कैदी नंबर 9934 हैं शशिकला, जेल में बनाएंगी मोमबत्ती
इस केस की सुनवाई को तमिलनाडु से कर्नाटक स्थानांतरित किया गया था। ऐसी उम्मीद थी कि जयललिता के सीएम रहते इस केस की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है।
जेल के भीतर ही बैठी थी कोर्ट
इससे पहले शशिकला ने कोर्ट के समक्ष सरेंडर किया। सुरक्षा कारणों से बेंगलुरु की सेंट्रल जेल के भीतर ही कोर्ट बैठी थी। वहां शशिकला के पहुंचने पर जज ने सुप्रीम कोर्ट के ऑपरेटिव पोर्शन को पढ़ा। शशिकला ने कोर्ट को बताया कि वो अपनी करीबी सहयोगी रही जयललिता की बैरक के पास की बैरक दी जाए।
भीड़ थी अनियंत्रित
जब शशिकला जेल पहुंची तो वहां अनियंत्रित भीड़ थी। भीड़ को हटाने और नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। जब शशिकला जेल पहुंची तो उनके पति नटराजन और अन्य सहयोगी भी मौजदू थे। बता दें कि शशिकला को आये से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से 4 साल की सजा सुनाई गई है। पुलिस के मुताबिक शशिकला के काफिले की चार गाड़ियां सेंट्रल जेल के पास डैमेज हो गईं।
ये सुविधाएं होंगी मुहैया, करना होगा ये काम
शशिकला को जेल में कंबल, 24 घंटे पानी, टीवी, चलने की जगह और वेस्टर्न कमोड उपलब्ध कराए जाने की अनुमति दी गई है। साथ ही एसी रूम, घर का बना हुआ खाना, जयललिता के बैरक के बगल वाली बैरक और एक हेल्पर की अनुमति नहीं दी गई है। वो बैरक में दो अन्य अन्य महिलाओं के साथ रहेंगी। जेल में उन्हें मोमबत्ती बनाने का काम दिया गया है, जिसके लिए उन्हें 50 रुपए प्रतिदिन मिलेंगे।
ये है मामला
इससे पहले आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए वीके शशिकला को दोषी करार दिया था, साथ ही चार साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में कोर्ट ने शशिकला पर 10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है। इस फैसले के बाद शशिकला 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने किया था बरी
शशिकला को सजा 21 साल पुराने मामले में 66 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति के कारण हुई। जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट ने शशिकला और जयललिता को 2015 में बरी कर दिया था। इसी मामले में कर्नाटक सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। पूरा मामला 1991 से 1996 के बीच का है जब जयललिता के मुख्यमंत्री रहते समय आय से अधिक 66 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित करने का है।