सत्यार्थी, अटल ने देश-दुनिया में बढ़ाया मध्य प्रदेश का मान
भोपाल।
मध्य
प्रदेश
के
लिए
वर्ष
2014
अपनों
पर
नाज
करने
का
वर्ष
रहा
है।
क्योंकि
प्रदेश
से
नाता
रखने
वाली
दो
विभूतियों
ने
उसका
देश
और
दुनिया
में
मान
बढ़ाया
है।
एक
हैं
कैलाश
सत्यार्थी,
जिन्हें
नोबल
पुरस्कार
मिला
तो
दूसरे
पूर्व
प्रधानमंत्री
अटल
बिहारी
वाजपेयी
जिनका
नाम
भारत
रत्न
के
लिए
नामांकित
किया
गया
है।
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में जन्में कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों को बंधुआ मजदूरी और बाल मजदूरी से मुक्त कराकर उनका हक दिलाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी है। उनकी यह लड़ाई सरहद के पार तक गई और दुनिया में उनकी इस कोशिशों को सराहा गया। यही कारण रहा कि उन्हें दुनिया का सर्वोच्च सम्मान नोबल पुरस्कार दिया गया।
सत्यार्थी का नाता एक साधारण परिवार से रहा है, उन्होंने सम्राट अशोक अभियांत्रिकी महाविद्यालय से इंजीनिरिंग की शिक्षा हासिल की। वे बचपन से ही समाज की कुरीतियों के खिलाफ लड़ने का जज्बा रखते थे। उनका यह दृष्टिकोण पहली बार तब सामने आया, जब उन्होंने विदिशा में महात्मा गांधी की प्रतिमा के करीब सफाई कामगारों से भोजन बनवाया। इस पर काफी हो-हल्ला मचा, मगर उन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
उसके बाद सत्यार्थी ने अपने अभियान को जारी रखने के लिए दिल्ली की ओर रुख किया। जहां उन्होंने बच्चों के अधिकारों के लिए काम शुरू किया और बचपन बचाओ आंदोलन की नींव रखी। बचपन बचाओ आंदोलन ने अब तक करीब 80 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया है।
सत्यार्थी ने चूड़ी उद्योग, ईंट भट्टा उद्योग, पटाखा व माचिस उद्योग में काम करने वाले बच्चों को बंधुआ व बाल मजदूरी से मुक्त करने का काम किया है। उनका यह काम जोखिम भरा भी रहा है। हरियाणा में खदान में काम करने वाले बच्चों को मुक्त कराने की कोशिश में उन पर जान लेवा हमला तक हुआ ।
सत्यार्थी जब नोबल पुरस्कार लेकर अपने गृह राज्य आए तो हर कोई उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़ा। विदिशा से लेकर भोपाल तक में उनके स्वागत का दौर चला। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्यार्थी को जीवन पर्यंत राज्य अतिथि का दर्जा देने का एलान किया।
इसी
तरह
राज्य
से
नाता
रखने
वाले
पूर्व
प्रधानमंत्री
अटल
बिहारी
वाजपेयी
को
देश
के
सर्वोच्च
नागरिक
सम्मान
भारत
रत्न
के
लिए
नामांकित
किया
गया
है।
यह
राज्य
के
लिए
एक
गौरव
की
बात
है।
वाजपेयी
का
देश
की
राजनीति
मे
अहम
योगदान
रहा
है।
उन्होंने
देश
के
विदेश
मंत्री
से
लेकर
प्रधानमंत्री
तक
की
अहम
जिम्मेदारी
निभाई
है,
और
अपनी
क्षमताओं
देश
का
नई
पहचान
दिलाई।
वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में ही पोखरण का परमाणु परीक्षण हुआ था और देश एक आणविक शक्ति के तौर पर उभरा था। वाजपेयी की पहचान एक धर्म निरपेक्ष नेता की रही है। वाजपेयी का अपने दल भाजपा ही नहीं दूसरे दलों द्वारा भी सम्मान किया जाता था,यही कारण था कि उनके राजनीतिक कौशल के मददेनजर उन्हें विपक्षी दल का नेता होते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहाराव ने संयुक्त राष्टसंघ में भारत का प्रतिनिधि बनाकर भेजा था।
वर्तमान की केंद्र सरकार द्वारा महामना मदनमोहन मालवीय के साथ वाजपेयी को भारत रत्न के लिए नामांकित किया गया है। वाजपेयी को भारत रत्न के लिए नामांकित किए जाने से राज्य का हर व्यक्ति न केवल खुश हैं, बल्कि अपने को गौरवान्वित महसूस करता है।
राज्य के लिए वर्ष 2014 मान सम्मान बढ़ाने वाला रहा । देश और दुनिया से राज्य की विभूतियों को मिले सम्मान ने राज्य को नई पहचान दिलाई है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।