यहां हर खेत में रहते हैं भगवान, पहले होती है पूजा फिर खेती
यहां के किसान पहले उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और बाद में खेती-किसानी। आस्था का ज्वर ऐसा है कि यहां हर कुएं पर जलंधर नाथ महाराज का मन्दिर है। अब तो यह गांव की परम्परा में शामिल हो चुका है। यहां जो भी किसान नया कुआं, या ट्यूबवेल खुदवाता है, वह मन्दिर जरूर बनवाता है।
दर्शन दिए थे भगवान ने-
इस आस्था के पीछे एक मान्यता है कि यहां एक किसान को स्वयं जलंधरनाथ महाराज ने दर्शन दिए थे। मान्यता के मुताबिक करीब 605 साल पहले धानसा गांव में कृषक भखरसिंह थे और वे जालौर सिरे मंदिर के जलंदरनाथ को आराध्य मानते थे।
उनकी भगवान के प्रति ऐसी आस्था थी कि वे प्रत्येक सोमवार को धानसा से जालोर के मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए मीलों पैदल जाया करते थे। उन्हें नाथ के रूप में एक दिन स्वयं जालंधरनाथ मिले। तब से लेकर अब तक हर किसान आस्था में सराबोर हो यह शुभ काम अपनी जीवनचर्या में शामिल करता आ रहा है।
पहले पूजा, तब खेती -
यहां के किसान जलंधरनाथ को बहुत भक्ति-भाव से मानते हैं। ऐसे में प्रत्येक सीजन में बुवाई करने से पहले वे अपने खेत में बने मन्दिर में पूजा-वंदन करते हैं। पहले यहां पर सामूहिक पूजा व प्रसादी का आयोजन किया जाता था। यहां आसपास के सभी खेतों में किसानों का यह शुभ कार्य परम्परा के तौर पर जारी है।