

टिकट को लेकर नाराजगी

टिकट को लेकर नाराजगी

जेडीयू में कई नेता टिकट न मिलने से नाराज है। इन गुस्साए लोगों का भी एक मोर्चा है जससे नीतीश कुमार को जूझना है। कुछ लोगों का गुस्सा है कि सरकार में उनकी बात नहीं सुनी गई।

त्रिकोणीय मुकाबला

त्रिकोणीय मुकाबला

अब तक भाजपा और जेडीयू साथ-साथ लड़ते आए थे तो मुकाबला कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन के साथ होता था, लेकिन इस बार नीतीश को कांग्रेस-आरजेडी के साथ-साथ भाजपा से भी लड़ना होगा।

सर्वे से घबराए नीतीश

सर्वे से घबराए नीतीश

नीतीश कुमार की एक चुनौती चुनाव के पूर्व लगातार सामने आ रहे सर्वे भी हैं। हाल में कराए गए सर्वे में जेडीयू को 2 से 5 सीटों पर दिखाया गया है। नीतीश लगातार इस तरह के सर्वे को प्रायोजित करार देकर अपने समर्थकों का मनोबल बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।

फेसबुक-ट्विटर पर जंग

फेसबुक-ट्विटर पर जंग

नीतीश सोशल मीडिया पर कुछ खास एक्टिव नहीं है लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव सोशल मीडिया के व्यापक प्रभाव को देखते हुए उन्होंने भी इसे अना लिया। ऐसे में उन्हें सोशल नेटवर्किंग साइटों पर भी अपने विरोधियों से जूझना है।

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English summary
This Lok Sabha Election Nitish Kumar is too much tensed over 10 things which are going to happen.
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