अपनी स्पीड से फ्लाइट को भी टक्कर देगी ये ट्रेन, मोदी सरकार कर रही प्रस्ताव पर विचार
सुपरसोनिक लैंड ट्रवेल के जरिए इस योजना को पूरा किया जा सकता है, इसका का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास पहुंचा है।
बेंगलुरु। आपको ये सुनकर हैरानी हो सकती है कि एक ऐसी ट्रेन चलाई जा सकती है जो अपनी स्पीड से प्लेन को भी टक्कर दे सके। केंद्र सरकार ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
फ्लाइट से भी तेज चलेगी ये ट्रेन
सुपरसोनिक लैंड ट्रवेल के जरिए इस योजना को पूरा किया जा सकता है, इसका का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास पहुंचा है। अगर मोदी सरकार इस योजना को स्वीकृति देती है तो लोगों के लिए किसी बड़े सपने के पूरा होने जैसा होगा।
अगले साल से शुरू हो सकता है बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का निर्माण
बेंगलोर मिरर में छपी खबर के मुताबिक सुपरसोनिक लैंड ट्रवेल सिस्टम को तैयार करने में करीब 6744 करोड़ का खर्च आएगा, जबकि एक बुलेट ट्रेन बनाने में 80939 करोड़ का खर्च की उम्मीद है। भारत में बुलेट ट्रेन निर्माण की तैयारी जारी है इसके 2023 में तैयार होने की उम्मीद है।
हाईपरलूप ट्रांसपोर्सटेशन टेक्नोलॉजी (एचटीटी) के को-फाउंडिंग चेयरमैन बीबोप ग्रेस्टा ही एचटीएस को तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बेंगलुरु के कारनेगी टेक्नोलॉजी समिट 2016 में शिरकत की।
सुपरसोनिक लैंड ट्रवेल सिस्टम से पूरा होगा सपना
इस दौरान उन्होंने कहा कि हाइपरलूप लिनियर मोटर के जरिए संचालित होगा। ये कैप्सूल में सुई की तरह हो सकता है। उनके मुताबिक लिनियर मोटर ज्यादा क्षमता से ऊर्जा देगा। ऐसे में जब ये कैप्सूल हवा में यात्रा करेगा तो घर्षण के साथ वैक्यूम ट्यूब और तेजी से आगे बढ़ेगा।
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ग्रेस्टा ने बताया कि केंद्र सरकार से इस पर बातचीत चल रही है, उम्मीद है कि एचटीएस को बनाने और डिजाइन के लिए जगह मिलने की सुविधा मिल सकती है। हमने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के पास इस संबंध में पत्र भेजा है।
इस योजना की क्या हैं खूबियां
अगर इस योजना को मंजूरी मिलती है तो आखिर ये पूरा सिस्टम कैसे काम करेगा और इसमें क्या खूबियां होंगी...पढ़िए आगे...
- सुपरसोनिक लैंड ट्रवेल सिस्टम में हाईप्रेशर कैप्सूल का प्रयोग होगा, जिसमें आंशिक रुप से वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल होगा। इसकी स्पीड 1216 किमी/घंटा होगी। इस सिस्ट के जरिए लोगों से वादा किया जाता है कि उन्हें एक जगह से दूसरे जगह जाने में फ्लाइट से भी आधा समय लगेगा। इसका चार्ज भी फ्लाइट के टिकट से आधा होगा।
- इसके ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में हाईपरलूप ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (एचटीएस) का इस्तेमाल होगा। इसकी स्पीड 1216 किमी/घंटा बताई जा रही है। यानी इसके जरिए महज 30 मिनट में 345 किमी की यात्रा की जा सकती है। सीधा मतलब है कि महज आधे घंटे में बेंगलुरु से चेन्नई पहुंचा जा सकता है।
- एचटीएस पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित होता है। ट्यूब के टॉप पर सोलर पैनल लगे होते हैं और विंड टरबाइन के जरिए बाकी ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।